
हम मोहब्बत में तुम्हे क्या दिल की बात बतलाए
जो खुद भटके हैं तुम्हे राह केसे दिखलाए.
बहुत दिनों बात एक कविता या इसे जिस श्रेणी में पढने वाले रखना चाहे लिखी है ...
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो
हमने तो हर शय में तमन्ना की तुम्हे चाहने की
तेरे वास्ते देखे हर ख्वाब को हकीक़त बनाने की
तुम भी खेल -ए -जिंदगी की हर चाल में जायज़ हो
रश्क बस एक है की इश्क की चाल में ज़रा नाजायज़ हो
पर मेरी दुनिया में बस डूब के चाहने की बात होती है
प्यार है तो सब है इसी में शय और मात होती है
तुमने जो याद न रखा उसे भूले तो नहीं हो
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो
आओ सूरज की नहीं धरती बात करते हैं
हो चाहे चाँद रात बस हम तुमको याद करते हैं
तुम समुन्दर के पार दूर कही भटके हो
प्यार से दूर कही जिंदगी में अटके हो
इश्क का फर्क नहीं दर्द ए- दिल की उलझन है
मेरे रहते तेरी, तेरे रहते मेरी भटकी हुई सी धड़कन है
जो लड़कपन में देखे वो ख्वाब अधूरे तो नहीं हो
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो .....
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