Wednesday, August 17, 2011

क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?

ये मेरे husband (lokesh mujawdiya)  की लिखी पंक्तियाँ है जो मैं आप लोगो के साथ शेयर कर रही हु

भ्रष्टाचार उठा रहा हुंकार मेरे देश में
आम आदमी झेल रहा सियासी वार मेरे देश में
सच्चाई की हो रही है हार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?



संविधान से रोज होता खिलवाड़ मेरे देश में
चोरों के सरदार बना लेते हैं सरकार मेरे देश में
और जब भ्रष्टाचार ही रह गया जीवन का आधार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?

अगणित होते हैं महिलाओं पर अत्याचार मेरे देश में
झूठों की होती है जय जयकार मेरे देश में
और जब बिक ही जाता है अच्छे अच्छे अच्छों का ईमान सरे बाज़ार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?

6 comments:

Spiritual Sherpa said...

Meaningful and enlightening..loved the last two lines...

sush said...

achha lagaa..nice words used

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और सार्थिक प्रस्तुति..

kanu..... said...

is post ko pasand karne ke lie hardik dhnyawad

प्रवीण पाण्डेय said...

सच में, दुर्भाग्यपूर्ण है।

Anonymous said...

I must say I really like it. Your imformation is usefull. Thanks for share