चलो हम दोनों भी इश्क़ में मशहूर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ, हम इंदौर हो जाएं
तुम धीरे से मुस्का देना हम ताली देकर हँस देंगे
तुम शायरी एक उछालना, हम बाहों में तुमको कस लेंगे
तू भीमबैठका की सुबह सा शांत, मैं चौक बाज़ार की रात सी हूँ
तू भोपाली नफ़ासत वाला, मैं बिन बातों की बात सी हूँ
तुम बन जाओ साँची के संयम, हम भेड़ाघाट की जलधारा का शोर हो जाएं...
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
चलो हम दोनों भी इश्क़ में मशहूर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
खजुराहो की कला जैसे ,हम प्रेम को वश में कर लेंगे
बाजबहादुर रूपमती के किस्से फिर जीवित कर देंगे
तुम विशाल बड़े तालाब बनो, मैं पातालपानी की लहर बनु
तुम महेश्वर के घाट जैसे, मैं राजवाड़ा सी शान बनु
तुम भटके हुए मुसाफ़िर, हम तेरा ठौर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
रीगल में फिल्में देखकर हम इश्क़ के ढेरों ख्वाब बुनें
वीआईपी रोड की शाम तले हम ख्वाबों के गहरे रंग चुने
तुम तालाब के गहरे नीले रंग, मैं रंग में तेरे रंग जाऊ
तुम बन जाओ मेरे जोगी, मैं तेरी जोगन कहलाऊँ
तुम चौक का मीठा शर्बत, हम सर्राफे की चाट- चटोर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
तुम भोपाल हो जाओ, हम इंदौर हो जाएं
तुम धीरे से मुस्का देना हम ताली देकर हँस देंगे
तुम शायरी एक उछालना, हम बाहों में तुमको कस लेंगे
तू भीमबैठका की सुबह सा शांत, मैं चौक बाज़ार की रात सी हूँ
तू भोपाली नफ़ासत वाला, मैं बिन बातों की बात सी हूँ
तुम बन जाओ साँची के संयम, हम भेड़ाघाट की जलधारा का शोर हो जाएं...
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
चलो हम दोनों भी इश्क़ में मशहूर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
खजुराहो की कला जैसे ,हम प्रेम को वश में कर लेंगे
बाजबहादुर रूपमती के किस्से फिर जीवित कर देंगे
तुम विशाल बड़े तालाब बनो, मैं पातालपानी की लहर बनु
तुम महेश्वर के घाट जैसे, मैं राजवाड़ा सी शान बनु
तुम भटके हुए मुसाफ़िर, हम तेरा ठौर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
रीगल में फिल्में देखकर हम इश्क़ के ढेरों ख्वाब बुनें
वीआईपी रोड की शाम तले हम ख्वाबों के गहरे रंग चुने
तुम तालाब के गहरे नीले रंग, मैं रंग में तेरे रंग जाऊ
तुम बन जाओ मेरे जोगी, मैं तेरी जोगन कहलाऊँ
तुम चौक का मीठा शर्बत, हम सर्राफे की चाट- चटोर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
जहाँ प्यार बढ़े वो सुबह हो तुम जहाँ सुकूँ मिले वो सहर हूँ मैं
धीरज धरते महाकाल से तुम,शिप्रा सी चंचलचपल हूँ मैं
मैं रेवा सा आँचल फैला दूँ तुम छाव में आकर सो जाओ
मेरी गहरी काली आंखों में भोपाली सुरमे से रम जाओ
प्रेमरंग में डूबें कान्हा-किसली के मोर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ हम इंदौर हो जाएं।
चलो हम दोनों भी इश्क़ में मशहूर हो जाएं
तुम भोपाल हो जाओ, हम इंदौर हो जाएं
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
2 comments:
वाह
Bahut bahut dhanyawad
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