Tuesday, August 30, 2011

एक अजन्मी बच्ची की बातें : words of a baby girl .....


माँ ! माँ ! सुन रही हो?सुनो ना माँ! अरे इधर उधर मत देखो माँ ! में तुम्हारे अन्दर से बोल रही हू  ,नहीं समझी ना ? में तुम्हारी बच्ची बोल रही हू. पता है .मेरे छोटे छोटे हाथ पाँव है अब ... में महसूस करने  लगी हू  हर हलचल को ,हर आहट को.(Dear mom are u there? i am your baby girl  inside you. please give me a chance to see this world .i can feel this world now ....)
कल जब तुम कहीं  गई थी वहा जाने केसी  मशीन लगाई गई थी तुम्हारे शरीर पर, सच कहू ? बड़ा दर्द हो रहा था माँ...एसी जगह मत जाया करो ना ,पता है  मैं बहुत खुश हू की जब कल रात में दादी कह रही थी मत ला इसे इस दुनिया में तब तुमने इसका विरोध किया ,तुम नहीं जानती माँ में कितनी खुश हो गई की तुमने मुझे प्यारी सी दुनिया में लाने की बात सोची....

माँ जब मै बाहर की दुनिया मे आ जाउंगी तब अपनी मुस्कान से तुम्हारा घर भर दूंगी....अपने नन्हे कदमो मे बंधी पायल से जब ठुमक कर चलूंगी ना तब तुम बहुत खुश होगी सच मानो मेरी बात, और हाँ मे अपने खिलोने वाले बर्तनों मे तुम्हारे लिए खाना बनाउंगी,जब तुम थकजाओगी तो तुम्हे खूब सारी पप्पी दूंगी...अपने खेल मे तुम्हे भी शामिल कर लूंगी ....

जब मे बड़ी हो जाऊंगी ना माँ तब तुम्हारे काम मे तुम्हारी मदद  करूंगी, खूब पढाई करुँगी ,हर सुख दुःख मे तुम्हारे साथ रहूंगी....तुम चाहे मानो या ना मानो पर तुम्हे गर्व होगा की तुमने बेटी को जन्म दिया....तुम डरो मत माँ मै कभी तुम्हारे और पापा को सबके सामने शर्मिंदा नहीं होने दूंगी  ,कभी तुम्हे बेटी को जन्म देने का दुःख नहीं होने दूंगी, बस तुम मुझे अच्छे संस्कार देना ,खूब सारा प्यार देना,और मै तुम्हे माँ होने की सच्ची  ख़ुशी दूंगी

तुम कितनी प्यारी हो माँ ,तुम दादी की बातों में मत आना माँ ,  मेरा विश्वास करो में वो कुछ भी नहीं करूंगी जो सब दादी बोल रही थी.सच्ची कहती हू तुम्हे कभी तंग नहीं करूंगी आज तुम मेरा सहारा बनकर खडी हो माँ , कल में तुम्हारा सहारा बनूंगी.तुम्हारी आँखों के हर आंसू को अपने नन्हे नन्हे हाथों से पोंछ दूँगी. एक बात कहूँ  तुम मुझे खूब पढाना माँ पढ़लिखकर अपने पैरों पर खड़ा करना तब तुम्हे मेरे दहेज़ के लिए पैसा जुटाने की जरुरत नहीं पड़ेगी ,मुझे सम्मान से जीना सिखाना माँ. और हाँ दहेज़ के लोभी लोगो के घर में मेरी शादी कभी मत करना...

माँ एक बात बोलू दादी को समझाना मै बोझ नहीं हू उन्हें कहना मै उनके बुढ़ापे का सहारा बनूँगी. मै उनके सर मे अपने नन्हे नन्हे हाथों से तेल लगाउंगी ,जब उनका सर दर्द होगा मे दबा दिया करुँगी,पूजा मे उनकी मदद करुँगी बस मुझे बाहर की प्यारी दुनिया देख लेने दो.


मै अपनी आँखों से देखना चाहती हू इस प्यारी दुनिया को,सब तुम्हरे अन्दर रहकर सुनती हू बस.हवा,पानी,पेड़ पंछी सब को अपनी आँखों मे बसा लेना चाहती हू....मे जानती हू जब तुम हरी घास पर चलती हो तो एक ख़ुशी की लहर दोड जाती है तुम्हार अन्दर और इसे मे महसूस करती हू , ये सब मे खुद अपने अन्दर महसूस करना चाहती हू...माँ तुम मुझे दोगी ना ये मौका? माँ मै तुम्हारे हाथों  का स्पर्श  चाहती हू, अपने गालों पर तुम्हारी प्यारभरी चपत चाहती हू ,तुम्हारी और पापा की नोक झोंक देखना चाहती हू, तुम सब का दुलार चाहती हू बोलो माँ दोगी ना मुझे एक मौका जीने का?इस दुनिया मै आने का? बोलो ना माँ चुप क्यों हो आने दोगी ना मुझे इस दुनिया मे.....
dear mom please give me a chance to take birth in this sweet world....mom please dont be a part of Female Foeticide please....please save me....

Wednesday, August 24, 2011

हाँ मैं जाग गई हू.-दिल्ली

हाँ मैं जाग गई हूँ
हाँ ये सच है में बेहोश होकर सोती थी
तुम आए और तुमने झकझोर दिया मुझे
 और में उठ खडी हुई जेसे बरसो की नींद के बाद आँख खुली हो!!!
तुमने आकर मुझे मेरे स्वर्णिम दिन याद दिला दिए
और में चल दी तुम्हारा हाथ पकड़कर नई राहों पर

कई बार मैंने चाहा  की जाग जाऊ पर हर बार यही सोचा
किसके लिए जागु ? और क्यों जागु?
जब मेरे चाहने वाले ही मुझे नींद से जगाना नहीं चाहते
मेरे लिए वो दौर ठीक वेसा ही था
जेसे पिंजरे में कैद चिड़िया चाह कर भी उड़ान नहीं भर सकती
 क्यूंकि कोई शिकारी दबोच लेता है उसे और कोई रक्षक नहीं आता बचाने !!!!

उसी पिजरे में कैद कई बार रोती थी ,पर अब पंखो का मजा जान गई हू
हाँ में बेहोश होकर सोती थी पर अब मैं जाग गई हू.

मैं इस नींद में भी सब देखती थी
पक्ष विपक्ष की मारामारी ,चोर डाकू अत्याचारी ,सबपर मेरी नजर थी
पर देखकर भी सब अनदेखा कर देती थी सब
जेसे कोई पत्नी अनदेखा कर देती है अपने घर को,
 जब  पति का सच्चा प्रेम उसके साथ ना हो
जेसे एक माँ अनदेखा करती है  बच्चे की गलती को
 जब उसकी बात का बच्चे पर असर होना बंद हो जाए
जेसे एक पिता  वृधाश्रम की राह पर चल पड़ता है
जब बच्चे स्नेह के सारे बंधन तोड़ दे
मैं भी तुम्हारी उदासीनता से परेशान होकर सो गई थी
पर जेसे ही तुमने मेरे लिए मोह दिखाया मैं उठ खडी हुई

हाँ में दिल्ली हू ,मैं बेहोश होकर सोती थी............
जबसे तुमने हुंकार भरी है मैं तुम्हारे देश प्रेम को पहचान गई हू
हाँ में बेहोश होकर सोती थी पर अब मैं जाग गई हू.


उम्मीद थी मुझे की एक दिन जरूर आएगा जब तुम आवाज उठाओगे
सबके बीच आकर खड़े हो जाओगे और मुझे एक नई सुबह दिखाओगे
मैंने बार बार पतन देखा है और क्रांति भी
हर युग में रावण देखे और राम भी
पर हर  दौर में ,मैं  क्रांति के ख्वाब संजोती थी

हाँ में दिल्ली हू ,मैं बेहोश होकर सोती थी............
अपने  ख्वाबों को तुम्हारी आँखों में देखकर मै फिर से निहाल हुई हू
हाँ में बेहोश होकर सोती थी पर अब मैं जाग गई हू.

Monday, August 22, 2011

झीनी झीनी उड़े रे गुलाल

झीनी झीनी उड़े रे गुलाल सवारियां के मंदिर में
झीनी झीनी उड़े रे गुलाल सवारियां के मंदिर में
मुरली वारो लागे रे प्यारो ,
 नाचे घणा नर नार सांवरिया  के मंदिर में
झीनी झीनी उड़े रे गुलाल  सांवरिया

आप सभी ने जन्माष्टमी की घनी घनी बधाइयाँ .लो आज फेर आई गई जन्माष्टमी  आज इज का दन बंसी बजैया, मनमोहन कान्हा ने जनम लियो थो,  म्हणे नानकडो (कान्हा का बाल रूप ) कान्हो   घनो भावे है .छोटी सी थी जदी ती छोटो सो कान्हो म्हारे में मन में रमी गयो .छोटा छोटा  हाथ ती माखन चुरातो ,बंसी बजातों कान्हो म्हारे मन ने घनो भलो लागे .कान्हा की थोड़ी सी लीला, ने भजन ,  वीडिओ आप लोगा के लिए इकठ्ठा करिया है .आसा करू हू की हगरा ने पसंद आवेगा...

मीठे रस से भरोई राधा रानी लागे ,राधा रानी लागे
माने कारो कारो जमुना जी रो पानी लागे

ना भावे माने माखन मिश्री ,अब ना कोई मिठाई
म्हारी जिभारियां ने भावे अब तो  राधा नाम मलाई
वृषभानु की ललिता ,गुन धानी लागे -गुण धानी लागे
रे म्हणे कारो कारो जमुना जी रो पानी लागे

राधा राधा नाम रटते ,हे जो नार आठों धाम
भवसागर से पार लगे राधा नाम राधा नाम
राधा नाम में सफल जिंदगानी लागे
म्हणे कारो कारो जमुना जी रो पानी लागे




शुरुआत कृष्ण जनम तीज करा  तो घनो ही अच्छो  रेगा
नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की


कृष्ण की बाल लीला को वर्णन करतो यो सुन्दर भजन
मैया मेरी मैं नहीं माखन खायो



यशोमती मैया से पूछे नंदलाला राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला


नटवर नागर नंदा भजो रे मन गोविदा

श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
बिना रंगाए मैं तो घर नहीं जाउंगी
 बीत जाए चाहे सारी उमरिया
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया


यो भजन म्हारा मन ने घनो भावे है
ओ  कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना दो तान


कान्हा को यो गानों घणा लोगा ने पसंद आवे हैं



यो एक और भजन जो घना लोग पसंद करे है
यशोदा का नन्दलाल ब्रिज का उजाला है


मनिहारी का भेष बनाया  श्याम चूड़ी बेचने आया

श्याम  तोरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करे मीरा को यूँही बदनाम

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो

भक्ति की भावना ती भरियो यो भजन घना लोग आरती के रूप में भी गावे है
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव

ने आज का समय में सब्ती ज्यादा सही लगवा वारो भजन  है
बड़ी देर भाई नंदलाला
तेरी राह ताके ब्रिजबाला

आप सभी ने एक बार फेर ती जन्माष्टमी की घनी घनी शुभकामना
जय श्री कृष्ण




Friday, August 19, 2011

हाँ मैं अन्ना नहीं हू

हाँ मैं अन्ना नहीं हू
मैं अन्ना नहीं हू पर अन्ना के आन्दोलन के साथ हू
मैं व्यक्तिवादी नहीं हू ना ही होने का विचार है
क्यूंकि इसी व्यक्तिवादिता ने देश को कई बार गर्त तक पहुँचाया है
अब फिर से उसी गर्त में जाने का साहस नहीं है मुझमे

मैं आम भारतीय हू जो गहरी नींद के बाद जागा है
जिसके लिए सिर्फ लोकपाल बिल पास होना ही महत्वपूर्ण नहीं है
बल्कि ये महत्वपूर्ण है की ये लोकपाल कही भ्रष्ट  ना हो जाए
इसके भी उपाय साथ में ही किए जाने चाहिए

मेरे लिए सिर्फ ये महत्वपूर्ण नहीं की मैं जाग गया हू,विद्रोह कर रहा हू
मेरे लिए ये भी महत्वपूर्ण है की,मेरा ये विद्रोह गलत दिशा में ना जाए
लोकपाल बिल पास होना मेरी मंजिल नहीं है
बल्कि ये तो सिर्फ एक पड़ाव है अगले विद्रोहों का

सिर्फ भ्रष्टाचार  ख़तम करना मेरा मकसद नहीं
भुकमरी,गरीबी ,बेरोजगारी सबको ख़तम करना चाहता हू
मैं आम भारतीय हू,नेता नहीं बनना चाहता
अब मैं अपने हक के लिए लड़ना चाहता हू

मैं समझ गया हू की नेताओं को मनमानी करने की छुट देकर मैंने गलती की
अब मैं किसी को अपने ऊपर चाबुक चलने की छूट नहीं दे सकता
ना कोई तानाशाह चाहता हू,मैं बस संघर्ष करना चाहता
हाँ मैं अन्ना नहीं हू पर अपने हक के लिए लड़ना चाहता हू


Thursday, August 18, 2011

अपने अन्दर के कायर को मार दो.

जंग में ना जा सको तो जाने वालों को आधार दो
नारे ना लगा सको समर में तो कम से कम शब्दों को तलवार दो
और कुछ ना कर सको तो , क्रांति को विस्तार दो
इस बार कम से कम अपने अन्दर के कायर को मार दो.


पथ प्रदर्शन नहीं कर सकते तो, भीड़ को आकार दो
भाषण नहीं दे सकते तो क्रांति गीतों को ही संवार दो
शब्द नहीं दे सकते तो अपनी सोच को विस्तार दो
पर ,इस बार कम से कम अपने अन्दर के कायर को मार दो.

ना सोचो की दुनिया क्या बोलेगी क्या सोचेगी
एक बार करो हिम्मत दुनिया पीछे पीछे चल देगी
अत्याचारों के कचरे को विरोध के झाड़ू  से झाड दो
पूर्ण हवन नहीं कर सकते तो देशभक्ति की एक आहुति ड़ाल दो
पर ,इस बार कम से कम अपने अन्दर के कायर को मार दो.

समर्थन नहीं कर सकते तो रोकने की प्रवत्ति टाल दो
थाम लो हाथ से हाथ और विरोधी को ललकार दो
भारतवासी हो तो भारत का कर्ज उतार दो
देल्ही नहीं जा सकते तो घर की छत  पर ही तिरंगा गाड़ दो
पर ,इस बार कम से कम अपने अन्दर के कायर को मार दो.

Wednesday, August 17, 2011

क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?

ये मेरे husband (lokesh mujawdiya)  की लिखी पंक्तियाँ है जो मैं आप लोगो के साथ शेयर कर रही हु

भ्रष्टाचार उठा रहा हुंकार मेरे देश में
आम आदमी झेल रहा सियासी वार मेरे देश में
सच्चाई की हो रही है हार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?



संविधान से रोज होता खिलवाड़ मेरे देश में
चोरों के सरदार बना लेते हैं सरकार मेरे देश में
और जब भ्रष्टाचार ही रह गया जीवन का आधार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?

अगणित होते हैं महिलाओं पर अत्याचार मेरे देश में
झूठों की होती है जय जयकार मेरे देश में
और जब बिक ही जाता है अच्छे अच्छे अच्छों का ईमान सरे बाज़ार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?

प्रधानमंत्री निर्दोष है.(व्यंग्यात्मक कविता )

भोला चेहरा ,साफ़ छवि आप अर्थशास्त्र के बॉस है
पर जाने क्यों ना लोग समझते प्रधानमंत्री  निर्दोष है.

घोटालों में देश लुट गया ,इनको कोई खबर नहीं
देश चल रहा अंगारों पर इनपर कोई असर नहीं
जन जन में आक्रोश भरा है पर ये जेसे बेहोश है
पर जाने क्यों ना लोग समझते प्रधानमंत्री  निर्दोष है.



जिसने घोटाला किया उसका पूरा जिम्मा उसपर डाल दिया
जनता ने सवाल किया तो बात घुमाकर टाल दिया
ऊपर से कहते हैं मैंने ना कोई माल लिया
चाहे सारे कर रहे हो पर ,मैंने ना भ्रष्टाचार किया

 सत्ता के  मद में ये होते जाते  मदहोश हैं
पर जाने क्यों ना लोग समझते प्रधानमंत्री  निर्दोष है.

बाबा को डंडों से पीटा, अन्ना को जेल में डाल दिया
जिसने भी आवाज उठाई उसका बुरा हाल किया
सत्ता के गलियारों में चलते टेढ़ी चाल है
महंगाई की मार के आगे पूरा देश बेहाल है

खुद की कार्यप्रणाली  पर इन्हें असीम संतोष है
पर जाने क्यों ना लोग समझते प्रधानमंत्री  निर्दोष है.

प्रधानमंत्री अपनी नीतियों से देश का भविष्य सुधारे है
पर ये तो कुछ भी ना करते एसे भी क्या बेचारे हैं
हमने भ्रष्टाचारियों पर की कार्यवाही बस बार बार यही ज्ञान दिया
देशवासियों मान भी लो इन ने हम पर अहसान किया

हर घोटाले पर कही छुप  जाते शर्म ना कोई शेष है
पर जाने क्यों ना लोग समझते प्रधानमंत्री  निर्दोष है.

Monday, August 8, 2011

सूर्यदेव नवग्रह मंदिर इंदौर suryadev navgrah temple indore

कुछ दिनों से कुछ नहीं लिखा .जानती हू जितना खालीपन में महसूस कर रही हू उतना मुझे रोज पढने वाले भी कर रहे होंगे .कुछ लोगो ने मेसेज भी दिया की लिखना बंद क्यों हैं...
तो आप लोगो को बता दू में इंदौर मे हू .अपने मम्मी पापा के पास आई हू  राखी के लिए.यहाँ आते है रविवार के दिन एक बहुत ही खूबसूरत मंदिर के दर्शन किए आज आप लोगो को भी वहा की सेर करवाना चाहती हू....जो खूबसूरत मंदिर मैंने देखा उतनी खूबसूरती से उसे कैमरे में कैद नहीं कर पाई पर फिर भी कोशिश की है की आप लोगो को भी इंदौर में नए बने हुए सूर्य- मंदिर के दर्शन करवा सकू....
  ये मंदिर इंदौर के प्रसिद्द अन्नपूर्ण मंदिर  से तकरीबन ४ किलो मीटर और वैशाली नगर से तकरीबन २ किलोमीटर दूर केट कालोनी के  पास स्थित है   .

मंदिर की विशेषता ये है की यहाँ नवग्रहों के मंदिर  के साथ ही नवग्रहों को शांत करने वाले देवताओं के मदिर है साथ ही मंदिर का मुख्या आकर्षण है सात घोड़ों पर स्वर सूर्य देव की विशाल प्रतिमा जो अपने आप में अनूठी है और इस तरह की कुछ ही प्रतिमाएं देश में है.


जेसे ही आप  मंदिर में प्रवेश करेंगे आपको एक बोर्ड मिलेगा जिसपर आपकी राशि के गृह स्वामी और और उस गृह के देवता का नाम मिलेगा साथ ही उस गृहस्वामी को केसे  प्रसन्ना किया जाए इसके उपाय मिलेंगे जेसे अगर आपकी राशि मेष है तो मंगल गृह के मदीर में ११ लाल मिर्ची चढ़ाए शीघ्र  लाभ मिलेगा....या आपकी राशि मकर है तो शनि देव को खड़ा नारियल चढ़ाए शीघ्र लाभ मिलेगा.
इस बोर्ड किए पास ही एक महिला छोटी छोटी थेलियों में विभिन्न प्रकार की दालें,नारियल ,अगरबत्ती ,प्रसाद ,लाल मिर्च ,तिल बेचती मिलेगी जहा से खरीदकर आप अपने  गृह देवता को प्रसन्न करने का सामान चढ़ा सकते है.वेसे ये सामान आप अपने साथ बाहर से भी लेकर जा सकते है....
 
 सूर्य मंदिर के ठीक बाहर एक और बोर्ड लगा है जो आप स्वयं देखे .सूर्य मंदिर के ठीक बाहर एक और बोर्ड लगा है जो आप स्वयं देखे .वेसे अगर आप चित्र में पढ़ पाने में सक्षम ना हो तो इस बोर्ड पर लिखा है :सूर्य मंदिर यहाँ हर रविवार तुलसी की पत्तियों द्वारा सभी बिमारियों का इलाज निशुल्क किया जाता है




इस मंदिर के दाहिनी तरफ आपको महागुरुओं की मूर्तियाँ  मिलेगी  जिनमे गुरु नानक ,गुरु बबल साईं,बाबा रविदास,गजानन महाराज,नित्यानंद जी शामिल हैं....














मंदिर के ठीक बाई और चन्द्र गृह का मंदिर और उनके देवता शिव भगवन का मदिर है.
यहाँ की शिवजी की पिंडी अर्धनारीश्वर  रूप में है जो कम ही देखने मिलती है.... 
इसके बाद आपको एक के बाद एक करके देवी सरस्वती,भगवन गणेश,(केतु के स्वामी),राहू,शनिदेव,हनुमान जी,मंगल देव,शनिदेव,लक्ष्मी माता सबकी मूर्तियाँ और मंदिर दिखाई देंगे.स्वयं दर्शन करने के मोह में आप लोगो के लिए ज्यादा सामग्री नहीं इकट्ठी कर पाई बस कुछ छायाचित्र है जो आप लोगो से शेयर कर रही हू. 

 केतु के  देवता श्री गणेश

   कुबेर देवता बुध के स्वामी 

  

शनिदेव की भी यहाँ ठीक शनि शिगनापुर जेसी मूर्ति विराजमान है ,काफी अँधेरे की वजह से वहा का चित्र ठीक नहीं आ पाया.पर भेरव जी महाराज का चित्र निकाल पाई हू ....जहा लोग शनि देव को चढ़ाया जाने वाला चढ़ाव चढाते है....

मंगल देव


शुक्र गृह और देवी लक्ष्मी का मंदिर

इस मदिर में एक और अदभुत मूर्ती दिखाई देती है जो है बगुलामुखी हनुमान जी की.वेसे बगुलामुखी हनुमान जी की कुछ और  मूर्तियाँ भी विभिन्न स्थानों पर  देखने मिल सकती है पर ये मूर्ति विशेष आकर्षण लिए हुए है.आप लोग इसे ठीक ढंग से देख पाए इसलिए थोड़ी बड़ी तस्वीर डाल रही हू 

बगुलामुखी हनुमान जी 


इससे अधिक चित्रों का संकलन कर पाना संभव नहीं हो पाया पर इस मंदिर में एक सूर्य कुंड भी है जिसमे स्नान करना उत्तम फलदायी मना गया है.
सभी देवी देवताओं के एक ही स्थान पर दर्शन करने के इच्छुक लोगो के लिए ये मंदिर बहुत ही अच्छा स्थान है.साथ ही साथ सूर्य देव की एसी सुन्दर प्रतिमा कोणार्क के बाद शायद इंदौर के सिवा कुछ ही स्थानों पर हो.
अभी के लिए फिलहाल इतना ही जल्दी ही आप लोगो से फिर मिलना होगा .इंदौर के किसी और स्थान या कुछ खट्टी मीठी बातों के साथ..... 


Tuesday, August 2, 2011

एक सच्चा किस्सा -प्रतिक्रिया अवश्य दें

चाहती हू इस बात को मन में ही दबा लू
पर क्या करू बार बार होंठों  पे आने को मचल रही है
अन्दर ही अन्दर जेसे घुटन हो रही है
मन में एक  दर्द सा हो रहा है.....

किस्सा बहुत आम सा है पर बात खास है....आज तक में मानती आ रही थी लड़कियां बहुत आगे बढ़ गई है. पढाई लिखाई ने उन्हें एक समझ दी है ,और ये बात सच भी है ,पर फिर भी कुछ लोग (महिलाए लड़कियां) असी है जिनने  सिर्फ पढ़ा है समझा नहीं चरित्र में उतारा भी नहीं. हमारे मालवा में एक कहावत है " भनियों है पर गुणियों कोणी "(अर्थात पढाई तो की पर उसे गुणों में नहीं उतारा ) ये कहावत हिंदी की उसी कहावत का पर्यायवाची मानी जा सकती है जो कहती है "पढ़े लिखे गंवार ".
ये किस्सा मेरे आस पास किसी के साथ घटित हुआ  और इस किस्से को सुनकर असा लगा जेसे लड़कियां और महिलाएं किस हद तक ओछी सोच रख सकती हैं.महिला सशक्तिकरण ,महिला विकास महिला शिक्षा जेसी सब बातें कुछ देर के लिए खोखली  सी लगने लगी .मन में ना जाने कितने सवाल उठने लगे.....

सच्चा किस्सा है ये पात्रों  के नाम नहीं बताउंगी आप लोगो को पर, जेसा का तेसा आप लोगो को सुना देना चाहती हू नाम पात्र सब बदल रही हू ताकि किसी तरह का कोई विवाद ना हो पर ये सत्यघटना है .हो सकता में ज्यादा प्रतिक्रियावादी हू  इसलिए यहाँ लिख रही हू या ये भी हो सकता है कुछ लोग इस किस्से  को आम बात माने पर मुझे आम बात नहीं लगी...पढ़कर आप लोग ही निर्णय लीजिए की आखिर क्या है ये.

हाँ तो ये किस्सा मेरी एक देल्ही में रहने वाली एम बी ए होल्डर एक प्राइवेट बैंक में कार्यरत सहेली के साथ घटित हुआ .गाव (गाव मतल बहुत छोटा गाव नहीं)से उसके सास ससुर और ३ ननद उन लोगो के पास कुछ दिन के लिए  रहने आए .पढ़े लिखे लोग है.खुद को सबसे ज्यादा समझदार भी मानते है.बाकि सारी  दुनिया को लगभग मुर्ख की श्रेणी में रखने में भी कोताही नहीं करते .बाहरी टिप ताप उनके लिए सब कुछ है एसा कहा जा सकता है.

हाँ तो एक छुट्टी के दिन मेरी सहेली घर में साफ़ सफाई के काम में लगी हुई थी.तभी उसकी ननद की सहेली घर आई जो वही दिल्ली में रहकर पढ़ रही थी .वो सारे बैठकर बातें करने लगे. मेरी सहेली अपना काम भी निपटाती जा रही थी और बातों में भी शामिल होती जा रही थी.तभी मेरी सहेली की सास ने आगंतुक लड़की से पूछा तुम कब शादी कर रही हो? लड़की ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया "घर वाले ढूंढ रहे हैं आंटी जब सही लड़का मिल जाएगा कर लूंगी" सास का जवाब था हाँ बात तो ठीक है.

मेरी सहेली फिर काम में लग गई तभी उसके कानों में आगंतुक की आवाज़ आई "क्या करें आंटी डर लगता है लड़के वाले ना जाने क्यों लड़कियों को प्रदर्शन की चीज समझते है जैसे उनकी ही इच्छाएं है लड़कियों की कुछ इच्छाएं कुछ मन नहीं(उसने एसा क्यों बोला मेरी सहेली नहीं समझी शायद वो किसी के साथ हुए बुरे व्यवहार के लिए बोल रही हो ) मेरी सहेली ने बीच में कहा " हाँ कई लोगो के साथ एसा होता है" .इसी के बीच में मेरी सहेली की तथाकथित पढ़ी लिखी ननद बोली लड़कियां  जाने एसा क्यों सोचती है यार बिचारे लड़के वाले भी तो अपना लड़का देते है ...इस बात की प्रतिक्रिया में आगंतुक ने जवाब दिया "काहे का लड़का देते है सिर्फ कुछ दिन के लिए अपना लड़का बिदा करके देखे तो उन्हें समझ आएगा की आखिर लड़की के माँ बाप का क्या दर्द होता है .और इस बात के जवाब में मेरी सहेली की ननद ने जो जवाब दिया वो चोकाने वाला था उसे सुनकर हर औरत को या तो गुस्सा  आएगा या शर्म आएगी की  इस बात पर की आज के ज़माने में महिलाएं एसा भी इस हद तक भी सोच सकती है "उसने कहा - हाँ तो क्या हुआ शादी करके घर लाते हैं तो उस लड़की को पालते  भी तो है, उसे जिंदगी भर खिलाते भी तो है ".आगंतुक ने थोडा विरोध किया और जब उसे लगा इन लोगो को समझाना मुश्किल है वो जल्दी जाना है बोलकर चली गई.आश्चर्य इस बात का है की मेरी सहेली की सास ने भी बात का विरोध नहीं किया जो खुद को प्रगतिवादी या काहे तो मॉडर्न  बताने से कही पीछे नहीं हटती  बल्कि दबे शब्दों में समर्थन किया .

मेरी सहेली जब मुझे बता रही थी उसकी आँख में आंसू थे बस बोलती जा रही थी बोली कनु देख ना घर बाहर सब काम देखती हू ,पति का हर कदम पर साथ देने की कोशिश करती हू पर देख ना केसी मानसिकता वाले लोग मिल गए है मुझे .हर बात में ये लोग इसी मानसिकता के साथ सोचते है.

बाकि बातें आप लोगो को नहीं बताउंगी क्यूंकि उसके जीवन को सार्वजनिक करने का मेरा इरादा नहीं है में बस इस किस्से पर आप सभी पाठकों की प्रतिक्रियां जानना चाहती हू . किस्से के साथ अपनी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहती क्यूंकि तब क्यूंकि मेंपात्र को स्वयं जानती हू इसलिए शायद अतिश्योक्ति कर दू.आप लोगो को क्या लगता है क्या कहा जाना चाहिए एसी मानसिकता के लोगो को जो खुद को मॉडर्न कहते है पर अपनी बहुओं के लिए एसे विचार रखते है ?