Monday, October 10, 2011

कहाँ तुम चले गए ?सुबह से आँख में नमी सी है jagjeet singh we will miss you

जगजीत सिंह अपने साथ भारत की न जाने कितनी ही जिंदगियों के अकेलेपन का सहारा ले गए,न जाने कितने  मोह्हबत भरे दिलों की आवाज़ ले गए,न जाने कितने दिलों की दर्द से लड़ने का माद्दा ले गए ,जाने कितने प्रेमियों के पहले प्रेम के अनुभव का एक हिस्सा खोखला कर गए ,जाने कितनी रातों  को  संगीत से ख़ाली कर गए और हजारों दिलों में बस यादें दे गए यादें जो दिलों में हमेशा महकती रहेगी...और खालीपन जो हमेशा सालता रहेगा और गज़लें जो हमेशा दिलों पर राज़ करेगी और याद दिलाती रहेगी वो आवाज़  जो कल तक हमारे आस पास से आती थी पर अब शायद कही दूर से गूंजेगी...... .कहाँ तुम चले गए क्यों तुम चले गए.....


कहाँ तुम  चले गए ?तुम थे तो
किसी को देखकर ख्याल आता था "जिंदगी धुप तुम घना  साया"
जब सामने कोई आ जाता था तो ना जानिए क्या हो जाता था
और हजारों ख्वाहिशें थी जिन पर दम निकल जाता था

तुम थे तो कागज़ की कश्ती  भी प्यारी प्यारी लगती थी
और परदेश में रहकर भी देश के चाँद से यारी रहती थी
उनके आने की खबर महकने से खुशबुओं से घर महकता था
और झुकी झुकी सी नजर बेक़रार हुआ करती  थी

तुम थे तो पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल जानता था हमारा
और हर शाम किसी के आने की खबर मेहका करती थी
हम सोचा करते थे "तेरे बारे में जब सोचा नहीं था तो मैं तनहा था मगर इतना नहीं था"
और तमन्ना फिर मचल जाए अगर वो मिलने आ जाए

तुम थे तो हम चलते फिरते कह देते थे "मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हे हो जाएगा"
और किसी के मिलने आने की बात से ही तम्मना फिर मचल जाती थी"
तुम थे तो सरकते जाते थे रुख से नकाब आह्स्ता आहिस्ता
और आईने जैसे चहरे हुआ करते थे

तुम थे तो किसी के मुस्कुराने पर गम छुपाने की बात मन में आती थी
और दिल में दबी फरियादें भी आँखों में दिख जाती थी
कोई होंठो से छु लेता था तो गीत अमर हो जाते थे
और शाम से ही आँख में नमी सी आ जाती थी

किसका चेहरा अब हम देखे उन गजलों के लिए
तेरी आवाज़ दिल में बस गई उम्र भर के लिए
बिन चिट्ठी बिन सन्देश कहाँ  तुम चले गए
पर जाते जाते तुम हमें अच्छी निशानी दे गए

अब तो बस यही कह सकते है
शाम से आँख में नमी सी है
सदमा तो है मुझे भी की तुझसे जुदा हू मैं
पर हाथ छूटे तो भी रिश्ते नहीं टूटा करते
इसलिए बस चाक जिगर के सी लेते हैं जेसे भी हो जी लेते हैं.....
क्यूंकि अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं...


आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

10 comments:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.



परमपिता से प्रार्थना है -
दिवंगत आत्मा को परमशान्ति प्रदान करे …
और उनके सब चाहने वालों को उनके जाने के दुःख को सहन करने की सामर्थ्य और शक्ति दे …



राजेन्द्र स्वर्णकार

Yashwant R. B. Mathur said...

महान गायक जगजीत सिंह जी को हार्दिक श्रद्धांजलि।

सादर

डॉ. मोनिका शर्मा said...

विनम्र श्रद्धांजलि...... सच आज मन बहुत व्यथित है......

vandana gupta said...

विनम्र श्रद्दांजलि।

abhi said...

श्रद्धांजलि!!!

Sadhana Vaid said...

इस मधुर आवाज़ को कभी भूल नहीं पायेंगे ! विनम्र श्रद्धांजलि !

nikhil aanand giri said...
This comment has been removed by a blog administrator.
nikhil aanand giri said...

''हमारी भी टीस इसमें शामिल है...'

Anonymous said...

मेरे पसंदीदा गायकों में से एक जगजीत साहब....उन्होंने जो गाया वो अमर कर दिया...मेरी श्रद्धांजलि उनको| और खूबसूरत अल्फाजों में आपने अपनी बात कही है |

दिगम्बर नासवा said...

एक युग की समाप्ति हुयी है जगजीत जी के साथ ... श्रधांजलि है ..,