Friday, September 2, 2011

मेरी मोहब्बत -my love

after a long time i write a poem of love with urdu words...hope all of you like this...

वही चेहरा वही आँखें वही सूरत निकली
मैंने जो दिल में बसाई थी वही मूरत निकली
तुम आए  तो आँखों को भी यकीं भी  ना हुआ
मेरे ख्वाबों की हर ताबीर  हकीकत निकली



तेरे लिए हर बार यही सोचकर करती हू दुआ
हर दुआ खुदा की रूह से होकर निकले
अपने चेहरे को देखने की लिए जब देखा आइना
मेरे चेहरे पर तेरे अक्स  की चादर निकली

तेरे होने के हर अहसास को छुना चाहू
मै तेरी मोहब्बत  में इस कदर पागल निकली
दूर होकर भी तुझे रूह में महसूस करू
मै मशर्रत (ख़ुशी) से भटकी हुई मुसाफिर निकली

मेरा जिक्र -ऐ -फ़िराक होने लगा है लोगो में (मोहब्बत का जिक्र )
में तेरी रुसवाई -ए-उम्मत की वजह निकली (समाज में बदनामी  )
तुझे चाहकर जेसे छोड़  दिया दुनिया को
में दुनिया के फुरकान से थोडा हटकर निकली (फुरकान -standard -criterion-परिपाटी  )

19 comments:

Shalini kaushik said...

कनु जी बहुत खूब आपकी ये प्रतिभा तो अब तक हमसे छिपी थी आज जाने की आप बहुत शानदार ग़ज़ल भी लिखती हैं .आभार उर्दू के नए शब्द देने के लिए.

induravisinghj said...

चलो थोड़ा रूमानी हो जाएं...
सुंदर रचना.

shvetilak said...

Aah! it's so ramantic! really nice one :)

प्रवीण पाण्डेय said...

हटकर दुनिया की राहों से एक मेरी भी पगडण्डी है।

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर...!!!

Bharat Bhushan said...

दूर हो कर भी तुझे रूह में महसूस करूँ
मैं मसर्रत से भटकी हुई मुसाफिर निकली
क्या बात है!! बात का अंदाज़ नया निकला और खूब कहा है.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 05-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

S.N SHUKLA said...

सुन्दर और सार्थक रचना, सुन्दर भावाभिव्यक्ति आभार .

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

behataarin rachna...bahut accha karti hain jokathin urdu ke shabdon ka arth bhi sat mein likh deti hain isse urdu ki bhi jaankari mil jaati hai...badhay ..mere blog per bhi aapka swagaat hai

vidhya said...

bahut sundar rachana
http://bachpankedin-vishy.blogspot.com/
http://sarapyar.blogspot.com/

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

kanu..... said...

dhnayawad vandana ji,vidhya mishraji,bhushan ji,shukla ji,pandey ji,shveta, shalini ji,mrs singh

chitra said...

nice wordings..

Sunbyanyname said...

Very nicely written

संजय भास्‍कर said...

कनु जी आपके शब्दों का चयन कमाल का है
बिल्कुल आपकी कोमल भावनाओं जैसा....!

vijay kumar sappatti said...

पहली बार शायद आया हूँ , आपके ब्लॉग पर , आपकी रचनाये पढकर बहुत अच्छा लगा , और ये कविता तो प्रेम के अहसासों से भरी हुई है .. आपको बधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

Sunil Kumar said...

बहुत खुबसूरत अहसास , अच्छा लगा , बधाई

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " said...

सुन्दर प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई ...
कोसीर... ग्रामीण मित्र !

Rajendra Raikwar said...

very very very nice......