हाँ मैं अन्ना नहीं हू
मैं अन्ना नहीं हू पर अन्ना के आन्दोलन के साथ हू
मैं व्यक्तिवादी नहीं हू ना ही होने का विचार है
क्यूंकि इसी व्यक्तिवादिता ने देश को कई बार गर्त तक पहुँचाया है
अब फिर से उसी गर्त में जाने का साहस नहीं है मुझमे
मैं आम भारतीय हू जो गहरी नींद के बाद जागा है
जिसके लिए सिर्फ लोकपाल बिल पास होना ही महत्वपूर्ण नहीं है
बल्कि ये महत्वपूर्ण है की ये लोकपाल कही भ्रष्ट ना हो जाए
इसके भी उपाय साथ में ही किए जाने चाहिए
मेरे लिए सिर्फ ये महत्वपूर्ण नहीं की मैं जाग गया हू,विद्रोह कर रहा हू
मेरे लिए ये भी महत्वपूर्ण है की,मेरा ये विद्रोह गलत दिशा में ना जाए
लोकपाल बिल पास होना मेरी मंजिल नहीं है
बल्कि ये तो सिर्फ एक पड़ाव है अगले विद्रोहों का
सिर्फ भ्रष्टाचार ख़तम करना मेरा मकसद नहीं
भुकमरी,गरीबी ,बेरोजगारी सबको ख़तम करना चाहता हू
मैं आम भारतीय हू,नेता नहीं बनना चाहता
अब मैं अपने हक के लिए लड़ना चाहता हू
मैं समझ गया हू की नेताओं को मनमानी करने की छुट देकर मैंने गलती की
अब मैं किसी को अपने ऊपर चाबुक चलने की छूट नहीं दे सकता
ना कोई तानाशाह चाहता हू,मैं बस संघर्ष करना चाहता
हाँ मैं अन्ना नहीं हू पर अपने हक के लिए लड़ना चाहता हू
मैं अन्ना नहीं हू पर अन्ना के आन्दोलन के साथ हू
मैं व्यक्तिवादी नहीं हू ना ही होने का विचार है
क्यूंकि इसी व्यक्तिवादिता ने देश को कई बार गर्त तक पहुँचाया है
अब फिर से उसी गर्त में जाने का साहस नहीं है मुझमे
मैं आम भारतीय हू जो गहरी नींद के बाद जागा है
जिसके लिए सिर्फ लोकपाल बिल पास होना ही महत्वपूर्ण नहीं है
बल्कि ये महत्वपूर्ण है की ये लोकपाल कही भ्रष्ट ना हो जाए
इसके भी उपाय साथ में ही किए जाने चाहिए
मेरे लिए सिर्फ ये महत्वपूर्ण नहीं की मैं जाग गया हू,विद्रोह कर रहा हू
मेरे लिए ये भी महत्वपूर्ण है की,मेरा ये विद्रोह गलत दिशा में ना जाए
लोकपाल बिल पास होना मेरी मंजिल नहीं है
बल्कि ये तो सिर्फ एक पड़ाव है अगले विद्रोहों का
सिर्फ भ्रष्टाचार ख़तम करना मेरा मकसद नहीं
भुकमरी,गरीबी ,बेरोजगारी सबको ख़तम करना चाहता हू
मैं आम भारतीय हू,नेता नहीं बनना चाहता
अब मैं अपने हक के लिए लड़ना चाहता हू
मैं समझ गया हू की नेताओं को मनमानी करने की छुट देकर मैंने गलती की
अब मैं किसी को अपने ऊपर चाबुक चलने की छूट नहीं दे सकता
ना कोई तानाशाह चाहता हू,मैं बस संघर्ष करना चाहता
हाँ मैं अन्ना नहीं हू पर अपने हक के लिए लड़ना चाहता हू
11 comments:
उभरते नन्हें अन्नाओं की भावनाओं को बखूबी व्यक्त किया है आपने. सुंदर कविता.
ध्न्यवाद सर मैंने तो कविता की तरह लिखना ही नहीं चाहा था बस कुछ पंक्तियाँ लिखी . और लिखती चली गई.
बहुत सारगर्भित प्रस्तुति..
सबका अपना व्यक्तित्व हो।
बहुत कुछ कह रही हैं यह रचना , आभार
धन्यवाद् आप सभी का.हाँ प्रवीण जी यही विचार मेरे मन में भी आ रहा है की लोग जोश में हैं पर इस जोश में वो बस भीड़ ना बन जाए अपने दिल और दिमाग को साथ लेकर चले और वो किसी के हाथ की कठपुतली नहीं बनेंगे.उनका अपना व्यक्तित्व अपनी सोच होगी.....और तभी ये आन्दोलन सही रूप में सफलहोगा
हमें किसी व्यक्ति विशेष का समर्थन नहीं करना है बल्कि उसके विचारों का समर्थन कर कुछ हासिल करना है .....किसी को भी व्यक्तिवादी नहीं होना चाहिए .....सार्थक प्रस्तुति
यह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !
Nice one kanu.. I am not anna but I am with his movement.. Nice one..
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ध्न्यवाद सर मैं आना हज़ारे की फैन हूं और ये पोस्ट बेहतरीन है मुझे भी लिखना पसंद है और मई शिशु का विकास के बारे में लिखती हूँ
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