Saturday, May 26, 2012

तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो...

हम मोहब्बत में तुम्हे क्या दिल की बात बतलाए
जो खुद भटके हैं तुम्हे राह केसे दिखलाए.
बहुत दिनों बात एक कविता या इसे जिस श्रेणी में पढने वाले  रखना चाहे लिखी है ...

वक़्त से जुड़ गए रूह से मेरी जुड़े तो नहीं हो 
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो 

हमने तो हर शय में तमन्ना की तुम्हे चाहने की 
तेरे वास्ते देखे हर ख्वाब को हकीक़त बनाने की 
तुम भी खेल -ए -जिंदगी की हर चाल में जायज़ हो 
रश्क बस एक है की इश्क की चाल में ज़रा नाजायज़ हो 
पर मेरी दुनिया में बस डूब के चाहने की बात होती है 
प्यार है तो सब है इसी में शय और मात होती है 

तुमने जो याद न रखा उसे भूले तो नहीं हो 
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो 

आओ   सूरज  की  नहीं धरती बात करते हैं
हो चाहे चाँद रात बस हम तुमको याद करते हैं 
तुम समुन्दर के पार दूर कही भटके हो 
प्यार से दूर कही जिंदगी में अटके हो 
इश्क  का फर्क नहीं दर्द ए- दिल की उलझन है 
मेरे रहते तेरी, तेरे रहते मेरी भटकी हुई सी धड़कन है 

जो  लड़कपन   में देखे वो ख्वाब अधूरे तो नहीं हो 
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो .....


आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

13 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर भावअभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,

MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,

Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन


सादर

ANULATA RAJ NAIR said...

क्या भटकन है मोहब्ब्त की....
एहसासों की रौशनी राह दिखा ही देगी......

बहुत सुंदर कनु जी...
अनु

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदरानुभूति‍

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

क्या बात है!!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 28-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-893 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

Anupama Tripathi said...

कुछ भटकन मन की ....
कुछ भटकन जीवन की ...
सुंदर ...बहुत सुंदर भाव प्रबल रचना .....!!
शुभकामनायें.

सदा said...

वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

अरुण चन्द्र रॉय said...

khoobsurat kavita...

डॉ.ब्रजेश शर्मा said...

Bhaav Purn rachna...............

दिगम्बर नासवा said...

सच है इस प्यार के खेल में ही सब कुछ है ... लाजवाब रचना है ..

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो....
बहुत खूब... सुन्दर रचना...
हार्दिक बधाईयाँ

Satish Saxena said...

कुछ अलग सा....