Thursday, October 13, 2011

यादों में मिलते हैं..

parwaz:yadon me milte hain

फिकर ये नहीं की वो दूर हो गए हमसे
फ़िक्र ये है की हम आज भी उनकी यादों में मिलते हैं..
उनकी आँखें आज भी नम हो जाती है हमारे लिए
दर्द के निशान आज भी बातों  में मिलते है

दोस्त  भी आजकल काम में मसरूफ हो गए
रूबरू मिल नहीं पाते ,देर रात के ख्वाबों में मिलते है

वो मोहब्बत के किस्से जो कभी मशहूर थे गुलशन में
फूल बनकर तहखाने की  बंद किताबों में मिलते है

माँ से मिले हुए जब अरसे बीत जाते है
उसके आंसू रात भर मेरी आँखों में मिलते हैं

 जिन्हें दिन के उजालो  ने बर्बाद कर दिया
वो फ़रिश्ते आजकल चांदनी रातों में मिलते है

वो खुदा जिसको ढूढ़ते फिरते हो फिजाओं में
उसके अंश गरीबों की दुआओं में मिलते है

वो खूबान* जो कभी मेरी रूह  का हिस्सा थी
आजकल उनसे हम यादों  की पनाहों में मिलते है..

वो अपने जो गले मिलकर दुआ सलाम करते थे
आजकल  दूर रहते है ज़रा  फासले से मिलते है
ज़माने के दस्तूर सीखकर  आबदार* हो गए
जिन्दादिली से नहीं सिर्फ दुनियादारी से मिलते है

1)खूबसूरत औरत २)polished दिखावटी
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
कनुप्रिया 

15 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही अच्छा लिखा है कनु जी आपने।

सादर

रविकर said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बहुत बहुत बधाई ||

http://dineshkidillagi.blogspot.com/2011/10/blog-post_13.html

Sunil Padiyar said...

Kya baat hai kaanu jee.. bohot hi unnda kavita hai ye.. Behat khushi aur bhavuk hogaya hoon main..

Pallavi saxena said...

सार्थक एवं शानदार प्रस्तुति ....
समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपजा स्वागत है।
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

Anonymous said...

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल |

upendra shukla said...

AAPKI YE POST BHI BAHUT ACCHI HAI
MENE AAPKA COMMENT MERE ANUBHAV BLOG PAR DEKHA MUZHE BAHUT HI ACCHA AAPKA WAH COMMENT LAGA POST KE BAARE ME ISI LIYE AAPKE BLOG PAR BHI AA GAYA
PLEASE COME ON THIS BLOG
"SAMRAT BUNDELKHAND"

आशा बिष्ट said...

jinhe din ke ujalo ne barbaad kiya
wo farishte aajkal chandani raton ko milte hain....
BAHUT SUNDAR PANKTIYAN.......

S.N SHUKLA said...

सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.

प्रवीण पाण्डेय said...

बिछड़ बिछड़ कर वापस मिलना...दर्द हृदय दे जाता है।

induravisinghj said...

बहुत ही सुंदर...

देवेंद्र said...

दोस्त भी आजकल काम में मसरूफ हो गए
रूबरू मिल नहीं पाते ,देर रात के ख्वाबों में मिलते है

अब रिश्ते कुछ ऐसे ही मात्र रूमानियत व ख्वाबों के ही मुहताज हो गये हैं।रिश्तों के बीच जमीनी फासले नापने मे कदम नाकाफी व लाचार महसूस करते हैं।सच बयान करती गजल।

abhi said...

खूबसूरत शायरी!!

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... दिल में उतर जाए हैं कुछ शेर तो ... कमाल का लिखा है ...

Amrita Tanmay said...

अच्छा लिखा है..

Anonymous said...

Very informative post. Thanks for taking the time to share your view with us.