Friday, May 18, 2012

तुम्हे शोखी नहीं आई हमे आवारापन नहीं आया

कुछ लिखा हुआ कुछ सोचा हुआ कुछ कहा हुआ ....सब इकठ्ठा हो गया है नज़र डाल लीजिए
बिटिया
1.बजती जाए रुनझुन  रुनझुन पायल की झंकार
हर पिता ने नहीं  सुनी बिटिया की करून पुकार
कैसे आ जाता है मन में मुक्ति का विचार
सोचो तो कैसा होगा बिन बेटी के संसार ?

भोली सूरत ,चंचल चितवन  रंगों से भर देती जीवन
बिटियाँ  के होने से मधुबन ,सावन भी लगता मनभावन
बिन राधा के कैसे रास रचाएंगे तारनहार
सोचो तो कैसा होगा बिन बेटी के संसार ?


2.प्रेम

बढ़ते रहे साथ में बंधन नहीं आया
बरसो से प्यासे है पर सावन नहीं आया
इस जिंदगी के साथ में  बस इक कमी है
हममे  ठहराव ना आया तुममे बचपन नहीं आया

 प्यार की दुनिया कब जिंदगी में बदल गई
फिर लौट कर मोहब्बतों का मौसम नहीं आया
किससे करे शिकवा सबके अपने मिजाज़ है
तुम्हे शोखी नहीं आई हमे आवारापन नहीं आया

3.
इक तेरे होने से वीराने में भी रौनक थी
इक तेरे ना होने से सारा शहर वीराना लगता है
तेरे होने से मेरी मस्तानो में गिनती थी
तेरे ना होने से सबको मेरा चेहरा अनजाना लगता है

4. ना तेरा  साथ भाता है ना दूरी सुहाती है
तुम्हारे इश्क में पूरी तरह बर्बाद हो गया हू
ना जीने से यारी है ना मरने से मोहब्बत
मैं जीता जागता जेसे कोई अपवाद हो गया हू



 आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

9 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ी प्यारी क्षणिकायें..

सदा said...

वाह ...बहुत खूब।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर लगी क्षणिकाए ..अच्छी प्रस्तुति

MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
MY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें ||

Amrita Tanmay said...

दिल को छू लेनेवाली क्षणिकायें..

Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन।


सादर

Pallavi saxena said...

बहुत खूब....

सुज्ञ said...

अतिसुन्दर भाव!!
बिटिया पर तो मन आद्र हो उठा!!
लाजवाब

दिगम्बर नासवा said...

सुन्दर भाव हैं ... बिटिया तो जैसे मन में उतर गयी ..