Friday, December 30, 2011

कोई बात यू बाहर नहीं जाती

वो आजकल गज़ब के उदास दिखते हैं
मुस्कराहट भी चेहरे पर खुलकर नहीं आती
खिडकियों की चुगलियों का खेल  है सारा
वरना कोई बात यू बाहर नहीं जाती

ताउम्र कोई किसी के गम में नहीं रहता
याद आती है मगर उतनी मयस्सर नहीं आती
किसी की सिसकियों का असर ही रहा होगा
यूं तो बरकत भी छोड़कर किसी का घर नहीं जाती


खामोशियों को सुनने की आदत डाल लो
किस्मत हर बार  कुण्डी  बजाकर नहीं आती
तुम  यूँ ग़मज़दा ना रहो ,कल फिर आएगी
"दौलत" साथ लेकर  किसी का मुकद्दर नहीं जाती

इन सरगर्मियों से यूं ना बेज़ार हो जाओ
इन्कलाब की मंजिल थाल में सजकर नहीं आती
वक़्त  और सब्र की कीमत देनी ही पड़ती है
मुसीबतें कभी  आराम से चलकर नहीं जाती

12 comments:

Sunil Kumar said...

खिडकियों की चुगलियों का खेल है सारा ...........क्या बात है बहुत खूब बधाई

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत खूब, खेल बस खिड़कियों का ही है।

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर! नव वर्ष की शुभकामनायें!

S.N SHUKLA said...

बहुत खूब, बधाई.
नूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.

vandana gupta said...

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति……………आगत विगत का फ़ेर छोडें
नव वर्ष का स्वागत कर लें
फिर पुराने ढर्रे पर ज़िन्दगी चल ले
चलो कुछ देर भरम मे जी लें

सबको कुछ दुआयें दे दें
सबकी कुछ दुआयें ले लें
2011 को विदाई दे दें
2012 का स्वागत कर लें

कुछ पल तो वर्तमान मे जी लें
कुछ रस्म अदायगी हम भी कर लें
एक शाम 2012 के नाम कर दें
आओ नववर्ष का स्वागत कर लें

सदा said...

वाह ...बहुत खूब
नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर!नववर्ष की मंगल कामना

Unknown said...

very nice;;;

सागर said...

सुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....

रजनीश तिवारी said...

bahut sundar...

Anonymous said...

CHUGLIYAN INSAAN HI KARTA YAHAAN,
DOSH KHIDKIYON PE KYU LAGAAI JAATI I

Anonymous said...

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