Sunday, January 15, 2012

जोगन से डर लगता है

तुमसे ऐसा मोह पड़ा
निर्मोही जीवन से डर लगता है
मुझे सौतन से डर नहीं पिया
बस जोगन से डर लगता है

जिसका परदेसी जल्दी आऊंगा
 कहकर उसको लौट  गया
पहले गहन प्रेम साधा
फिर निरा अकेला छोड़ गया
वो सर्द निगाहों से हमको देखे
आहों से अपना मन सेके
प्रेम  दर्द की मारी हुई
उस विरहन से डर लगता है
मुझे सौतन से डर नहीं पिया
बस जोगन से डर लगता है

तुम वन के स्थिर बरगद हो
मैं चंचल कोमल सी हिरनी
मैं सागर सा उन्माद लिए
तुम हो जैसे धरती धरनी
तुम संग  स्थिर होना  चाहू
इस आवन जावन से डर लगता है
मुझे सौतन से डर नहीं पिया
बस जोगन से डर लगता है

हर फूल पर भवर मंडराए
कलियों का रस लेकर उड़ा चले
प्रेम का नकली रंग भरे
आवारा पंछी बहुत छले
जो तेरा प्रेम ना बरसाए
उस सावन से डर लगता है
मुझे सौतन से डर नहीं पिया
बस जोगन से डर लगता है

आईने भी सौदाई हुए
बिखरे बिखरे अक्स दिखाते है
मायाजाल के रंग दिखाकर
हर सीता का मन भरमाते हैं
कोई मुझको तुमसे ना दूर करे
आंसू से जीवन नहीं भरे
गली मोहल्लों में फेले
हर रावन  से डर लगता है
मुझे सौतन से डर नहीं पिया
बस जोगन से डर लगता है

आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

16 comments:

vidya said...

वाह वाह....
बहुत बढ़िया भाव और बेहतरीन बहाव है आपकी कविता में...
बहुत सुन्दर.

Atul Shrivastava said...

गहरे भाव.....
बेहतरीन अभिव्‍यक्ति।

अनुपमा पाठक said...

बहुत बहुत सुन्दर!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह!!!!बहुत सुंदर रचना अच्छी लगी.....
new post--काव्यान्जलि --हमदर्द-
आपभी समर्थक बने तो मुझे खुशी होगी,...

प्रवीण पाण्डेय said...

मन की भावनाओं को व्यक्त करने का सर्वथा नया तरीका...

Anonymous said...

शानदार और बेहतरीन|

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

सकारात्मक प्रेम की निर्झरिणी, अति सुंदर,वाह !!!

Nirantar said...

"गली मोहल्ले में फैले
हर रावण से डर लगता है
मुझे सौतन से नहीं बस पीया
जोगन से डर लगता है"
अच्छी रचना नया पन लिए हुए

प्रेम सरोवर said...

आपका यह पोस्ट अच्छा लगा । । मेरे नए पोस्ट "हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

Shah Nawaz said...

वाह! अति सुन्दर!!!

Anonymous said...

Just wanted to say that you have some awesome content on your website!

स्वाति said...

बहुत ही बढ़िया...शानदार....सच ही है जोगन से दर लगता है....

vandana gupta said...

बेहद उम्दा प्रस्तुति।

***Punam*** said...

एक नारी की कोमल भावनाएं...
जिसमें प्रेम,विरह,डर,समर्पण सब है....
बहुत सुन्दर..

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

man ke bhavon ko behad hee khoobsurti ke sath vyakt kiya hai...bhavon ka prabah bhee shaandaar hai...sadar badhayee..holi kee shubhkamnaon aaur apne blog par amantran ke sath

Saras said...

कनुप्रियाजी ... अभिव्यक्ति अच्छी लगी