सोते जागते पल पल आपकी बात करती हूँ
पापा में आपको याद करती हू
वो बातें करते करते कंधे पर सर रखकर सो जाना
वो गोद में सर रखकर अपने आंसुओं को छुपाना
आपका हाथ फेरना बालों में धीरे से मुझको सहलाना
मुझको अपना दोस्त बना और धीरे से समझाना
अब भी अकेले में आंसुओं की बरसात करती हू
पापा में आपको याद करती हू
दुनिया की बातों का डर था पर आपका मुझे बड़ा संबल था
सब चाहे कुछ कह ले पर मेरा मन आपके लिए कंचन था
खुशियों के लम्हे कई थे दुःख के पल जैसे जीरो थे
माँ से मेरे प्राण जुड़े थे पर आप मेरे सुपरहीरो थे
आज भी सबमे उस सुपरहीरो की तलाश करती हूँ
पापा में आपको याद करती हूँ
वो सुबह की चाय के साथ पेपर की ख़बरों पर भिड़ जाना
वो आपका अपने तर्कों पर मेरा अपने तर्कों पर अड़ जाना
वो गरमगरम बहसों में लड़ लेना और फिर मुस्काना
फिर हाथ पकड़कर थोड़ी देर घर की छत तक घूम आना
अब अखबार के पन्नो को खोलने से भी डरती हूँ
पापा में आपको याद करती हूँ
मेरे पीछे हर इक वक़्त थे आप मेरे जीवन की छत थे
चाहे दिन भर साथ रहे ना, पर हमेशा अनमोल बहुत थे
जीवन में त्यौहार बन गए आप मेरे मूर्तिकार बन गए
मुश्किल से लड़ने के लिए हर बार मेरा हथियार बन गए
अब वेसे ही जीवन की उम्मीदें बार बार करती हूँ
पापा में आपको याद करती हूँ...
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
पापा में आपको याद करती हू
वो बातें करते करते कंधे पर सर रखकर सो जाना
वो गोद में सर रखकर अपने आंसुओं को छुपाना
आपका हाथ फेरना बालों में धीरे से मुझको सहलाना
मुझको अपना दोस्त बना और धीरे से समझाना
अब भी अकेले में आंसुओं की बरसात करती हू
पापा में आपको याद करती हू
दुनिया की बातों का डर था पर आपका मुझे बड़ा संबल था
सब चाहे कुछ कह ले पर मेरा मन आपके लिए कंचन था
खुशियों के लम्हे कई थे दुःख के पल जैसे जीरो थे
माँ से मेरे प्राण जुड़े थे पर आप मेरे सुपरहीरो थे
आज भी सबमे उस सुपरहीरो की तलाश करती हूँ
पापा में आपको याद करती हूँ
वो सुबह की चाय के साथ पेपर की ख़बरों पर भिड़ जाना
वो आपका अपने तर्कों पर मेरा अपने तर्कों पर अड़ जाना
वो गरमगरम बहसों में लड़ लेना और फिर मुस्काना
फिर हाथ पकड़कर थोड़ी देर घर की छत तक घूम आना
अब अखबार के पन्नो को खोलने से भी डरती हूँ
पापा में आपको याद करती हूँ
मेरे पीछे हर इक वक़्त थे आप मेरे जीवन की छत थे
चाहे दिन भर साथ रहे ना, पर हमेशा अनमोल बहुत थे
जीवन में त्यौहार बन गए आप मेरे मूर्तिकार बन गए
मुश्किल से लड़ने के लिए हर बार मेरा हथियार बन गए
अब वेसे ही जीवन की उम्मीदें बार बार करती हूँ
पापा में आपको याद करती हूँ...
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
15 comments:
bahut bhaav poorn kavita.papa sahi me supar hero hote hain.bahut pyaari kavita.
भावुक कर देने वाली रचना, प्रभावी लेखन।
पिता सदा सिर ऊपर छत है
इसमें नहीं कभी दो मत है
जिसकी छत उजड़ी वो जाने
घर कितना होता आहत है.
अति भावुक पोस्ट.
ज्यादा तर लड़कियां ही पापा को याद करती हैं क्यूंकि वही पापा के करीब होती हैं जैसे तुम हो और जैसे मैं भी हूँ। मैं भी अपनी माँ की तुलना मे अपने पापा के ज्यादा नहीं!!!बल्कि बहुत ज्यादा करीब हूँ। बेहद भावपूर्ण एवं प्रभावशाली रचना.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
भावुक कर गई आपकी यह पोस्ट।
बेहतरीन।
सराहनीय प्रस्तुति
जीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग 'बेसुरम' और उसकी प्रथम पोस्ट 'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...' आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करें
लाजवाब! पिता-पुत्री का सम्बन्ध ही ऐसा है, बहुत सुन्दर!
बहुत ही भावनात्मक ... भिगो गई अंदर तक आपकी पोस्ट ...
नया साल बहुत बहुत मुबारक ...
बहुत खुबसूरत अल्फाज़ हैं |
कल 06/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
मन भीग सा गया...
पिता पुत्री के रिश्ते का प्यारा सा चित्रण...
बढ़िया बड़ी प्यारी प्रस्तुति
बहुत बढ़िया और सुन्दर भावपूर्ण रचना है....
सही कहा
वो छोटी छोटी बातों पे पापा से लड़ जाना और रूठ जाना और फिर वो उनका मानना. हमेशा याद रहता है.
मेरे ब्लॉग को पढने और जुड़ने के लिए क्लीक करें इस लिंक पर.
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
Hi.. very informative post.
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