ये मेरे husband (lokesh mujawdiya) की लिखी पंक्तियाँ है जो मैं आप लोगो के साथ शेयर कर रही हु
आम आदमी झेल रहा सियासी वार मेरे देश में
सच्चाई की हो रही है हार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?
संविधान से रोज होता खिलवाड़ मेरे देश में
चोरों के सरदार बना लेते हैं सरकार मेरे देश में
और जब भ्रष्टाचार ही रह गया जीवन का आधार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?
अगणित होते हैं महिलाओं पर अत्याचार मेरे देश में
झूठों की होती है जय जयकार मेरे देश में
और जब बिक ही जाता है अच्छे अच्छे अच्छों का ईमान सरे बाज़ार मेरे देश में
तो क्यों ना हो इंसानियत शर्मसार मेरे देश में ?
6 comments:
Meaningful and enlightening..loved the last two lines...
achha lagaa..nice words used
बहुत सुन्दर और सार्थिक प्रस्तुति..
is post ko pasand karne ke lie hardik dhnyawad
सच में, दुर्भाग्यपूर्ण है।
I must say I really like it. Your imformation is usefull. Thanks for share
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