कही बिक जाए गम तो बेचकर खुशियाँ खरीद ले
कुछ पूँजी जमा हो जाए यादों के सफ़र के लिए.
वो जो कहते हैं माँ का साथ कभी छूटता नहीं .
वो लाकर दे मेरी माँ की लोरी हर रात बाकि सफ़र के लिए .
सोने के सिक्कों से गर सब ख़रीदा जा सकता है दुनिया में
मेरे बचपन की दुनिया ला दे मुझको रहगुजर के लिए
जिन्हें लगता है महबूब की मोहब्बत ही दुनिया है
मेरे बाबा (पिता ) के लाड देख ले वो रूककर पल भर के लिए .
बड़े इत्मीनान से जो सो जाते है कल की सुबह की खातिर
जरा सोचे किसे गम के आंसू दिए हैं रात भर के लिए .
मेरा मुस्तकबिल तेरे मुस्तकबिल से जुड़ भी जाता शायद (भविष्य )
ना जाने किसने मुक़र्रर की जुदाई उम्र भर के लिए
तुझे मेरी मोहब्बत पर यकीन भी तब हुआ
जब इन्तेजार का वक़्त ना बचा तेरे मुन्तजिर (इन्तेजार करने वाला) के लिए .
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
कुछ पूँजी जमा हो जाए यादों के सफ़र के लिए.
वो जो कहते हैं माँ का साथ कभी छूटता नहीं .
वो लाकर दे मेरी माँ की लोरी हर रात बाकि सफ़र के लिए .
सोने के सिक्कों से गर सब ख़रीदा जा सकता है दुनिया में
मेरे बचपन की दुनिया ला दे मुझको रहगुजर के लिए
जिन्हें लगता है महबूब की मोहब्बत ही दुनिया है
मेरे बाबा (पिता ) के लाड देख ले वो रूककर पल भर के लिए .
बड़े इत्मीनान से जो सो जाते है कल की सुबह की खातिर
जरा सोचे किसे गम के आंसू दिए हैं रात भर के लिए .
मेरा मुस्तकबिल तेरे मुस्तकबिल से जुड़ भी जाता शायद (भविष्य )
ना जाने किसने मुक़र्रर की जुदाई उम्र भर के लिए
तुझे मेरी मोहब्बत पर यकीन भी तब हुआ
जब इन्तेजार का वक़्त ना बचा तेरे मुन्तजिर (इन्तेजार करने वाला) के लिए .
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
23 comments:
मेरा मुस्तकबिल तेरे मुस्तकबिल से जुड़ भी जाता शायद
न जाने किसने मुकर्रर की जुदाई उम्र भर के लिए
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति और सुंदर रचना.
बेहतरीन ||
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ लिखी हैं।
Beautiful thoughts,very well written....
सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
वाह जी सुंदर
कनु जी आपकी ये सुंदर रचना ऑरकुट पे पोस्ट कर रहा हु आपके नाम और लिंक sahit
मन से निकली भावनाएं ...खूबसूरती से लिखी हैं ..अच्छी प्रस्तुति
मन के कोमल भावो को खूबसूरती से संजोया है।
बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
वाकई ये लाईन तो बहुत ही बढिया कही कि
कहीं गम बिकते होते...
जुर्म क्या? ये सजा क्यों है?
मन की भावनाओं की स्पष्ट अभिव्यक्ति ... दिल को छूती हैं ...
बहुत खुबसूरत ............कुछ शेर बढ़िया लगे|
बहुत ही बढ़िया
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
कल 23/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
मेरा मुस्तकबिल तेरे मुस्तकबिल से जुड़ भी जाता शायद
न जाने किसने मुकर्रर की जुदाई उम्र भर के लिए...
सुन्दर... वाह...
सादर...
बहुत बढ़िया बहुत उम्दा !हर शेर लाजबाब है ! पहली बार पढ़ रही हूँ आपकी रचना !चलिए जुड़ रही हूँ आपकी श्रंखला में !
मेरा मुस्तकबिल तेरे मुस्तकबिल से जुड़ भी जाता शायद
न जाने किसने मुकर्रर की जुदाई उम्र भर के लिए
हर शब्द गहरे उतरते हुये .. बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
sabhi naw aagantukon ka swagat hai aur jo hamesha se aate rahe hai unka bahut bahut dhanyawad
bahut hi behtareeen aur dil ko chhu jane wali bhavnaaye...kahin na kahin har kisi ki life ki yehi kahaani hai....!!!bahut hi behtareeen aur dil ko chhu jane wali bhavnaaye...kahin na kahin har kisi ki life ki yehi kahaani hai....!!!
बेहतरीन प्रस्तुती....
bahut hi badiya varnan kia hai shabdo se bhawnao ka.....sacchi dil ko chu lia aapne
A topic near to my heart thanks, ive been wondering about this subject for a while.
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