Friday, September 9, 2011

ये कैसा भारत निर्माण है ? ye ksa bharat nirmaan hai?



अश्रु  बहते है आँखों से ,मन को ना विश्राम है
चारों तरफ लहू बह रहा ये कैसा भारत निर्माण है ?

बम के धमाको से दहला भारतवासी  कराह रहा
शरीर के परखच्चे देखकर आतंकवाद  दहाड़ रहा
                                                  क्रंदन से कांपी है धरती ,हर गली चोबारा खाली है
                                                  हर कोई आशंकित है बड़ी विपदा आने वाली है

इंसानों का खून पीने को तत्पर दिखता शेतान है
चारों तरफ लहू बह रहा ये कैसा भारत निर्माण है ?

खून की बारिश का मंजर कितनी ही आँखों ने देखा
मृत्यु से फिर हार गई हाथों की लम्बी  जीवन रेखा
बूढ़े कन्धों  ने फिर  जवान बेटों की करी विदाई
कोई परिजनों को ढांढस  दे  मातम की बेला आई

कल तक जो जीवन परिमल  था आज बना संग्राम है
चारों तरफ लहू बह रहा ये कैसा भारत निर्माण है ?

"स्कूल चले हम" का नारा अब लगता बेमानी है '
छोटे छोटे बच्चो की भी ,  अर्थी की तैयारी है
मौत का मंजर आए दिन कई दिलों को सूना करता है
बच्चे घर की छत  पर भी खेले तो माँ का मन आशंका से डरता है

काल के मुह का ग्रास बन रहे जो बेकुसूर, नादान है
चारों तरफ लहू बह रहा ये कैसा भारत निर्माण है ?

किसी का भाई, किसी का बेटा, किसी की माँ चली गई
मुआवजा देकर जानों का कर ली कर्तव्य  की इति श्री
जीवन की कीमत हुई सस्ती ,क्या पैसा ही भगवान है ?
जिनसे अपने बिछुड़  गए उनके भावों ना कोई मान है

लाशों के ढेरों पर बैठा वो बस देता सांत्वना बयान है '
चारों तरफ लहू बह रहा ये कैसा भारत निर्माण है ?

आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

13 comments:

Bharat Bhushan said...

कोई घिसे-पिटे ब्यान देता है, कोई रथयात्रा की तैयारी में है. सभी राजनीतिज्ञों का चेहरा एक है. ये लाशों की राजनीति करते हैं.

Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन।

सादर

Suresh kumar said...

लाशों के ढेरों पर बैठा वो बस देता सांत्वना बयान है '
चारों तरफ लहू बह रहा ये कैसा भारत निर्माण है ?
.....बेहतरीन....

रेखा said...

सही कहा ....ये कैसा निर्माण है .....

रविकर said...

आपको बहुत बहुत बधाई --
इस जबरदस्त प्रस्तुति पर |

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत बढिया
शुभकामनाएं

S.N SHUKLA said...

खूबसूरत रचना , आभार

प्रवीण पाण्डेय said...

देश को भी निश्चय ही अच्छे दिन देखने को मिलेंगे।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

मृत्य से फिर हार गयी हाथों की लम्बी जीवन रेखा....
सार्थक भावप्रवण रचना...

देश से आतंक मिटे... शान्ति आये.... यही प्रार्थना...
सादर...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक लिखा है .. सच ही भरत निर्माण पर मंथन करना चाहिए

vandana gupta said...

सही कहा ....ये कैसा निर्माण है ?

Sunil Padiyar said...

Absolutely spot on! Ye kaisa bharat nirmaan hai... Beautifully composed!!

Unknown said...

its really touching. Atlast a common man is suffering from this system