मुझे खुद से बस एक ही तकलीफ रहती है
तू जब सामने नहीं होता तभी करने को बातें खूब रहती है
मैं तुझसे दूर रहकर भी अकेले चल ही लेती हू
पर तेरा साया नहीं होता तभी दुखों की धूप रहती है
तेरे बिन ज़माने की बातें सुनना हो जाता है मुश्किल
तेरे होने से जिंदगी थोड़ी महफूज रहती है
तेरे होने से जिंदगी थोड़ी महफूज रहती है
बदलते वक़्त के संग मोहब्बत के रंग बदल गए
बदल जाएगा ये मौसम यही उम्मीद रहती है
किसी को दर्द देने के बहाने लाख होते है
थोड़ी सी मुस्कराहट देकर देखो ख़ुशी महफूज रहती है
हमेशा ना ही करना सबसे आसान पहलु है
एक कदम तो बढाओ कदमो में जन्नत रहती है
कोई किसी के बिन नहीं मरता ये कवडा सच है दुनिया का
मगर अपनों के संग ही तो जिंदगी जेसे महबूब रहती है.
किसी को दर्द देने के बहाने लाख होते है
थोड़ी सी मुस्कराहट देकर देखो ख़ुशी महफूज रहती है
हमेशा ना ही करना सबसे आसान पहलु है
एक कदम तो बढाओ कदमो में जन्नत रहती है
कोई किसी के बिन नहीं मरता ये कवडा सच है दुनिया का
मगर अपनों के संग ही तो जिंदगी जेसे महबूब रहती है.
सिर्फ साँसों का चलना ही अगर जिंदगी की शर्त बन जाए
तो मान लो हर शख्श में इक लाश रहती है
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
5 comments:
बेहतरीन पंक्तियाँ...
Beautiful....
wah........achhi ghazal hai....kahin-kahin misre bahar aur wazan me nhi hain...achha laga.KEEP IT UP.
बहुत खूबसूरत अहसास समेटे ये ग़ज़ल लाजवाब है |
uff! dil jeet liya aapne...bahut sundar abhi vyakti!
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