Thursday, August 16, 2012

बोलो भला कैसे ?

तुम्हे बनाना ताज महल है
मै मरने से क्षण क्षण घबराऊ
बोलो इतनी उथल पुथल में
प्रेम भला कैसे पनपेगा ?

तुम जौहरी के जैसे गहरे
हीरों सी रंगत गढ़ना चाहो
मै नदिया के पत्थर सी उथली
बिखरी बिखरी सी चलना चाहू
तुम प्रश्नों की उलझी दुनिया
मै उत्तर की रीत चलाऊ
अमृत गरल के इक से मंथन में
बोलो साम्य कहाँ उपजेगा  ?

तुम देवी मूरत के मूर्तिकार से
मैं सुबह के खिले हरसिंगार सी
तुम मूरत में अमरत्व चाहते
मैं शाम ढले तक ढल जाउंगी
इतने विपरीत गहन  चिंतन में
बोलो बंधन कहाँ जन्मेगा ?
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

16 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

पलों को...एहसासों को कौन बाँध पाया है...
बहुत सुन्दर...

अनु

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत खूब सुन्दर अहसासों की प्रस्तुति,,,,

RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

dr.mahendrag said...

Man men uthe sawalon se ghiri prashn puchti,har bat ka ahsas karati, bahut hi khoobsurat rachna

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

सवालों के संग संग कई जवाब देती सुंदर रचना...!

सुशील कुमार जोशी said...

सुंदर !
पता तो है ना कोई ताजमहल बनाना चाहता है
रुह को रुह की जगह तक पहुंचाना चाहता है ।

प्रवीण पाण्डेय said...

भवनों में बसने से अच्छा है हृदय में बसना।

Sanju said...

nice presentation....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.

Yashwant R. B. Mathur said...

तुम प्रश्नों की उलझी दुनिया
मै उत्तर की रीत चलाऊ
अमृत गरल के इक से मंथन में
बोलो साम्य कहाँ उपजेगा ?

यह पंक्तियाँ बेहद अच्छी लगीं


सादर

Unknown said...

sundr lekhan man ki sundarta ka ghotk hota hai. aapki kavitaye sahaj saral kintu kalam kitani paini hai. ekadam dil ki gaharahi me utar jati hai.

badhai ho !

anvart likhati rahe !

अजय कुमार said...

तुम जौहरी के जैसे गहरे
हीरों सी रंगत गढ़ना चाहो
मै नदिया के पत्थर सी उथली
बिखरी बिखरी सी चलना चाहू

सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई

Rewa Tibrewal said...

wah ! bahut subdar likha hai

vandana gupta said...

वाह वाह वाह ………विपरीत ध्रुवों की सुन्दर अभिव्यक्ति मन को छू गयी।

Kailash Sharma said...

तुम प्रश्नों की उलझी दुनिया
मै उत्तर की रीत चलाऊ
अमृत गरल के इक से मंथन में
बोलो साम्य कहाँ उपजेगा ?

....बहुत खूब! भावों की बहुत सुन्दर प्रवाहमयी अभिव्यक्ति...

दिगम्बर नासवा said...

सतत प्रवाहमय ... लाजवाब रचना है .. अतिसुन्दर ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुंदर भाव ...

Onkar said...

सुन्दर कविता