फिर रात की चादर हटाकर दिन निकल आया
चलो इक बार फिर जिंदगी की शुरुआत करते है...
तुम अपने खुदा का सजदा कर लो मैं अपने इष्ट को पूज लू
फिर दोनों राहे जिंदगी पर एक दूसरे के साथ चलते है
वो देखो दूर कही से पंछी उड़कर आते है...
वो भी शायद हमारी दोस्ती की बात करते है...
चलो चलते है उस मंजिल जहाँ बस मोहब्बत हो
जहाँ बंद हो जाए सब रस्ते आओ वही से आगाज़ करते है
हम तुम सिक्के के दो पहलु ,या नदी के दो किनारे है
फिर क्यों लोग हमको जुदा करने की बात करते है
आओ बरसात की बूंदों के साथ धो डालें सब शिकवे
चलो इक बार फिर जिंदगी की शुरुआत करते है...
तुम अपने खुदा का सजदा कर लो मैं अपने इष्ट को पूज लू
फिर दोनों राहे जिंदगी पर एक दूसरे के साथ चलते है
वो देखो दूर कही से पंछी उड़कर आते है...
वो भी शायद हमारी दोस्ती की बात करते है...
चलो चलते है उस मंजिल जहाँ बस मोहब्बत हो
जहाँ बंद हो जाए सब रस्ते आओ वही से आगाज़ करते है
हम तुम सिक्के के दो पहलु ,या नदी के दो किनारे है
फिर क्यों लोग हमको जुदा करने की बात करते है
आओ बरसात की बूंदों के साथ धो डालें सब शिकवे
गिलें मिट जाए सब दिलों से बस यही दुआ दिन रात करते है....
1 comment:
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