Friday, August 31, 2012

वो स्याही जिसने मेरी कलम को अर्थ बख्शा है

वो स्याही जिसने मेरी कलम को अर्थ बख्शा है 
लोग कहते हैं उसका रंग तेरे आंसुओं सा है
काली रात,काली आँखें  गहरे दर्द में डूबी  
शक होता है सब पर रंग  तेरे गेसुओं का  है

मुस्कुराहटों ने मायूसी का कफ़न पहना है ,
 खिलखिलाहटें  लौट आने की दुआ करती है
सारा शहर ही जैसे उदास ,तनहा है ,
लगता है सबका हाल तेरे मजनुओं सा है

वो बादल जो तेरे लिए  घुमड़कर बरसता था 
खामोश मंडराता है अब तेरे इंतज़ार में 
ताने देती  है दुनिया पर सूना सा फिरता है 
आजकल वो भी बड़ा  बेआबरू सा है 

दिल जिसमे  तस्वीर तेरी धुंधली नहीं होती 
होता है सजदा आज भी उतनी ही शिद्दत से
बस फर्क है इतना की अब उत्सव नहीं होता
जो मंदिर था कल तलक वो अब मकबरा सा है

Wednesday, August 29, 2012

डायरी के पन्नो में वो लड़की

मैं फेसबुक पर लिखने की आदि हू वहा से कुछ चीज़ें ब्लॉग तक आ पाती  है कुछ वही रह जाती है ...कुछ एसे ही  पेराग्राफ ले आई हू आज ..इन्हें किस श्रेणी में रखा जाए समझ नहीं आ रहा इन्हें मेरी डायरी का हिस्सा माना  जा सकता है 
ज़िन्दगी में पहले प्यार सा पहला कुछ नहीं होता ,ना वेसा रुपहला ना वेसा खूबसूरत....और पहले टूटे प्यार से ज्यादा कुछ इंसान को तोड़ता भी नहीं ..... जिस्म ,रूह सब शायद इन सबके आने जाने से इतना दुःख ना हो जितना उसे अपने पहले प्यार के बिखर जाने से हुआ (ऐसा उसे लगता था ) पर ऐसा होता नहीं सिर्फ पहला कह देने से प्यार सच्चा हो जाए ये ज़रूरी नहीं हर पहले के साथ सच्चा जुड़ा होना ज़रूरी है .....सच्चा प्यार पूरा होना ना हो इंसान को तोड़ता नहीं मजबूत कर देता है....
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लड़की बात में कहती है मैं मर जाउंगी तब तुम समझोगे और लड़का उदास सा दिखने लगता है कुछ क्षणो के लिए और फिर मगन हो जाता है अपनी गढ़ी व्यस्तताओं में ...लड़की की आँखें छलछला जाती है .... फिर वो रूठने के से अंदाज़ में सोचती है मेरी जिंदगी तुम्हारे प्यार और अपनेपन की कमी में मर जाएगी इक दिन तब ही तुम्हे मेरे प्रेम का अहसास होगा...जानती है अगर एसा हो गया तो लड़का बड़ा उदास होगा पर अब वो हार मान चुकी है....
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कभी कभी अचानक से लड़की सोचती है अब उसे इंतज़ार की इतनी आदत हो गई है की किसी दिन अगर मोहब्बत उसके सामने आकर उसकी आँखों में आँखें डालकर खडी हुई तो भी वो शायद उसे पहचान ना पाए...दर्द लिखते लिखते उसे दर्द की आदत सी लगने लगी है एसी आदत जो एकदम अफीम के नशे सी है सारी हवा में मदहोशी फेलाती सी ...थोड़ी देर दर्द की मदहोशी कम हुई की तलब उठने लगती है ,वो लड़का अब उसे चाँद की तरह प्यारा है पाना भी है पर पाना भी नहीं ...उसी को वो कभी तकिया बनाकर रो लेना चाहती है ,कभी उसे दूर से देखकर विरह गीत गा लेती है , वही प्रेमी है वही सखा है ,सारे ताने उलाहने सब उसके हैं....उसे चाहती बहुत है पर अपना बनाना नहीं चाहती....सच है विरह प्रेम से कई ज्यादा गहरा राग है ,और विरह का रिश्ता कई ज्यादा गहरा भी है शायद....
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लड़की कहती है तुम मेरा इनाम कभी थे ही नहीं क्यूंकि इनाम तो जीते जाते है पर मैंने तुम्हारे लिए कोई प्रतियोगिता नहीं लड़ी ,किसी दौड़ में भाग नहीं लिया ना बाधा दौड़ ना सामान्य दौड़ ना रिले रेस ,रिले रेस तो तुम्हारे लिए में कभी दौडती नहीं तुम्हे इक हाथ से दुसरे हाथ में जाते देखना कभी मेरे बस का नहीं था ,तुम्हे एसे पाने से ना पाना शायद बेहतर होता....पर बिना किसी द्वन्द के तुम मेरी झोली में आ गिरे इसीलिए तो दिल कहता है तुम मेरा इनाम नहीं हो तुम तो मेरी ईदी हो बड़ों के आशीर्वाद जेसे एकदम दिल से दिए हुए और दिल तक लिए हुए....
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मैने तुम्हारा प्रेम संसार बड़ी ही बारीकी से गढ़ा हर उस स्त्री की तरह जो प्रेम में अटूट विश्वास रखती है जिसका प्रेम स्वप्न संसार के अधिक करीब होता है पर रचनाकार की वेदना तुम क्या जानो तुम बस हर बार इस संसार का कोई अंश तोड़ देते हो और मुस्कुराते हुए निकल जाते हो ,और मैं ध्वस्त अंश की किरचें समेटने में लग जाती हू ...संसार इस संसार पर ऊँगली उठा सकता है कमी बेशी भी निकाल सकता है उसने इस संसार की रचना के लिए अपनी रूह की मिटटी नहीं लगाईं सच है रचनाकार की वेदना कौन जाने....
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जब जब कसी सड़क से गुजरती हू मेरी दिशा के विपरीत दौड़ते बिजली के तार मुझे तुम्हारे मेरे रिश्ते की याद दिला देते हैं ...मजबूती से हर आग को अपने अन्दर छुपाए हुए रिश्ता ,गलतियाँ किसी दुसरे की और ख़ुद को झुलसा लेने वाला रिश्ता....कुछ ऐसा ही तो गंतव्य तक सही ढंग से पहुंचा तो रौशनी ही रौशनी होगी और अगर कही उलझ गया,कही अटक गया तो तबाही ही तबाही.....
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हाँ हाँ हाँ मेरा दिल कहता है मैं तुम्हे लिख लुंगी इक दिन इक क्षण आएगा जब में तुम्हे लिखकर मुक्त हो जाउंगी पूरी तरह मुक्त और स्वतंत्र ,तब तक तुम अपनी सारी शक्ति एकत्रित कर लो ताकि तुम मेरे शब्दों में लिखे ख़ुद को पढ़ सको....
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किस्सा अगर सिर्फ पूर्णता का होता तो शायद किस्सा कभी होता ही नहीं ,क्यूंकि तब तो हर किस्सा सपाट सा होता पर हर किस्से का किस्सा होना तो उसके उतार चढ़ाव पर टिका है अदृश्य धुरी है ना आज तक ग्लोब के सिवा किसी ने पृथ्वी की देखी और ना ही किसी रिश्ते की...तो पूर्णता की ये बात भी बस अदृश्य सी होती है ..हर बार वो अपना इक हिस्सा तुम्हारे पास भूल आती है और हर बार तुम्हारा हिस्सा अपनी आँखों में ले आती है...दोनों पूर्ण होकर भी अपूर्ण हो ...क्यूंकि तुम्हारी कहानियां नहीं किस्से फैलने वाले हैं कहकशां में...और किस्से कभी पूरे कहाँ होते है....? सही है ना?
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वो लड़का ,उस लड़की के जगती आँखों का सपना हुआ करता था कभी (आखिर असली सपने तो यही होते हैं ना जगती आँखों वाले) पर आज वो नींद के सपनो में भी उसे नहीं देख पाती ,कितनी कोशिश करती है ख़ुद को तैयार करती है की काश वो ! ख्वाबों में आए पर रात को आँख लगने से लेकर सुबह खुलने तक बस अँधेरी खाई का सपना आता है घनी अँधेरी खाई जहा से वो निकल जाने की कोशिश करती है रात भर पर निकाल नहीं पाती....लड़का उसका प्यार था कभी आज भी हो शायद पर अब ये प्रश्न ख़ुद से पूछने की हिम्मत नहीं होती उसकी ना अब समय मिलता है ...रिश्ते बंध जाने के बाद ऐसा ही होता है शायद
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तुम्हारे नाम अब कोई चिट्टी लिखने का मन नहीं करता की जानती हू वो चिट्ठिया मेरे आंसुओं की नमी से कितनी ही भीगी हुई हो तुम्हारे प्रेम की धूप अब उन्हें सुखा नहीं सकती ...की मेरे अक्षर कितना ही तुम्हे खोज लाना चाहे तुम इतने दूर चले गए हो हो अब कोई खोज तुम्हे पा नहीं सकती...शायद प्रेम एसे ही मर जाता है.....हमेशा हमेशा के लिए....

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फेसबुक पतन की ओर ?

ज्यादा समय नहीं हुआ जब 'ऑरकुट' हम सब का चहेता था जिस तरह हम आजकल फेसबुक को जिंदगी का हिस्सा मानते हैं ठीक वैसे ही उस समय 'ऑरकुट' जिंदगी का हिस्सा था हाँ इस हद तक स्टेटस अपडेट करने का चलन नहीं था पर जो भी था जितना भी था सबकुछ 'ऑरकुट' था ,पर अचानक से फेसबुक की बयार आई लोगो ने फेसबुक पर अकाउंट बनाना शुरू किया और थोडा समय निकला की लोग पूछने लगे तुम फेसबुक पर हो और एसे कुछ लॉयल लोगो ने भी अंतत : फेसबुक पर अकाउंट बनाया क्यूंकि उनके सारे मित्र फेसबुक का रुख कर चुके....अब तो ये हाल है की मुझे ख़ुद अपना 'ऑरकुट' का अकाउंट ओपन किए महीनो बीत गए होंगे यहाँ तक की पिछले लगभग २ साल में शायद मुश्किल से २,४ बार चेक किया होगा वो अकाउंट . लोगो में फेसबुक का क्रेज़ है और स्मार्टफोन ,टेबलेट्स और अन्य आधुनिक गेजेट्स ने फेसबुक की लोकप्रियता को और भी बढ़ा दिया ...पर आजकल सुगबुगाहट है की जितनी तेज़ी से फेसबुक की लोकप्रियता बढ़ी ,जितना ज्यादा ये जिंदगियों का हिस्सा बना उतना ही जल्दी इसका नशा उतरेगा और लोग इससे दूर होते चले जाएँगे पर ये भी सच है की धुआ उठ रहा है तो आग कही ज़रूर होगी ..

ये आग सिर्फ दिखने वाली नहीं है इसके पीछे कई कारण है सबसे बड़ा कारण देखा जाए तो वो फेसबुक का जन्म के इतिहास में छुपा है कई लोग है जो ये बात नहीं जानते की हॉवर्ड यूनीवर्सिटी में पढने वाले स्टुडेंट्स के इक ग्रुप ने अपने कॉलेज के लिए इक प्रोजेक्ट बनाया पर उनमे से एक छात्र मार्क जुकरबर्ग ने वो प्रोग्रामिंग बाद में फेसबुक के नाम से लॉन्च की .इसके लिए उनके साथी छात्रों ने बिना अनुमति और सहमती के प्रोग्राम यूज करने के लिए उनका विरोध भी किया ,इस तरह देखा जाए तो फेसबुक एक तरह की चोरी से बनाई गई सोशल साईट है.
ये सच है की व्यापार में नैतिकता एक अलग मुद्दा है और इसका सम्बन्ध फेसबुक के पतन जोड़ना शायद ठीक नहीं पर इस कम्पनी की अपने यूज़र्स के प्रति भी कुछ नैतिक जिम्मेदारियां है पर फेसबुक पिछले कुछ समय जिस तरह से अपने निर्णय यूज़र्स पर थोप रहा है वह फेसबुक के लिए अच्छे भविष्य के संकेत नहीं हैं .

ज्यादा समय नहीं हुआ जब फेसबुक ने अपने यूज़र्स को टाइमलाइन के प्रयोग के लिए सिर्फ ७ दिन का समय दिया था और उसके बाद सभी प्रोफाइल टाइम लाइन पर शिफ्ट हो गए थे , फेसबुक के इस कदम से आज भी कई यूज़र्स नाराज़ दिखते हैं इसी के साथ फेसबुक ने अपनी ईमेल सेवा लॉन्‍च करके एक बार फिर यूजर्स को अनदेखा किया . यूजर्स की राय लिए बिना फेसबुक ने सभी यूजर्स को नया ईमेल आईडी ‘yourname@facebook.com’ दे दिया. यह ईमेल यूजर्स के टाइमलाइन में बतौर प्राइमरी आईडी दिखने लगा है. फेसबुक के इस कदम की भी काफी आलोचना भी हुई . अधिकतर यूजर्स ने तो इस ईमेल आईडी को नकार दिया है. शायद ही कोई यूजर इस आईडी का इस्‍तेमाल कर रहा होगा.
हाल ही में फेसबुक ने सरकारी दबाव में आकर कई प्रोफाइल बंद कर दिए यहाँ तक की लोगो को मेसेज भेजे गए की वो अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग उनके हिसाब से नहीं करेंगे तो उनके प्रोफाइल बंद कर दिए जाएँगे इन सभी बातों के कारण कुछ लोगो ने ख़ुद ही फेसबुक से कन्नी काटना शुरू कर दिया है .

निवेशको के लिए फेसबुक द्वारा जरी किए आई पी ओ भी खटाई में पड़ते दिखाई दे रहे है 2012 की शुरुआत में फेसबुक ने दावा किया कि उसका फायदा पिछले साल की तुलना में 65 फीसदी बढ़कर एक अरब डॉलर हो गया है. कंपनी के रेवेन्‍यू में करीब 90 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 3.71 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. बीते मई में फेसबुक ने आईपीओ जारी किया. कंपनी ने 421,233,615 शेयर बेचने की पेशकश की और एक शेयर का मूल्‍य 38 डॉलर रखा गया. कंपनी को उम्‍मीद थी कि आईपीओ से उसे पांच अरब डॉलर की कमाई होगी. लेकिन बेहद तामझाम के साथ जारी हुआ फेसबुक के आईपीओ का बुलबुला फूट गया. शेयरों की कीमत गिरने लगी और बीते 18 अगस्‍त को कंपनी के एक शेयर का मूल्‍य 19.05 डॉलर तक पहुंच गया. अब इसके पीछे दो ही कारण हो सकते हैं या तो फेसबुक का अपने बारे लगाया गया आकलन गलत हुआ या निवेशकों का फेसबुक से विश्वास उठ गया पर दोनों कारणों का फल एक ही है की फेसबुक के आई पी ओ ने निवेशकों को नुक्सान पहुँचाया और फेसबुक की बाज़ार साख को भी .....

फेसबुक से लोगो को एक और शिकायत ये भी है की इसने लोगो की प्राईवेट जानकारिया सार्वजनिक कर दी हैं ,फेसबुक अपने यूज़र्स से समय समय पर जानकारी अपडेट करवाता है और ये साडी जानकारियां एक डाटाबेस के रूप में सार्वजनिक हो जाती है जिसके कारन कई बार यूज़र्स को समस्याओं का सामना करना पड़ता है ऐसे में लगता है कि फेसबुक अपने यूजर्स को बिना तनख्‍वाह के कंपनी के लिए ऐड जुटाने वाले कर्मचारी के तौर पर देखता है.इसी के साथ कोई यूजर यदि अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट करना चाहता है तो भी उसे काफी दिक्‍कत होती है. sileo.com जैसी कई वेबसाइटों ने फेसबुक अकाउंट डिलीट करने से जुड़े कई लेख लिखे हैं. लेकिन जानकारों का मानना है कि फेसबुक अकाउंट डिलीट करना बेहद कठिन काम है.

फेसबुक ने शुरू से ही प्रोफिट मेकिंग को बहुत ज़रूरी समझा पर आईपीओ फेल होने से इसके रेवेन्‍य में गिरावट आई है विज्ञापनों से होने वाली आय फेसबुक की सबसे बड़ी कमाई है पर इसमें भी तेजी से गिरावट आई है कई कंपनियां फेसबुक पर विज्ञापन देने से हिचकने लगीं और इनके कदम पीछे खींच लेने से फेसबुक को रेवेन्‍यू का नुकसान हुआ.

फेसबुक के आने के बाद सामाजिक जीवन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है ,बहुत छोटी उम्र के बच्चे भी इसका प्रयोग कर रहे हैं और कुछ लोगो की माने तो फेसबुक ने बच्चो का बचपन छीन लिया है, बच्चे बाहर जाकर खेलने की जगह फेसबुक का प्रयोग ज्यादा कर रहे हैं जो उनके मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है फेसबुक पर अधिक समय बिताने वाले बच्‍चों में मैनिया, पैरोनिया, चिड़चिड़ापन और शराब पीने की लत जैसी बीमारियों का खतरा ज्‍यादा होता है. ,कई माता पिता इसके सम्बन्ध में गहन चिंता व्यक्त करते हैं और चाहते है की उनके बच्चे फेसबुक से दूर रहे, ठीक यही स्तिथि बड़ो के साथ भी है अपने आस पास की दुनिया से दूर ये लोग फेसबुक के साथ अपनी इक नई ही दुनिया बना रहे हैं ,इसी के साथ साइबर क्राइम भी काफी बढ़ा है ,यूज़र प्रोफाइल हेकिंग ,गलत प्रोफाइल बनाना, लड़कियों के प्रोफाइल से फोटो चुराना आदि घटनाएँ भी बढ़ रही है ,जो सामाजिक रूप से सही नहीं कही जा सकती .

फेसबुक के अपने कुछ फायदे भी है और नुक्सान भी .पर लोगो के इसके प्रति बढ़ते असंतोष के कारण इसके पतन का रास्ता खुलता जा रहा है , क्यूंकि जुकरबर्ग के साथ प्रोजेक्ट में शामिल २ जुड़वाँ भाइयों ने अपनी सोशल नेटवर्क साईट लॉन्च करने की घोषणा की है जिससे हो सकता है भविष्य में फेसबुक पर प्रभाव पड़े साथ ही निवेशकों की नाराजगी भी फेसबुक को झेलनी पड़ सकती है.संभावनाएं है की ऑरकुट की तरह फेसबुक भी भूतकाल की गर्त में समां जाए....

इस आर्टिकल को भास्कर भूमि और मीडिया दरबार एवं खरी न्यूज़. com  पर भी देखा जा सकता है 
.आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

Wednesday, August 22, 2012

तुम्हारे लिए Just For you

तुम्हारे नाम के अक्षर
मेरे सपनो को गढ़ते हैं 
तुम्हारी मुस्कुराहटों से 
मेरे दिन रात चलते हैं
की "ल " से लक्ष्य है मेरा 
जनम भर साथ निभाना 
तुम्हारे साथ ही जीना 
तेरे ही संग मर जाना 



जो "क" से कृष्ण कह दू तो 
कही ज्यादा ना इतराना 
सुनेगा नाम जब तेरा तो 
ताने देगा ये ज़माना 

तुम "श " से शास्त्र जीवन का
मुझे अपने से बांधे हो 
परिंदे हो हवा के तुम 
पर मेरे बिन तुम भी आधे हो 

 मेरे इश्वर नहीं हो तुम 
पर उससे कुछ कम भी नहीं
ना पूजुंगी कभी तुमको 
साथी रहना बंधन नहीं 

तुम्हारा प्रेम जीवन है 
ये रास्ता तुमने दिखाया है
तुम्हे सबसे ज्यादा अपना समझू
तुम्ही ने तो सिखाया है 

कहो कहते हो क्या बोलो
चलोगे साथ क्या मेरे ?
अग्नि के आस पास से गहरे हैं 
अपने मन के पड़े फेरे.......

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Thursday, August 16, 2012

बोलो भला कैसे ?

तुम्हे बनाना ताज महल है
मै मरने से क्षण क्षण घबराऊ
बोलो इतनी उथल पुथल में
प्रेम भला कैसे पनपेगा ?

तुम जौहरी के जैसे गहरे
हीरों सी रंगत गढ़ना चाहो
मै नदिया के पत्थर सी उथली
बिखरी बिखरी सी चलना चाहू
तुम प्रश्नों की उलझी दुनिया
मै उत्तर की रीत चलाऊ
अमृत गरल के इक से मंथन में
बोलो साम्य कहाँ उपजेगा  ?

तुम देवी मूरत के मूर्तिकार से
मैं सुबह के खिले हरसिंगार सी
तुम मूरत में अमरत्व चाहते
मैं शाम ढले तक ढल जाउंगी
इतने विपरीत गहन  चिंतन में
बोलो बंधन कहाँ जन्मेगा ?
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Friday, August 10, 2012

तुम मेरे कर्म फल हो : कर्मन्यवाधिकारस्ते

आँखों के सामने तेर जाते हैं हर बार
तुम्हारे नाम के  कुछ अक्षर 
जो मैने समय की बर्फ में दबा दिए थे 
ये सोचकर की फिर सामने नहीं आएँगे 
नज़रों से दूर हुए तो दिल से दूर हो जाएँगे
पर मैं भूल गई 
तुम  और तुम्हारा नाम 
उस बर्फ में दबकर अमर हो गया 
जीवाश्मों की तरह 

तुम्हारी यादों के कुछ ख़त 
जो जला दिए थे अनमनेपन की अग्नि में
फिर आ खड़े होते है सामने
नाच उठते हैं शब्द 
सोचा था जले हुए खतों के साथ
यादें भी जल जाएगी 
पर तुम्हारी यादें तो आत्मा जैसी हो गई
नैनं  छिन्दन्ति शस्त्राणी, नैनं दहति पावक: 

तुम्हारे अस्तित्व के कतरे 
हर बार छोड़  आती हू कहीं पीछे
अपने कर्तव्यों के आगे मुझे तुम्हारा अस्तित्व 
बौना ही लगा सदा 
पर तुम तो हर बार बड़ा रूप लेकर 
आ खड़े होते हो मेरी राह में 
जैसे मेरे हर कर्तव्य का फल 
बस तुम ही होने वाले हो हमेशा 
चाहे अनचाहे ,जाने अनजाने
कर्मन्यवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन 

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Thursday, August 9, 2012

parwaz परवाज़.....: झीनी झीनी उड़े रे गुलाल

parwaz परवाज़.....: झीनी झीनी उड़े रे गुलाल: झीनी झीनी उड़े रे गुलाल सवारियां के मंदिर में झीनी झीनी उड़े रे गुलाल सवारियां के मंदिर में मुरली वारो लागे रे प्यारो ,  नाचे घणा नर नार ...
पिछले वर्षा जन्माष्टमी पर लिखी हुई ये पोस्ट फिर से साझा कर रही हू....

Wednesday, August 8, 2012

तुम पिया कृष्ण हो राधा नहीं हो

तुम पिया कृष्ण हो राधा नहीं हो
तुम सम्पूर्ण हो आधा नहीं हो
प्रेम की मूर्ति तुम मैं भक्तिनी सी 
थोड़े चंचल से तुम ,ज्यादा नहीं हो 

गहन जंगल से हो तुम रात्रि के
कभी दूत हो तुम शांति के 
तुम्हे पाना बड़ा आसान सा है 
मेरा मन पर तुम्हे पाता नहीं है
तुम आनंद हो  उत्सव हो मेरा 
मेरे जीवन का तुम उजला सवेरा
समर में जाना निर्णय तुम्हारा 
हुआ वियोग क्यों सिर्फ मेरा ?

तुम्हारी लीलाएं कितनी भली थी
मैं आँखें मूंदकर पीछे चली थी 
तुम्हारा कर्तव्य तुम्हारी प्रेरणा था 
मेरा वियोग भी कितना घना था 

सम्पूर्ण द्वारिका पीछे खडी थी 
पर "कनु " मै भी तो प्रिया तेरी थी 
तुम मुझे प्रेम में बांधे रहे थे
पर तुम मेरे पंख हो मर्यादा नहीं हो .....
इस पोस्ट को भास्कर भूमि  (10 अगस्त 2012) देखा जा सकता है 

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Tuesday, August 7, 2012

स्टेरोइड :देखन में सुन्दर लगे घाव करे गंभीर

आदित्य की माँ आजकल ज्यादा ही परेशान रहती है, कारण परेशान होने का है भी .बेटा आजकल चिडचिडा होता जा रहा है ,ना ठीक से बात करता है ना जवाब देता है ,या तो लगातार खाता  रहता है या कुछ खाता ही नहीं ,कभी इक बात करता है कभी अचानक से बात पलट देता है ,निर्णय ठीक से नहीं ले पाता ,यहाँ तक की डिप्रेशन का शिकार हो गया है ...पर यही आदित्य की माँ कुछ दिन पहले बहुत खुश थी उनका दुबला पतला सा दिखने वाला आदित्य जबसे जिम जाने लगा था उसका व्यक्तित्व अचानक से निखर गया था ,वजन बढ़ गया था ,शरीर सुडोल हो गया था और वो आकर्षक दिखने लगा है ,जो मिलता  उसके डोलो और बदलते शरीर  की तारीफ करता था और आदित्य की माँ फूली नहीं समाती .
फिर अचानक से एसा क्या हुआ जो आदित्य का स्वभाव बदलने लगा ? बहुत पूछताछ के बाद एक दिन आदित्य ने बताया की वो जिम  में जाकर जल्दी बॉडी बनाने के लिए स्टेरोइड का प्रयोग करने लगा था और ये सब शायद उसी का प्रभाव है.

सुनने में ये सब आम सा लगता है ठीक है स्टेरोइड लिए हैं तो साइड इफेक्ट हुए जब लेना बंद होगा तो तकलीफ कम हो जाएगी .पर ऐसा है नहीं .बाहरी सुन्दरता और शरीर शोष्ठ्व  बढ़ाने के लिए लिए गए ये स्टेरोइड हमारे शरीर को अन्दर ही अन्दर बीमार बनाने लगते हैं और एक समय आता है जब आप अगर इन्हें लेते रहते हैं तो शरीर पर उल्टा प्रभाव पड़ता है और लेना बंद करते हैं तो भी शारीरिक समस्याएं झेलनी पड़ती है .कुल मिलकर इंसान फंसता  जाता है इस दलदल में .
इक समय था जब सुन्दर दिखने का शौक सिर्फ लड़कियों के खाते में आता था  फिर लडको में भी इसका चस्का लगा और अच्छा दिखने के लिए अलग अलग उपाय करना उनकी भी आदतों में शुमार होने लगा ये दोनों ही समय आज भी चल ही रहे हैं मतलब सुन्दरता के प्रति लड़कियों का मोह कम नहीं हुआ बढ़ा ही है और यही बात लडको पर भी लागु होती है बस "सुन्दर " शब्द की परिभाषाएं  बदलती जा रही है .
मैं इन परिभाषाओं के बदलाव में नहीं पड़ना चाहती ,ना सुन्दरता के मोह को गलत कहना चाहती हू पर स्टेरोइड  के प्रयोग से आने वाली सुन्दरता  या शरीर शोष्ठ्व  शरीर पर क्या दुष्प्रभाव डाल सकता है ये जान लेना बहुत जरुरी है  क्यूंकि शरीर अनमोल देन है इसे सुन्दर दिखाने के चक्कर में गलत तरीकों का इस्तेमाल सही नहीं माना जा सकता .

सामान्य तौर पर देखा जाए तो स्टेरोइड ऐसे कृत्रिम पदार्थ है  जो पुरुषों में सेक्स होरमोन testosterones  टेसटॉसटेरोंस को बढ़ाते हैं जिसके कारण उनकी मांसपेशियां तेजी से बढती है  कई बार लोग इन्हें वजन बढ़ाने और फैट कम करने के लिए भी लेते हैं.वेट लिफ्टिंग के साथ स्टेरोइड लेने से मस्पेशियों का आकर बढ़ता है पर इनके प्रयोग से  होने वाले  शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव इनके फायदों पर काफी भारी पड़ते हैं .

स्टेरोइड के प्रयोग से शरीर को होने वाले नुकसान (साइड इफेक्ट )

 १. अनियमित मानसिकता  (मूड स्विंग ) :  स्टेरोइड के प्रयोग के बाद व्यक्ति  ज्यादा गुस्सेल प्रवृति दिखाने लगता है  या कभी कभी हिंसक भी हो जाता है इस के साथ कभी अवसाद के लक्षण भी देखे जाते हैं ,इसी के साथ व्यक्ति कभी कभी एकदम शांत हो जाता है और घटनाओं के प्रति प्रतिक्रिया दिखाना कम कर देता है .

२ : एक्ने की समस्या : स्टेरोइड का लगातार प्रयोग शरीर में होरमोन पर असर डालता है जिससे तेल ग्रंथियों पर प्रभाव पड़ता है और फलस्वरूप एक्ने की समस्या बढ़ जाती है ये एक्ने ज्यादातर चेहरे,पीठ या कंधो पर होते हैं .

३. बालों का झड़ना या गंजापन :स्टेरोइड के लम्बे समय तक प्रयोग से बालों का झड़ना बढ़ जाता है और गंजेपन की समस्या भी बढती दिखाई देती है .

४ . महिलाओं में समस्याएं : जाने अनजाने जो महिलएं स्तेरोइड्स लेती है उनके होने वाले बच्चो में शारीरिक समस्याएं देखने मिली हैं इसी के साथ कभी कभी महिलाओं में पुरुषोचित गुणों व प्रवृतियों का विकार होते भी देखा गया है .

५ . हाइपरटेंशन :  स्टेरोइड  के प्रयोग से हाइपरटेंशन के कई मामले भी सामने आए हैं इसी के सतझ शरीर में केलोस्त्रोल की मात्रा तेजी से बढ़ने के मामले भी सामने आए हैं.

६ पीलिया का खतरा बढ़ना :  स्टेरोइड लेने वाले लोगो में लीवर की खराबी ,किडनी की खराबी और पीलिया के लक्षणों के बढ़ने  की सम्भावना  देखी गई है .

७ . अन्य समस्याएं: साँस की बदबू ,पसीने के अधिक मात्रा  और पसीने की अत्यधिक  बदबू ,चोट लगने पर असामान्य  रूप से खून का बहना , ब्रेस्ट केंसर  का खतरा ,चक्कर आना ,केल्शियम की मात्रा बढ़ना,शरीर में दर्द, जोड़ो में दर्द ,इनसोम्निया ,अपच ,हड्डियों में दर्द ,मुह के अंदरूनी भाग में नीले धब्बे ,तैलीय त्वचा ,हार्ट अटैक , शारीरिक वजन सम्बन्धी समस्याएं ,खून की खराबी,सेक्स सम्बन्धी समस्याएं, लगातार सरदर्द बने रहना  व एसी ही और कई समस्याएं या लक्षण देखे गए हैं.

शरीर को प्राकृतिक रूप से अच्छी खुराक लेकर  बेहतर बनाया जा सकता है या डॉक्टर की सलाह लेकर प्रयास किए जा सकते हैं,ये बात सच है की स्टेरोइड के प्रभाव से बेहतरीन बॉडी बनाई जा सकती है और लोग बनाते भी हैं पर इससे शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव बहुत ज्यादा है इसलिए बेहतर यही है की इनका प्रयोग ना किया जाए....

कनुप्रिया 
इस पोस्ट को मीडिया दरबार ,खरी न्यूज़ और भास्कर भूमि  पर भी देखा जा सकता है 

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Monday, August 6, 2012

.बदलती भावनाएं

भावनाएं हर समय एक सी नहीं होती,कभी पेम भरी होती हैं कभी नफरत भरी कभी क्रांति विचार आते हैं कभी विद्रोह विचार और कभी समर्पण...अगर हम इन सब भावनाओं से अछूते रहकर सिर्फ अच्छा और बस अच्छा दिखने वाला जीकर चले गए तोशायद जीवन बेकार हो भावनाओं का उतार चढ़ाव ना आए तो जीवन और कविताएँ सब नीरस हो जाए.... अलग अलग मूड में, अलग अलग  समय पर  लिखी हुई अलग अलग रसों से भरी  कुछ पंक्तियाँ आज यहाँ एक साथ  पोस्ट कर  रही हु ....
१.
रिश्तों का ढंग कुछ इस ढंग का होता जाए
एसा आंसू है रुकता भी नहीं चलता भी नहीं
बस यही गम है जो जिन्दा रखे है हमें
इश्क का अब जिंदगी पे जोर चलता भी नहीं

वो कहने भर को तो इक शख्स ही है
यूं चुभा है जान लेता नहीं निकलता भी नहीं
वो हर बार इस तरह ही तोड़ता है हमें
सांस आती भी नहीं दम निकलता भी नहीं

अज़ान उससे शुरू की सजदा उसी का किया
वो खुदा होकर ,खुदा से काम करता भी नहीं
कुछ ख्वाहिशें कभी जवाँ नहीं होती
कुछ मज़िलों को रास्ता मिलता ही नहीं

२.
 उनसे खताएं जो हुई वो गर में नज़र में आ जाती
उन्हें दिल तोड़ देने की सज़ा हो जाती
हमसे उम्मीद थी एसी बोझ के जैसी
मैं ज़रा आह भी करती बेवफा हो जाती....

३.
जलाकर राख कर दे सब उकता गया है अब
ये सूरज रंग बदलना चाहता  है
तेरे पहलु में आया तो कई नज़रों से गिर गया
ये मैखाना संभालना चाहता है

४.
बचोगे कब तलक हर ओर ही शिकारी है
मौत की एक घडी सारी ज़िन्दगी पर भारी है
तमाम उम्र का साथ किसने देखा है
इस दर्द का खुमार हमपर तारी है

५.  ऐ प्रेम  मैं तुम्हे तब तलक पढूंगी
जब तक तलक तुम लिखे जाते रहोगे
अगर अपना पढ़ा जाना चाहते हो
तो लिखने वालों को सलामत रखो....

 ऐ प्रेम मैं तुम्हे तब तलक लिखूंगी
जब तलक तुम पढ़े जाते रहोगे
अगर अपना लिखा जाना चाहते हो
तो अपने करने वालों को सलामत रखो

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Friday, August 3, 2012

काले बर्तन या काला ज़हर


टेफलोन शीट तो याद होगी सबको कैसे याद नहीं होगी आजकल दिन की शुरुवात ही उससे होती है चाय बनानी  है तो नॉन स्टिक तपेली (पतीली) ,तवा,फ्राई पेन ,ना जाने कितने ही बर्तन हमारे घर में है जो  टेफलोन कोटिंग वाले हैं फास्ट टू  कुक इजी टू क्लीन वाली छवि वाले  ये बर्तन हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गए है ,जब ये लिख रही  हू तो दादी नानी वाला ज़माना याद आ जाता है जब चमकते हुए बर्तन स्टेंडर्ड की निशानी माने जाते थे  आजकल उनकी जगह काले बर्तनों ने ले ली .

हम सब इन बर्तनों को अपने घर में उपयोग में लेते आए है और शायद कोई बहुत बेहतर विकल्प ना मिल  जाने तक आगे भी उपयोग करते रहेंगे पर ,इनका उपयोग करते समय हम ये बात भूल जाते है की ये हमारे शरीर  को नुक्सान पहुंचा सकते है या हम में से कई लोग ये बात जानते भी नहीं की सच में एसा कुछ हो सकता है  कि ये बर्तन हमारी बीमारियाँ बढ़ा सकते है या हमारे अपनों को तकलीफ दे सकते है और हमारे पक्षियों  की जान भी ले सकते है .
चौंकिए मत ये सच है .हालाँकि टेफलोन को २० वी शताब्दी की सबसे बेहतरीन केमिकल खोज में से एक माना गया है  स्पेस सुइट और पाइप में इसका प्रयोग उर्जा रोधी के रूप में किया जाने लगा पर ये भी एक बड़ा सच है की ये स्वास्थ के लिए हानिकारक है  इसके हानिकारक प्रभाव जन्मजात बिमारियों ,सांस की बीमारी जेसी कई बिमारियों के रूप में देखे जा सकते हैं 

ये भी सच है की जब  टेफलोन कोटेड बर्तन  को अधिक गर्म किया जाता है तो पक्षियों की जान जाने का खतरा काफी बढ़ जाता है कुछ ही समय पहले १४ पक्षी तब मारे गए जब टेफलोन के बर्तन को पहले से गरम किया गया और  तेज आंच पर खाना बनाया गया ,ये पूरी घटना होने में सिर्फ १५ मिनिट लगे. 
टेफलोन कोटेड बर्तनों में सिर्फ ५ मिनिट में ७२१ डिग्री टेम्प्रेचर तक गर्म हो जाने की प्रवत्ति देखी गई है और इसी दोरान ६ तरह की गैस वातावरण में फैलती है इनमे से २ एसी गैस होती है जो केंसर को जन्म दे सकती है .अध्यन बताते हैं की  टेफलोन  को अधिक गर्म करने से  टेफलोन टोक्सिकोसिस (पक्षियों के मामले में ) और पोलिमर फ्यूम फीवर ( इंसानों के मामले में ) की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है .

टेफलोन  केमिकल के शरीर   में जाने से होने वाली बीमारियाँ:
१ . पुरुष इनफर्टिलिटी :  हाल ही में किए गए एक डच अद्धायण में ये बात सामने आई है लम्बे समय तक टेफलोन  केमिकल के शरीर में जाने से पुरुष इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है और इससे सम्बंधित कई बीमारियाँ पुरुषों में देखी जा सकती है .
२. थायराइड :  हाल ही में एक अमेरिकन एजेंसी  द्वारा किया गए अध्यन में ये बात सामने आई की टेफलोन की मात्र लगातार शरीर में जाने से  थायराइड ग्रंथि सम्बन्धी समस्याएं हो सकती है .
३. बच्चे को जन्म देने में समस्या :  केलिफोर्निया में हुई एक स्टडी में ये पाया गया की जिन महिलाओं के शरीर में जल ,वायु या भोजन  किसी भी माध्यम से पी ऍफ़  ओ (टेफलोन) की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गई उन्हें बच्चो को जन्म देते समय अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा इसी के साथ उनमे बच्चो को जन्म देने की शमता भी अपेक्षाकृत कम पाई गई .
४ . केंसर या ब्रेन ट्यूमर का खतरा :  एक प्रयोग के दौरान जब चूहों को पी ऍफ़  ओ के इंजेक्शन लगाए गए तो उनमे ब्रेन ट्यूमर विकसित हो गया साथ ही केंसर के लक्षण भी दिखाई देने लगे .  पी ऍफ़  ओ जब एक बार शरीर के अन्दर चला जाता है तो लगभग ४ साल तक शरीर में बना रहता है जो एक बड़ा खतरा हो सकता है .
५.  शारीरिक समस्याएं व अन्य बीमारियाँ :  पी ऍफ़  ओ की अधिक मात्रा शरीर में पाई जाने वाली महिलाओं के बच्चो पर भी इसका असर जन्मजात शारीरिक समस्याओं के रूप में देखा गया है  इसीस के साथ अद्द्याँ में ये सामने आया है की पी ऍफ़  ओ की अधिक मात्रा लीवर केंसर का खतरा बढ़ा देती है .

टेफलोन के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय 
  1. टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों को कभी भी गैस पर बिना कोई सामान डाले अकेले गर्म होने के लिए ना छोड़े.
  2. इन बर्तनों को कभी भी ४५० डिग्री से अधिक टेम्प्रेचर पर गर्म ने करे सामान्यतया इन्हें ३५० से ४५० डिग्री तक गर्म करना बेहतर होता है 
  3. टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों  में पाक रहा खाना बनाने के लिए कभी भी मेटल की चम्मचो का इस्तेमाल ना करे इनसे कोटिंग हटने का खतरा बढ़ जाता है 
  4. टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों  को कभी भी लोहे के औजार या कूंचे ब्रुश से साफ़ ना करे , हाथ या स्पंज से ही इन्हें साफ़ करे 
  5. इन बर्तनों को कभी भी एक दुसरे के ऊपर जमाकर ना रखे 
  6. घर में अगर पालतू पक्षी है तो इन्हें अपने किचन  से दूर रखें 
  7. अगर गलती से घर में एसा कोई बर्तन ज्यादा टेम्प्रेचर पर गर्म हो गया है तो कुछ देर के लिए घर से बाहर चले जाए और सारे खिड़की दरवाजे खोल दे पर ये गलती बार बार ना दोहराएं  क्यूंकि बाहर के वातावरण के लिए भी ये गैस हानिकारक है 
  8. टूटे या जगह ,जगह से घिसे हुए  टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों का उपयोग बंद कर दे क्यूंकि ये धीरे धीरे आपके भोजन में ज़हर घोल सकते है ,अगर आपके बर्तन नहीं भी घिसे है तो भी इन्हें २ साल में बदल लेने की सलाह दी जाती है
जहाँ तक हो सके इन बर्तनों कम ही प्रयोग करिए इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने और अपने परिवार के स्वास्थ  को बेहतर बना सकते हैं .
इस पोस्ट को  मीडिया दरबार  और भास्कर भूमि   पर भी देखा जा सकता है 

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