Wednesday, August 24, 2011

हाँ मैं जाग गई हू.-दिल्ली

हाँ मैं जाग गई हूँ
हाँ ये सच है में बेहोश होकर सोती थी
तुम आए और तुमने झकझोर दिया मुझे
 और में उठ खडी हुई जेसे बरसो की नींद के बाद आँख खुली हो!!!
तुमने आकर मुझे मेरे स्वर्णिम दिन याद दिला दिए
और में चल दी तुम्हारा हाथ पकड़कर नई राहों पर

कई बार मैंने चाहा  की जाग जाऊ पर हर बार यही सोचा
किसके लिए जागु ? और क्यों जागु?
जब मेरे चाहने वाले ही मुझे नींद से जगाना नहीं चाहते
मेरे लिए वो दौर ठीक वेसा ही था
जेसे पिंजरे में कैद चिड़िया चाह कर भी उड़ान नहीं भर सकती
 क्यूंकि कोई शिकारी दबोच लेता है उसे और कोई रक्षक नहीं आता बचाने !!!!

उसी पिजरे में कैद कई बार रोती थी ,पर अब पंखो का मजा जान गई हू
हाँ में बेहोश होकर सोती थी पर अब मैं जाग गई हू.

मैं इस नींद में भी सब देखती थी
पक्ष विपक्ष की मारामारी ,चोर डाकू अत्याचारी ,सबपर मेरी नजर थी
पर देखकर भी सब अनदेखा कर देती थी सब
जेसे कोई पत्नी अनदेखा कर देती है अपने घर को,
 जब  पति का सच्चा प्रेम उसके साथ ना हो
जेसे एक माँ अनदेखा करती है  बच्चे की गलती को
 जब उसकी बात का बच्चे पर असर होना बंद हो जाए
जेसे एक पिता  वृधाश्रम की राह पर चल पड़ता है
जब बच्चे स्नेह के सारे बंधन तोड़ दे
मैं भी तुम्हारी उदासीनता से परेशान होकर सो गई थी
पर जेसे ही तुमने मेरे लिए मोह दिखाया मैं उठ खडी हुई

हाँ में दिल्ली हू ,मैं बेहोश होकर सोती थी............
जबसे तुमने हुंकार भरी है मैं तुम्हारे देश प्रेम को पहचान गई हू
हाँ में बेहोश होकर सोती थी पर अब मैं जाग गई हू.


उम्मीद थी मुझे की एक दिन जरूर आएगा जब तुम आवाज उठाओगे
सबके बीच आकर खड़े हो जाओगे और मुझे एक नई सुबह दिखाओगे
मैंने बार बार पतन देखा है और क्रांति भी
हर युग में रावण देखे और राम भी
पर हर  दौर में ,मैं  क्रांति के ख्वाब संजोती थी

हाँ में दिल्ली हू ,मैं बेहोश होकर सोती थी............
अपने  ख्वाबों को तुम्हारी आँखों में देखकर मै फिर से निहाल हुई हू
हाँ में बेहोश होकर सोती थी पर अब मैं जाग गई हू.

10 comments:

रेखा said...

सही कहा ....अब तो जागना ही होगा .परिवर्तन तो अवश्यंभावी है ........

प्रवीण पाण्डेय said...

दिल्ली सदी ही गतिविधियों का केन्द्र रही है।

kanu..... said...

sahi kha aap dono ne ab nahi jagegi to kab jagegi dilli.poore desh ko jagna chahiye ab to....

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सत्याभिव्यक्त....
जागरण आज की महती आवश्यकता है...
सुन्दर रचना...
सादर बधाई...

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

विचारों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

kanu..... said...

aap sabhi ka bahut bahut dhanyawad

Sunil Padiyar said...

Excellent.. It is now or never.. Hope it continues till the end..

Anonymous said...

great yaar.....really niceee

Anonymous said...

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Anonymous said...

It's obviously what I am looking for , very great information , cheer!