Sunday, May 6, 2012

प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है

फ़ोन की लम्बी लम्बी  बातें कभी वो सुकून नहीं दे  सकती जो चिट्ठी के चंद शब्द देते हैं .तुम्हे कभी लिखने का शौक नहीं था और पढने का भी नहीं तो मेरी न जाने कितनी चिट्ठियां मन की मन में रह गई न उन्हें कागज़ मिले न स्याही .तुम्हारे छोटे छोटे मेसेज भी मैं कितनी बार पढ़ती थी तुमने सोचा भी न होगा ,ये लिखते  टाइम तुमने ये सोचा होगा ,ये गाना अपने मन में गुनगुनाया होगा शायद  परिचित सी मुस्कराहट तुम्हारे होठों पर होगी जब वो सब यादें आती है तो बड़ा सुकून सा मिलता है ..और एक ही कसक रह जाती है काश तुमने कुछ चिट्ठियां भी लिखी होती मुझे तो ये सूरज जो कभी कभी अकेले डूब जाता है,ये चाँद जो रात में हमें मुस्कुराते न देखकर उदास हो जाता है तुम्हारे पास होने पर भी जब तुम्हारी यादें आ कर मेरे सरहाने बेठ जाती हैं इन सबको आसरा मिल जाता ..ये अकेलापन भी इतना अकेला न महसूस करता ....अब तो सोचती हु तुमने न लिखी तो में कुछ चिट्ठियां लिख लू  पर जिस तरह  तुम खो रहे हो दुनिया की भीड़ में अब तो तुम्हारे दिल का सही सही पता भी खोने लगा है बड़ा डर सा लगता है की मेरी ये चिट्ठियां तुम तक पहुंचेगी भी या नहीं ? तुम तक पहुँच भी  गई गई तो जानती हु  तुम पढोगे नहीं .....पर फिर भी मेरी विरासत रहेगी किसी  प्यार करने वाले के लिए ..
क्या  कहते हो ? लिखू या रहने दू।

तुम्हे चिट्ठियां लिखने की तमन्ना होती है कई बार
पर तुम्हारे दिल की तरह तुम्हारे घर  का पता भी
पिछली  राहों पर छोड़ दिया कहीं भटकता सा
अब बस कुछ छोटी छोटी यादों की चिड़िया हैं
जो अकेले  में कंधे पर आ बैठती  है
उनके साथ तुम्हारा नाम आ जाता है होठों पर
और कुछ देर उन चिड़ियों के साथ खेलकर
तुम्हारा नाम भी फुर्र हो जाता है
अगली बार फिर मिलने का वादा करके......
पर सब जानते है कुछ चिट्ठियां कभी लिखी नहीं जाती
कुछ नाम कभी ढले नहीं जाते शब्दों में
कुछ लोग बस याद बनने के लिए ही आते है जिंदगी में
और कुछ वादें अधूरे ही रहे तो अच्छा है.....


आज ये ग़ज़ल सुबह से गुनगुना रही हू....प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है


आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

13 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुंदर..................

दिल आ गया आपकी इस पोस्ट पर कनु जी....
<3

अनु

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

निश्चत ही पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है
बहुत सुंदर अच्छी प्रस्तुति,....

RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

Aruna Kapoor said...

कितनी गहराई है इस मन के समंदर की...बहुत सुन्दर,आभार!

प्रवीण पाण्डेय said...

चिठ्ठियों के साथ ही संवाद के कोमल पक्ष भी चले गये हैं।

दिगम्बर नासवा said...

खत और उनके लफ्ज़ .... सच में वक्त लगता है ... यकीनन लाजवाब पोस्ट है ...

रश्मि प्रभा... said...

वक़्त तो लगेगा न ... सुन्दर पन्ने ही देर से मिलते हैं और .... बहुत वक़्त लगता है

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति

Pallavi saxena said...

बहुत सही लिखा है तुमने फोन की लंबी-लंबी बातों में भी वो बात नहीं होती जो हाथ से लिखी गई चिट्ठी के चंद शब्दों में पनप जाती है।

KK Yadav said...

कनु जी, आपकी कोमल भावनाएं बहुत सुन्दर लगीं. इसे हमने 'डाकिया डाक लाया' पर भी साभार लिया है..!!

http://dakbabu.blogspot.in/

Ramakant Singh said...

IT TAKES TIME ,AND STILL IT WILL TAKE
TIME, YE PYAAR KA MAMALA HAI.
KHUBASURAT khubasurat KHUBASURAT

कमल कुमार सिंह (नारद ) said...

वेरी टचिंग , बहुत सुन्दर , उम्दा ...

कमल कुमार सिंह (नारद ) said...

वादा करके वो आ जाये गर, तो वो पूरा हो जाए ,
इश्क के रिश्क में पड़े भी न और सोचते हैं जन्नत मिल जाए :)

Smart Indian said...

सच है, सफ़र का सबसे कठिन कदम पहला ही होता है।