इस कविता में इक खास बात है इसे लिखते समय पैराग्राफ की तरह लिखा गया फिर जाने क्यों लगा कविता सी हो गई तो बस कुछ पंक्तियों में शब्द कांटे छांटे एंटर मारा और बस ये कविता बन गई अब कितने लोगो को ये कविता लगेगी नहीं जानती .....
जिंदगी का हर कतरा जेसे इक ख़त
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
जिंदगी का हर कतरा जेसे इक ख़त
मैं तुम्हे लिखती थी लिखती हू
लिखती रहूंगी जब तक साँस है
हर शब्द ,उम्मीद से है
हर मात्रा जन्म देती है तेरे अहसास को
हर नुक्ते का ख्वाब तुम्हारे दिल में
हर्फ़ (शिलालेख) सा ख़ुद जाने का,
ये बात शायद तुम समझ गए
तभी तुम्हारा दिल शिला हो गया .....
मेरा ये इश्क पन्ना दर पन्ना
मुझे अमृता बना देता है
तुम भी मेरे कल रहे ?
शायद कल भी रहो ?
पर ना जाने क्यों
तुम मेरे इमरोज़ (आज) नहीं होते
एसे ही बस ये ख़त भी बढ़ता जाता है
और स्याही भी खत्म नहीं होती...
कहने को तुम फकीर से हो
पर मेरे दर पर नहीं आते
मेरे लिए तुम शहंशाह सी
शक्शियत के हो जाते हो
जो इश्क तुम्हे चाहिए
वो मुझे देने आना होता है दस्तक देकर
प्यासे और कुए का अंतर नहीं होता......
लोग मेरे दर पर आकर
तुम्हे पुकारते हैं
शायद जानते हैं तुम चाहे
दुनिया में कहीं भी देखे जा सकते हो
सड़कों पर,नदी किनारे या भीड़ में गुमसुम
पर मिलोगे बस मेरे दिल में .....
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
4 comments:
खूबसूरत एहसास
सादर
प्यार भरे बहुत खूबसूरत अहसास...
मन में बने रहने का आग्रह..
हर शब्द ,उम्मीद से है
हर मात्रा जन्म देती है तेरे अहसास को
हर नुक्ते का ख्वाब तुम्हारे दिल में
हर्फ़ (शिलालेख) सा ख़ुद जाने का,
ये बात शायद तुम समझ गए
तभी तुम्हारा दिल शिला हो गया .. बेशक प्रवाहित एहसास
Post a Comment