पिछली कविता लिखी तो किसी ने कहा की कविता बहुत अच्छी है पर ३ बार पूरी पढ़ी तब पूरा अर्थ समझ आया तब लगा की सामान विषय सामान्य शब्दों में लिखाण चाहिए इसीलिए ये कविता थोड़े सरल शब्दों और गूढ़ अर्थ के साथ लिखने की कोशिश की....
ख्वाबों के राजा और रानी हम दोनों
बहते हुए दरिया का पानी हम दोनोंखुद ही खुद में जेसे उलझे रहते हैं
बिखरी बिखरी एक कहानी हम दोनों
प्रीत नगर कि प्रेम गली के पंछी हैं
वर्षा कि बूंदें सुहानी हम दोनों
चाँद ढले तक बेबस जागे रहते हैं
यादों कि बस्ती कि निशानी हम दोनों
चलते जाते हैं अनजानी रूहों जेसे
दिल में लेकर कसक बेगानी हम दोनों (दूसरों का दर्द दिल में लेकर घूमते हैं )
कितना भी बरसे प्यासे ही रहते हैं
चंदा चकोर कि अमर कहानी हम दोनों
अनुभव बढ़ते चमक कही गुम होती है
ढलती हुई कोई जवानी हम दोनों
सिसक सिसक कर आँहें भरते रहते हैं
माँ कि कोई चिट्ठी पुरानी हम दोनों
मद्धम मद्धम कानों में घुलते रहते हैं
सुरों कि महफ़िल मस्तानी हम दोनों
सुख हो चाहे दुःख हो बह ही जातें हैं
एक दूजे कि आँखों का पानी हम दोनों
कनुप्रिया
10 comments:
एक दूजे की आँखों का पानी हम दोनों - बहुत खूब
It's a sweet poem. I love the last paragraph a lot and the word 'Madham'
चाँद ढले तक बेबस जागे रहते हैं ,
यादों की बस्ती की निशानी हम दोनों
सुन्दर , अति सुन्दर
सरल शब्दों में गूढ़ अर्थ,सार्थक है...
परस्पर प्रेम में पगी पंक्तियाँ। बहुत ही सुन्दर।
aap sabhi ka dhanyawad
Nice one Kanupriya... Loved the last paragraph.. :)
सुंदर शब्दों में जज्बातोँ को उकेरा......बेहतरीन रचना
सुंदर प्रभाव छोडती रचना.....बधाई.
I must say I really like it. Your imformation is usefull. Thanks for share
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