Saturday, March 16, 2013

इश्क यादें और उदासियाँ

म्यूट का बटन सिर्फ टीवी में ही नहीं ज़िन्दगी में भी बड़ा ज़रूरी होता है सारी चिल्लपों से दूर थोड़ी देर शांति के लिए , उदासियों से मोहब्बत करने के लिए  .... उदासियाँ कभी भी आ सकती हैं दबे पैर ,किसी ख़ुशी के मौके पर ,दर्द की घड़ी में कभी भी क्यूंकि इनके लिए कभी कोई समय बनाया ही नहीं गया सब अच्छी चीजों की फ़िक्र में साज संभाल में इनके लिए कोई जगह बनाई ही नहीं गई और जिसके लिए जगह न बनाई गई हो न मिलने का समय दिया गया हो वो अतिक्रमण करके आता है ...

उदासियों की कहानी  हमेशा से एसी नहीं थी उनका भी अपना गाँव था जहाँ उदासियाँ इतनी उदास नहीं थी एक पहाड़ी गाँव की वो  लड़की बौर के मौसम में अमराई के जेसी जो उसे देखता बस देखता ही रह जाता जो उसमे खोता बस खोता ही चला जाता फागुन में जब टेसू के फूल खिलने वाले होते तो हवा चुपके से आती और उसके गालों से लेकर थोडा लाल रंग टेसू की कलियों पर छिटक देती ....फसल के मौसम में पानी उसकी धानी चूनर से रंग उधार ले जाता ...लोग कहते एक बरस जब उसने  धानी चुनर ना ओढ़ी उस साल पूरे गाँव में फसलों में रंग ही न उतरा सारी की सारी फसल पीली पड़ गई ....

एसी जाने कितनी कहानियां थी उसके लिए ...वो थी तो गाँव में खुशियाँ  ही खुशियाँ  थी हर तरफ ....एसे में कहीं से एक परदेसी आया उस साल उस गाँव में पहली बार प्यार के सुनहरी फूल खिले लोगो ने पहली बार हवाओं में संगीत बहता सुना ,नदी को शराबी चाल चलते देखा और बादलों को घुमड़ घुमड़ कर बरसते भी ....
उसी के बाद लोगो ने पहली बार  देखा की लड़की के गालों का रंग अब टेसुओं पर नहीं खिल रहा और फसल का रंग उतना हरा दिखा बड़ी खोज खबर के बाद पता चला की परदेसी के प्रेम ने लड़की को खुशियों से भर दिया पर अब लड़की के सारे रंग परदेसी के हैं .  सारे रंगों पर प्रेम का सुनहरा रंग चढ़ गया है .....

फिर ? एक दिन परदेसी अचानक से कहीं चला गया या शायद जबरजस्ती भेज दिया गया इस आस में की फसलों पर फिर रंग आएगा टेसू फिर अंगार सा रंग लेकर खिलेंगे पर उसके बाद लड़की के आंसुओं से हुई बारिश ने सब तबाह कर दिया टेसू में रंग ना चढ़ा ..उसी के बाद लोगो ने नदी का उदास काला पानी देखा , बादलों की तबाही देखी , आसमान में घोर अँधेरा देखा ,हर तरफ निराशा देखी .....लोगो ने अकेली उदास लड़की को और अकेला कर दिया दूर कहीं जाकर एक बस्ती बनाई वहां एक नई ख़ुशी से भरी लड़की ढूंढ ली और पुरानी वाली लड़की के लिए ज़िन्दगी में कोई जगह ही न रखी न उससे मिलने का कोई समय ...
बस तब से वो बेचारी लड़की उदासी बन गई अब वो अचानक से आती है बिना समय बिना वजह ,अपने लिए थोडा सा अपनापन ढूँढने ...

उफ़ जब तुम याद आते हो इन उदासियों से मोहब्बत हो जाती है कहीं तुम मेरे सारे रंग तो नहीं ले गए या सच में प्रेम का रंग हर रंग पर भारी होता है ....कही कहीं न विज्ञानं काम करता है न गणित ....जैसे साइनाइड का कोई स्वाद नहीं होता फिर भी जहर तो जहर है और उदासियों का कोई रंग नहीं होता फिर भी प्यार तो प्यार है ही ....

5 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...


यह है प्यार का साइड इफ़ेक्ट
latest postऋण उतार!

dr.mahendrag said...

परदेशी से कैसा इश्क कैसी महोब्बत,यह तो होना ही था.पर पागल मन भी तो कहाँ मानता है,वह इसबात कोनहीं देखता. बड़ा कठिन होता है खुद को संभालना ,

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत प्यारा, जीवन की भड़भड़ से बाहर कहीं कानन में बस जाने का मन करता है।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर.... वैसे जीवन में सारे रंग हैं और हमें इन्हें जीना है

दिगम्बर नासवा said...

जैसे उदासियों का कोई रंग नहीं होता ... प्यार का भी तो नहीं होता ... आलोकिक सुख के सिवा ...