Tuesday, October 11, 2011

क्यों? why?

प्यार किया तो प्यार किया, बना दिया अफसाना क्यों
तुम बदले या हम बदले अब ये सब गिनवाना क्यों ?

दोनों का ये साझा है ,बस अपना इसे बताना क्यों
तुम पहले या हम पहले इन बातों पर अड़ जाना क्यों ?

अश्क दिल में है तब तक ओंस है पानी इन्हें बनाना क्यों
मोती बन जाने दो इनको ,दुनिया को दिखलाना क्यों?

जब कह दिया तो कह दिया दिल की बात छुपाना क्यों
शब्दों से दिल को जीतो तीर उन्हें बनाना क्यों?

शमा जली तो अपनी लौ मैं जला दिया परवाना क्यों
प्रेम अपनों से भी हो सकता है चाहिए दीवाना क्यों ?

जो चला गया वो चला गया रह रह कर उसे बुलाना क्यों
नए स्नेह का पौध लगाओ घावों को सहलाना क्यों  ?

मन निर्मल है तो निर्मल है  लोगो को समझाना क्यों
पाप पश्चाताप से धुल जाते फिर गंगा के तट जाना क्यों ?

कल  गुलाब भी मिलेंगे आज काँटों से डर जाना क्यों
राहों पर जब चल दिए तो फिर लौटकर  वापस आना क्यों ?

गारे का घर भी सुन्दर है ईटों से सर टकराना क्यों
परदेसों में मन पत्थर है अपना देश भुलाना क्यों?

कोई पागल प्रेम के पीछे किसी को धन का नशा चढ़ा
जब सारे के सारे पागल है तो खोले पागलखाना क्यों ?

आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

26 comments:

S.N SHUKLA said...

सुन्दर प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें

Mahesh Barmate "Maahi" said...

bahut sundar :))

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही रोचक।

अजय कुमार said...

bahut badhiyaa ,waah

Kailash Sharma said...

बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..

शारदा अरोरा said...

Kanu ji , ek flow hai rachna me ....achchha likha hai ...

Pallavi saxena said...

वाह शब्दों से दिलो को जीतो लो,
तीर इन्हें बनाना क्यूँ...
बहुत सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति....
समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com

shvetilak said...

beautifully written kannu :)

induravisinghj said...

Beautiful....

रविकर said...

बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति ||
बधाई महोदया ||

Prem Prakash said...

खुबसूरत प्रस्तुति... बधाई..! ! !

Manish Khedawat said...

sunder
rochak prashtuti :)

सदा said...

वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

Anonymous said...

सुन्दर भावों को दर्शाती एक सुन्दर पोस्ट|

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

क्या बात है! वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई

abhi said...

प्यारी सी कविता!

रश्मि प्रभा... said...

behtareen ehsaason ko sanjoya hai... ise lock n rakhen , vatvriksh ke liye rachnayen le sakun iske liye -
rasprabha@gmail.com per sampark ker sakti hain

Smart Indian said...

लोगों को समझाना क्यों?
वाह, इस एक वाक्य ने ही कमाल कर दिया, वैसे तो पूरी कविता अच्छी लगी।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही अच्छी बात कही आपने।

सादर

आशा बिष्ट said...

bahut pyari kavita hai ...ek line me apni dena chahungu
IN KHUSK PATTIYO KI BHID ME
MAN YE AONS SA AAYA HI KYUN.
WOH EK DIN KA ISHQ TERE LIYE
MERE KHAYALO ME AAYA HI KYUN...!

अनुपमा पाठक said...

बड़े सार्थक प्रश्नों से बुनी गयी रचना!

Maheshwari kaneri said...

बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..सार्थक पोस्ट....

अरुण चन्द्र रॉय said...

बहुत डूब कर लिखती हैं आप. बहुत सुन्दर.

Sunil Padiyar said...

atee sundar :)

Sash said...

बहुत खूबसूरत और अर्थपूर्ण अभिव्यक्ती!!

दिगम्बर नासवा said...

अपने देश को कौन भुलाना चाहता है ... पर परदेस जाना हर बार ऐसा तो नहीं ... लाजवाब रचना है आपकी ..