Wednesday, January 11, 2012

तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है ........

parwaz:hindi kavita
सारे सुर फीके लगते है
भाता कोई मीत नहीं है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है

सांझ  में दिखती ना लाली
चंदा की चुनर भी काली
फूल लगे जैसे कुम्हलाए
बेकस मन को क्या समझाए



तड़प तड़प  कर याद करे बस
दुखते मन की रीत यही है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है

साहिल पे आकर लहरें भटके
कही नेपथ्य में नैना अटके
कोई मुसाफिर बंजारा सा
भटका पंछी आवारा सा

खुशियाँ आने से घबराएं
गम होकर बैठे ढीठ यही है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है ........

15 comments:

Kunal said...

atisunder :-)

vidya said...

वाह वाह...
बहुत सुन्दर..
ये तो संगीत भरा गीत बन गया..तुम नहीं तो क्या...

प्रवीण पाण्डेय said...

वियोग भी गीत बना देता है..

प्रेम सरोवर said...

आपकी कविता का भाव अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

कनु जी,वाह वाह !!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन गीत
welcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--

Atul Shrivastava said...

विरह का बेहतरीन चित्रण।

Anonymous said...

बहुत खूबसूरत |

Pallavi saxena said...

सुंदर गीत ...

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।


सादर

Yashwant R. B. Mathur said...

आपको लोहड़ी हार्दिक शुभ कामनाएँ।
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कल 13/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

श्यामल सुमन said...

एक अच्छे भाव की सफल प्रस्तुति - सुन्दर
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति .. सुन्दर गीत

Rajesh Kumari said...

virah ka bahut achcha geet me dhalkar chitran kiya hai.shubhkamnayen.

Kailash Sharma said...

बहुत ख़ूबसूरत गीत...

Anonymous said...

I must say I really like it. Your imformation is usefull. Thanks for share