This poem is dedicated to my husband.
बहुत पहले कभी लिखी थी ये कविता पर आज ब्लॉग पर डाल रही हु..
कई बार प्यार उतना ही निस्वार्थ होता है जितना ओंस कि बूंदों का पत्तियों पर गिरना बस हम समझा नहीं पाते
कौन हो तुम ?
अलसाई सी सुबह में कोमल छुवन के अहसास से हो
अनजाने चेहरों में एक अटूट विश्वास से हो...
गडगडाते बादलों में सुरक्षा के अहसास के जेसे ,
काँटों भरी दुनिया में स्वर्ग के पारिजात के जेसे
बद्दुआओन कि भीड़ में इश्वर के आशीर्वाद से तुम
लम्बे समय के मौन में आँखों के संवाद से तुम...
लड़कपन कि उम्र में कनखियों के प्यार तुम ,
हर मोड़ कि हार के बाद आशाओं के विस्तार तुम.
सूनी आँखों से बोलने वाले मेरे मन कि बात हो तुम
मेरे निष्पाप प्यार हो या प्रेम निस्वार्थ हो तुम
झुलसती गर्मी में बरसाती फुहार से तुम
पथराए नैनों में उम्मीदों कि लहर से तुम
मेरे अंतर्मन के अहसास हो या जन्मों कि अधूरी प्यास हो?
मेरे दिल कि सूनी गुफा में गंगाजल का झरना हो तुम या बेरागी के मन में मचलता वीतराग हो तुम ?
अनंत आकाश में उड़ते पंछी हो तुम या या मेरे जन्मों का प्रेम अनुराग हो तुम ?
कही दूर से आती शंख ध्वनि हो तुम ?या मेरे मन के कोने में बैठी पाषाण प्रतिमा का मानवीय संवाद हो तुम?
हर बार खोजती हु मगर हाथ नहीं आते ,
दिन रात का साथ है पर साथ नहीं आते
कोई ख्वाब हो या ख्वाबों कि हकीक़त हो तुम ?
जो भी हो मेरे लिए सबसे खूबसूरत हो तुम?
मेरे लिए पल पल कि जरुरत हो तुम..........
बहुत पहले कभी लिखी थी ये कविता पर आज ब्लॉग पर डाल रही हु..
कई बार प्यार उतना ही निस्वार्थ होता है जितना ओंस कि बूंदों का पत्तियों पर गिरना बस हम समझा नहीं पाते
कौन हो तुम ?
अलसाई सी सुबह में कोमल छुवन के अहसास से हो
अनजाने चेहरों में एक अटूट विश्वास से हो...
गडगडाते बादलों में सुरक्षा के अहसास के जेसे ,
काँटों भरी दुनिया में स्वर्ग के पारिजात के जेसे
बद्दुआओन कि भीड़ में इश्वर के आशीर्वाद से तुम
लम्बे समय के मौन में आँखों के संवाद से तुम...
लड़कपन कि उम्र में कनखियों के प्यार तुम ,
हर मोड़ कि हार के बाद आशाओं के विस्तार तुम.
सूनी आँखों से बोलने वाले मेरे मन कि बात हो तुम
मेरे निष्पाप प्यार हो या प्रेम निस्वार्थ हो तुम
झुलसती गर्मी में बरसाती फुहार से तुम
पथराए नैनों में उम्मीदों कि लहर से तुम
मेरे अंतर्मन के अहसास हो या जन्मों कि अधूरी प्यास हो?
मेरे दिल कि सूनी गुफा में गंगाजल का झरना हो तुम या बेरागी के मन में मचलता वीतराग हो तुम ?
अनंत आकाश में उड़ते पंछी हो तुम या या मेरे जन्मों का प्रेम अनुराग हो तुम ?
कही दूर से आती शंख ध्वनि हो तुम ?या मेरे मन के कोने में बैठी पाषाण प्रतिमा का मानवीय संवाद हो तुम?
हर बार खोजती हु मगर हाथ नहीं आते ,
दिन रात का साथ है पर साथ नहीं आते
कोई ख्वाब हो या ख्वाबों कि हकीक़त हो तुम ?
जो भी हो मेरे लिए सबसे खूबसूरत हो तुम?
मेरे लिए पल पल कि जरुरत हो तुम..........
23 comments:
bahut hi sundar lekha hai aap ne
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
कनुप्रिया जी,
प्यार की असीम गहराई है...
जो आपने बहुत ही खूबसूरती से पिरोई है...
dhanyawad....
wav!
बहुत सुन्दर भावों को शब्दों में पिरोया है आपने कनु जी.बधाई न केवल आपके लिए बल्कि आपने जिनके लिए ये कविता लिखी है उनके लिए भी क्योंकि ख़ुशी की बात तो ज्यादा उनके लिए है.
bahut hi behtareen prastuti kanupriya ji....................
regards
naveen solanki
english: http://drnaveenkumarsolanki.blogspot.com/
hindi : http://naveensolanki.blogspot.com/
Bahut badiya khoobsurat pyarbhare ahsas!
Haardik shubhkamnayen!
Aap BHOPAL se belong karti hain yah jaankar bahut khushi huyee...
Wow, wish could write such poems for my husband...
क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
कनुप्रियाजी दिल को छू गयी आपकी ये बेहतरीन रचना ................आपके पति बहुत भाग्यशाली हैं आपदोनों की जोड़ी हमेशा सलामत रहे
क्या कहू आप सबको समझ नहीं आ रहा...धन्यवाद् कह सकती हु बस....कविता जी ब्लॉग में स्वागत है आपका.हाँ रेखाजी शायद वो भाग्यशाली है या में भाग्यशाली है कह नहीं सकती....पर उनके लिए लिखना अच्छा लगता है मुझे....
सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...
आपके पति बहुत भाग्यवान हैं जो उन्हें ऐसी पत्नी मिली है .सुन्दर पोस्ट .आभार
बहुत खूबसूरत, भावनात्मक अभिव्यक्ति
aap sabhi ka bahut bahut dhanyawad
बहुत ख़ूबसूरत भावपूर्ण प्रस्तुति...
कोमल भावों की सशक्त अभिव्यक्ति।
mam....is se sundar kavita mene aaj tak nhii padhi............really..
dil ke beahd kariib
बहुत अच्छी - बहुत सुंदर
Good dedication to your better half
aap sabhi ka protsahan ke lie dhanyawad
The clarity in your post is simply striking and i can assume you are an expert on this subject.
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