Thursday, June 23, 2011

दिग्विजय सिंह :एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी बोलेगा

एक लोकप्रिय टी वी चैनल पर एक प्रोग्राम आता है "एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा "कुछ अच्छे कलाकार वहा आते है अपने करतब दिखाते है, पर साथ ही कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता के लिए कुछ भी करने लगते है...में जानती हू आप लोग सोच रहे होंगे ये आज कनु को क्या हो गया एक टी वी प्रोग्राम का प्रचार कर रही है पर ऐसा  नहीं है ये तो शुरुआत है, मुख्य बात तो ये है की दिग्विजय सिंह की हालिया बयानबाज़ी देखकर मुझे इसी प्रोग्राम की याद आ रही है ,बिना सोचे समझे उटपटांग बयान देकर वो शायद सुर्ख़ियों में रहने की कोशिश कर रहे है .
यहाँ में ये बिलकुल नहीं कह सकती की वो सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश कर रहे है क्युकी लोकप्रिय (बदनाम) तो वो पहले से ही है  अब तो शायद इसी फलसफे पर चल रहे है की बदनाम हुए तो क्या कम से कम नाम तो हुआ.

हाल ही में आया उनका बयान  चर्चा में है जिसमे उनने कहा की अन्ना अगर अनशन करंगे उनका भी वही हाल होगा जो बाबा रामदेव का हुआ था .सही भी है इस देश में सबका वही हाल हो रहा है कोई डंडो से पिट रहा है तो कोई दुसरे ना दिखने वाले हथियारों से.  पर दर्द सबको है किसी का दीखता है किसी का छुपा हुआ है.सरकार सोते हुए लोगो को मारती है  ,गरीबी ,भुकमरी जिन्दा लोगो को वेसे ही मारे दे रही है क्या फर्क पड़ता सरकार मारे या गरीबी कही ना कही से तो पडनी ही है .
सरकार भी शायद यही सोच रही है की इन्हें वोट देने का अधिकार क्या दे दिया ये तो खुद को भगवान् समझने लगे .(अब सरकार को कौन समझाए  की वो नौकर है हमने उन्हें देश को चलाने  के लिए नेता बनाया  है देश लुटाने के लिए नहीं). लगता है हम थोड़े सीरीयेस -ट्रैक  पर बात करने लगे पर क्या करू कभी निकल ही आता है मन का उबाल...हां तो  हम दिग्विज्जय सिंह की बात कर रहे थे ....

वेसे गलती बिचारे दिग्विजय सिंह की नहीं है  लोगो ने दिग्गी राजा बोल बोलकर दिग्विजय सिंह को चने के झाड पर चढ़ा दिया और फिर मध्यप्रदेश की राजनीती से उनका पत्ता पूरी तरह से साफ़ कर दिया वो बिचारे तो राजा होने के भ्रम में ही रह गए. अब जब राज नहीं रहा तो पता चला की आसमान से गिर गए है तो रास्ते में किसी खजूर की तलाश कर रहे है ताकि उस पर अटक सके ,और उन्हें ये खजूर शायद इस तरह की बेतुकी बयानबाजी में नजर आ रही है .और फिर वो बिचारे अब देश के लोगो के लिए कुछ अच्छा तो कर नहीं सकते कम से कम उनका एंटरटेनमेंट ही करने की ठानी है . इसीलिए एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करने तैयार हो गए है .

वो खुलेआम लोगो को धमकी (अच्छे शब्दों में कहें तो चेतावनी) दे रहे है की कोल्हू के बैल की तरह काम करो,अच्छा बुरा जो भी हो उसे सहन करो और अगर मुह खोला तो कोड़े पड़ेंगे ...सही भी है आजादी के बाद से हम लोग यही तो करते आ रहे है और हम लोगो को अब तक तो इसकी आदत पड़ जानी चाहिए थी (या शायद पड़ ही गई है) .अब जाने कहा से बाबा रामदेव और अन्ना हजारे आ गए है और लोगो को उनका अधिकार बता रहे है भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जुट कर रहे है तो दिज्विजय सिंह जेसे महान (महाभ्रष्ट )नेताओं को दर्द होना लाजमी है की जो लोग भूखे , नंगे  रहकर भी जीने तैयार थे और  खुश रहना (या कम से कम खुश रहेने  का नाटक करना ) सीख गए थे  उन्हें ये सत्याग्रह   क्यों सिखाया  जा रहा है.

 उनका कहना भी सही है अगर सब जागरूक हो गए तो भ्रष्टाचार का क्या होगा?उसका तो अस्तित्व  ही ख़तम हो जाएगा और दिग्विजय सिंह केसे  देख सकते है की उनके राज में फले फुले नाजो से पाले भ्रष्टाचार का अस्तित्व असे ख़तम हो जाए .

वेसे सुनने में तो ये भी आ रहा है वो अपने बयान से पलट गए है पर ये उनने एकदम सही किया है आखिर एंटरटेनमेंट के लिए कभी कभी उलटी छलांग भी लगनी पड़ती है (आपने मदारी का खेल देखा ही होगा) दिग्गी राजा भी वही कर रहे है पहले बयान दो फिर पलट जाओ मतलब की धमकी दे भी दो और मुकर भी जाओ तो हुआ ना दुगुना एंटरटेनमेंट ,दुगुनी लोकप्रियता.

ना जाने क्यों  लोग है की उन्हें गलत कह रहे है अरे हमें तो उनका आभार व्यक्त करना चाहिए की इतनी तकलीफों से भरी जिंदगी में वो हमें मुस्कुराने का मौका दे रहे है हमारा एंटरटेनमेंट कर रहे है अपनी बयानबाजी से .(क्यूंकि अब एसा तो बिलकुल नहीं लगता की उनकी बात का कोई असर होता है लोगो पर).वो बयान देते है लोग हँसते है, वो बयान से पलटते है लोग फिर हँसते है और क्या चाहिए कुछ मुस्कुराहटों के पल मिल रहे है वो भी मुफ्त में ...तो इनका मजा उठाइये और इन्तेजार कीजिए एक और छलांग का मेरा मतलब है एक और बयान का....

                                                                                       कनुप्रिया गुप्ता

मेरा ये सम्पादकीय  लेख  आप इ खबर ओनलाइन पर "'एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी बकेगा " हेडलाइन के साथ देख सकते है  लिंक :http://www.ekhabar.in/editorial-hindi/11702-2011-06-24-09-32-56.html.

इसी के साथ आप इसे "पुब्लिसिटी के लिए कुछ भी करेगा:दिग्विजय सिंह"हेडलाइन के साथ जनोक्ति मीडिया ब्लॉग पर भी देख सकते है

4 comments:

Vijay Shenoy said...

Good one... keep writing...

loks said...

Bechaare anna aur baba bhi kya karein...wo jin logo ke liye sab karna chaahte hai unko sabhi satyhagrahiyo aur krantikaariyo ko shradhdhaanjali dene ki aadat hi pad gayi hai ..ase me ye log agar kisi satyagrahi ko jite-jaagate dekh lenge to vishwaas na hona to laajami hai hi..parampara ya kahein bachpan ki aadat ki vajah se aaj ki yuva peedhi kewal satyagrahiyo aur krantikaariyo ki shahaadat me mili chhutti ka aanand to uthana chahati hai par unka saath dene me puri tarah saamne nhi aana chahati...

loks said...

Bechaare anna aur baba bhi kya karein...wo jin logo ke liye sab karna chaahte hai unko sabhi satyhagrahiyo aur krantikaariyo ko shradhdhaanjali dene ki aadat hi pad gayi hai ..ase me ye log agar kisi satyagrahi ko jite-jaagate dekh lenge to vishwaas na hona to laajami hai hi..parampara ya kahein bachpan ki aadat ki vajah se aaj ki yuva peedhi kewal satyagrahiyo aur krantikaariyo ki shahaadat me mili chhutti ka aanand to uthana chahati hai par unka saath dene me puri tarah saamne nhi aana chahati..

loks said...

Bechaare anna aur baba bhi kya karein...wo jin logo ke liye sab karna chaahte hai unko sabhi satyhagrahiyo aur krantikaariyo ko shradhdhaanjali dene ki aadat hi pad gayi hai ..ase me ye log agar kisi satyagrahi ko jite-jaagate dekh lenge to vishwaas na hona to laajami hai hi..parampara ya kahein bachpan ki aadat ki vajah se aaj ki yuva peedhi kewal satyagrahiyo aur krantikaariyo ki shahaadat me mili chhutti ka aanand to uthana chahati hai par unka saath dene me puri tarah saamne nhi aana chahati..