Sunday, November 27, 2011

प्रेम तो बस प्रेम है

आज ज्यादा बातें नहीं बस २ अलग अलग ढंग की कविताएँ,लिखी है...आधार प्रेम ही है ....एक में आगृह है दूसरी में भक्ति का अंश....
1)

जानती हू तुम दिल की दिल में रखते हो
हमेशा शांत रहते हो कभी कभी बरसते हो
यूं सब समाकर ना रखो ,छलकता जाम हो जाओ
कभी तो खासपन छोड़ो ज़रा से आम हो जाओ 



 2)
तुम्हे देखकर ग़ज़ल कह ना दू मैं
महकता सा पावन कमल कह ना दूं मैं

तुम पहली किरण,चमकती ओंस सी हो
निर्मल सी, चंचल सी, निर्दोष सी हो

जहाँ अनंत प्रेम होता है ,उस अंक सी हो
हृदय मोती तुम्हारा तुम शंख सी हो

रुई का फाहा भी तुम्हे छुना  चाहे
कलंक ना लगे तुम्हे , इस बात से घबराए

कभी वन की चिड़िया कभी हिरनी सी चंचल
मूरत सी सुन्दर वेसी ही अविचल

तुम्हे प्रेम करने का सोचु भी कैसे?
तुम प्रेम की देवी, मैं हूँ  भक्त  जैसे ....
मैं वैराग धरकर तुम्हे पूजना चाहू
तुम पास बुलाओ पर मैं दूर जाऊं 
तुम्हारे प्रेम से डरता हूँ  मैं किंचित
रह ना जाऊं  कही तेरी भक्ति से वंचित.....

आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

19 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

"रुई का फाहा भी तुम्हें छुना चाहे
कलंक ना लगे तुम्हें,इस बात से घबराए"

यह पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं।

सादर

अनुपमा पाठक said...

आधार प्रेम हो... तो शब्द संजोने योग्य होंगे ही!

रश्मि प्रभा... said...

यदि तुम काल्पनिक प्रेम भी जीते हो - तो तुम्हारी दृढ़ता असीम होगी

Prakash Jain said...

बहुत सुन्दर....

सच कहा प्रेम तो बस प्रेम है....

www.poeticprakash.com

सदा said...

बिल्‍कुल सच कहा है .. बेहतरीन ।

Pallavi saxena said...

सच ही तो है प्रेम आखिर प्रेम है जैसे नारी एक रूप अनेक वैसे ही प्रेम भी एक किन्तु रूप अनेक ....बढ़िया प्रस्तुति ....

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बेहतरीन

Sunil Kumar said...

सुंदर शब्द संयोजन के साथ सुंदर भाव

S.N SHUKLA said...

बहुत ख़ूबसूरत रचना, बधाई.

प्रवीण पाण्डेय said...

गहन राह है,
सहन चाह है।

शरद सिन्हा said...

पढ़कर अच्छा लगा. कभी हमारे ब्लॉग पर भी आइये.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर रचनाएं....
सादर बधाई...

Satish Saxena said...

अच्छी अभिव्यक्ति
शुभकामनायें !

Atul Shrivastava said...

प्रेम में डूबी सुंदर रचना।

News And Insights said...

ब्लॉगजगत में मुझे ऐसे कई लोग मिल ही जाते हैं जो बेहतरीन लिखते हैं लेकिन कभी उन्हें पढ़ नहीं पाया। आज आपके ब्लॉग पर आकर भी ऐसा ही लगा। तारीफ़ के शब्द कम पड़ जायेंगे, धन्यवाद

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सच है .... प्रेमपगी पंक्तियाँ .... चैतन्य को शुभकामनायें देने का आभार

Anonymous said...

Anonymous said...

अच्छी है रचनाये.......माफ़ कीजिये पहली वाली क्या आप पहले भी पोस्ट कर चुकी है क्या?.........मुझे कुछ पढ़ी सी लगी.........कृपया अन्यथा न ले मुझे लगा सो मैंने कह दिया....... हो सकता ये मेरा वहम हो :-))

Anonymous said...

What a great website. Well done