आज की ताज़ा खबर वित्त मंत्रालय में जासूसी ...सुबह से हर टी वी चेनल पर यही खबर सुनाई दे रही है सही भी है जब कांग्रेस के धुरंदर नेता प्रणव मुखर्जी के विभाग में १६ जगह जाकर कोई चुइंग-गम चिपका आए तो उनका गम में आ जाना लाजमी है .मुझे लगता है की कोई बड़ा उत्सुक हो रहा है ये जानने के लिए की वित्त मंत्रालय में बंद दरवाजो के पीछे क्या हो रहा है ?
गौर फरमाने की बात है की जांच एजेंसी का कहना वो गोंद जैसा कोई पदार्थ है शायद चुइंगगम.कहा जा रहा है प्रणब मुखर्जी ने ७ जून को प्रधान मंत्री को इस सम्बन्ध में पत्र लिखा .उन्हें शक है की कोई उनकी जासूसी करवा रहा है....बात तो सही है शायद उनके पास छुपाने जेसा कुछ है वेसे देखा जाए तो बहुत कुछ है आखिर देश का वित्त मंत्रालय है पर बिचारा चुइंगगम खाने वाला क्या जाने ये सब बातें उसने तो खाई और जहा मन आया वह चिपका दी अब वो चाहे हमारे वित्तमंत्री का कमरा ही क्यों न हो.वेसे भी मुखर्जी साहब आन्दोलन करने वालों पर लाठी चलवा सकते है पर चुइंग-गम खाने वालों को केसे रोकें?
बड़ी अजीब बात है कोई वित्त मंत्रालय में जाता है और जाकर चुइंग-गम चिपका आता है(या शायद जासूसी कैमरे ) नहीं नहीं में यहाँ हमारी सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल नहीं उठाने वाली क्यूंकि उन पर सवाल उठाने के लिए बहुत लोग है हम तो यहाँ बात करेंगे की जो अन्दर तक गया शायद उसके मन में ये हो की नेताओं तुमने हमें इतने गम दिए जिन्हें हम आजादी के बाद से चबाते जा रहे है पर वो ख़तम ही नहीं होते तो लो हमारी तरफ से ये चुइंग-गम ही रख लो.
वैसे इस खबर का असर ये है की आज सुबह जब ऑफिस आ रही थी पोलिसे वाले चुइंग-गम खाने वालों को एक तरफ खड़ा करके पूछताछ कर रही थी और सवाल कुछ एसे की कहा से खरीदी,कब से खा रहे हो?और कौन कौन शामिल है तुम्हारे साथ ये चुइंग-गम खाने के काम में ?कहाँ कहाँ चिपकाई अब तक ?ये सारे सवाल सुनकर मैंने ये कसम खाई की अब कुछ दिनों के लिए चुइंग-गम से तोबा .अरे बाबा खाना छोड़ नहीं सकती क्यूंकि वेसे ही आम आदमी के पास चबाने के लिए गम ही तो होते है चुइंग-गम के बहाने वो उन्हें ही चबा लेता है.
वेसे अभी ये सब देखकर मुझे एक गाना याद आ रहा है ढूंढो ढूंढो रे साजना ढूंढो रे साजना वो एक चुइंग-गम वाला अब देखना है की क्या होता है कही खोदा पहाड़ निकली चुहिया न हो या चुहिया ही है जिसे पहाड़ बनाया जा रहा है...ये तो आने वाला समय ही बताएगा
गौर फरमाने की बात है की जांच एजेंसी का कहना वो गोंद जैसा कोई पदार्थ है शायद चुइंगगम.कहा जा रहा है प्रणब मुखर्जी ने ७ जून को प्रधान मंत्री को इस सम्बन्ध में पत्र लिखा .उन्हें शक है की कोई उनकी जासूसी करवा रहा है....बात तो सही है शायद उनके पास छुपाने जेसा कुछ है वेसे देखा जाए तो बहुत कुछ है आखिर देश का वित्त मंत्रालय है पर बिचारा चुइंगगम खाने वाला क्या जाने ये सब बातें उसने तो खाई और जहा मन आया वह चिपका दी अब वो चाहे हमारे वित्तमंत्री का कमरा ही क्यों न हो.वेसे भी मुखर्जी साहब आन्दोलन करने वालों पर लाठी चलवा सकते है पर चुइंग-गम खाने वालों को केसे रोकें?
बड़ी अजीब बात है कोई वित्त मंत्रालय में जाता है और जाकर चुइंग-गम चिपका आता है(या शायद जासूसी कैमरे ) नहीं नहीं में यहाँ हमारी सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल नहीं उठाने वाली क्यूंकि उन पर सवाल उठाने के लिए बहुत लोग है हम तो यहाँ बात करेंगे की जो अन्दर तक गया शायद उसके मन में ये हो की नेताओं तुमने हमें इतने गम दिए जिन्हें हम आजादी के बाद से चबाते जा रहे है पर वो ख़तम ही नहीं होते तो लो हमारी तरफ से ये चुइंग-गम ही रख लो.
वैसे इस खबर का असर ये है की आज सुबह जब ऑफिस आ रही थी पोलिसे वाले चुइंग-गम खाने वालों को एक तरफ खड़ा करके पूछताछ कर रही थी और सवाल कुछ एसे की कहा से खरीदी,कब से खा रहे हो?और कौन कौन शामिल है तुम्हारे साथ ये चुइंग-गम खाने के काम में ?कहाँ कहाँ चिपकाई अब तक ?ये सारे सवाल सुनकर मैंने ये कसम खाई की अब कुछ दिनों के लिए चुइंग-गम से तोबा .अरे बाबा खाना छोड़ नहीं सकती क्यूंकि वेसे ही आम आदमी के पास चबाने के लिए गम ही तो होते है चुइंग-गम के बहाने वो उन्हें ही चबा लेता है.
वेसे अभी ये सब देखकर मुझे एक गाना याद आ रहा है ढूंढो ढूंढो रे साजना ढूंढो रे साजना वो एक चुइंग-गम वाला अब देखना है की क्या होता है कही खोदा पहाड़ निकली चुहिया न हो या चुहिया ही है जिसे पहाड़ बनाया जा रहा है...ये तो आने वाला समय ही बताएगा
अभी का सच ये है की लोकपाल बिल पर होने वाली बहस के लिए सरकार कोई वीडीओ शूट नहीं करवाना चाहती न चाहती है की जनता को पता चले की मीटिंग में क्या बात हुई पर ये चुइंग-गम खाने वाले ने तो सब गुड गोबर कर डाला अन्दर जाकर चुइंग-गम चिपका आया शायद जल्दी ही हमारे सामने वित्त मंत्रालय की अंदरूनी ख़बरों का वीडीओ आए. और उनकी हेड लाइन हो वित्त मंत्रालय की कहानी चुइंग-गम की जुबानी पर आप लोग तब तक इन्तेजार का चुइंग-गम चबाइए.....
कनुप्रिया गुप्ता
मेरा ये सम्पादकीय कमेन्ट आप इ खबर ओनलाइन पर 'चुइंग-गम मुखर्जी चुहिया सरकार' हेडलाइन के साथ देख सकते है http://ekhabar.in/editorial-hindi/11491-chuinggm-mukherjee-mouse-government.html
1 comment:
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