parwaz blog:kyo khand khand hai uttarakhand |
लाशों के ढेरों के बीच
मानवता कराह रही
बिगड़े हालातों के बीच
भूख हिलोरे मार रही
बिना दस्तक के आ गया
सारी वादी में प्रचुर विध्वंस
किससे करें सवाल
क्यों खंड खंड है उत्तराखंड
क्यों बांधों ने सीना चीरा
क्यों नदियों का रस्ता मोड़ा
क्यों पत्थर में छेद कर दिया
मिटटी में बारूद भर दिया
क्यों रक्षक भक्षक बन बैठे
क्यों अनजाने शासक बन बैठे
सब तरफ है हाहाकार
ये मानवता पर कैसा दंश
किससे करें सवाल
क्यों खंड खंड है उत्तराखंड
क्यों माओं का आँचल सूना है
पीड़ित घर का हर कोना है
क्यों ये विषम आपदा आई
क्यों शासक लेते जम्हाई
क्यों हमने कोई पाठ न पढ़ा
क्यों लोहे गिट्टी रेत को चुना
देव दर्शन को गए लोग
और उजड़ गए वंश के वंश
किससे करें सवाल
क्यों खंड खंड है उत्तराखंड
(Note:ये रक्षक शब्द सेनिको के लिए नहीं है )
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
7 comments:
इस क्यों का किसी के पास माकूल जवाब नहीं है ..
मार्मिक प्रस्तुति ..
कनु जी , बढ़िया अभिव्यक्ति ...
करते रहें सवाल , जवाब देने की किसको पड़ी है एक दुसरे पर कीचड उछलने के सिवा :(
दुखद होती परिस्थितियाँ..
maarmik...
मर्मस्पर्शी रचना
Bahut Khoob
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