Friday, July 6, 2012

ये मेरे गाँव वाली बरसात नही ...

ये कविता मैंने नहीं लिखी मेरे हसबेंड ने लिखी है मुझे बहुत अच्छी लगी इसलिए यहाँ मेरे ब्लॉग पर साझा कर रही हु 

कुछ  कमी  सी  है  इस  सावन  में ,
इसमें  अब  वो  बात  नहीं ,
एसी  वैसी  जेसी  भी  हो ,
ये  मेरे  गाँव  वाली  बरसात  नही ...

धरती   भीगे  अम्बर  भीगे ,
ये  मन  क्यों  सुखा  रहता  है ,
नदिया , नाले  सब  कोई  झूमे ,
मन  का  झरना  क्यों  नही  बहता है ,
अंतर्मन के  छालो  को  भर  दे ,
इसमें  अब  वो  करामात  नही ,
एसी  वैसी  जेसी  भी  हो ,
ये  मेरे  गाँव  वाली  बरसात  नही ...

ए सी  के  बंद  कमरों  में ,
सारे  एहसास  मर  जाते  है ,
येस सर  येस  सर  करते  करते ,
हम  कितने  समझौते  कर  जाते  है ,
हंसी , ख़ुशी  जैसा  कुछ  है  लेकिन ,
अब  दिल  में  वो  जज़्बात  नहीं ,
एसी  वैसी  जेसी  भी  हो ,
ये  मेरे  गाँव  वाली  बरसात  नही ...

तन  भी  भीगे  मन  भी  भीगे ,
एसे  अब  हालात  कहाँ ,
पैसो  की  इस  भाग  दौड़  में ,
जीवन  जीने  का  वक़्त  कहाँ ,
बच्चो  की  जिद  में  भी  अब  तो ,
बारिश  में  भीगने  की  बात  नही ,
एसी  वैसी  जेसी  भी  हो ,
ये  मेरे  गाँव  वाली  बरसात  नही ...

आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

9 comments:

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर कविता!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

ऐसी वैसी जैसी भी है, कविता वाली बात तो है
मनके भावों को लिखकर,करामात की बात तो है
ऐसे ही उनसे लिखवाकर,करिये ब्लॉग पर साझा
लिखने में वो माहिर लगते,गांव वाली बात तो है,,,,

RECENT POST...: दोहे,,,,

ANULATA RAJ NAIR said...

गाँव सा कुछ भी तो नहीं है...बारिश भी नहीं..
बहुत सुन्दर कविता...हमारी बधाई आपके "उन" तक पहुंचा दीजिए...
:-)

अनु

Yashwant R. B. Mathur said...

लोकेश सर को हमारी सादर नमस्ते!

ये पंक्तियाँ सच से रु ब रु कराती हैं-

"तन भी भीगे मन भी भीगे ,
एसे अब हालात कहाँ ,
पैसो की इस भाग दौड़ में ,
जीवन जीने का वक़्त कहाँ ,"

आशा है सर का लिखा आगे भी पढ़ने को मिलेगा।

सादर

प्रवीण पाण्डेय said...

जब जन हरषें, तब हिय हरषे..

अशोक सलूजा said...

अपने बचपन को याद करता ...एक भावुक क्षण !

शुभकामनाएँ!

deepakkibaten said...

एसी के बंद कमरों में
सारे एहसास बन जाते हैं
यस सर यस सर करते करते
हम कितने समझौते कर जाते हैं

वर्त्तमान की विडम्बनाओं की रोचक प्रस्तुति,
वैसे भी कविता पति लिखे या पत्नी, भावना तो एक ही होगी.

Pallavi saxena said...

nice poem...

loks said...

Thanks to all for liking my poem...:-)