वो उसका मुस्कुराना ही, मेरे लिए इबादत था
वो उसके गेसुओं की लट में सुबह से शाम होती थी
उसकी जुल्फों का साया ही जेसे खुदा की नेमत था
लोगो ने खूब बातें की उसकी मोहब्बत के किस्सों की
मेरे लिए सब अफसाना था बस उसका प्यार हकीक़त था
ऐ प्रेम मैं तुम्हे तब तलक पढूंगी जब तक तलक तुम लिखे जाते रहोगे अगर अपना पढ़ा जाना चाहते हो तो लिखने वालों को सलामत रखो.... ऐ प्रेम मैं तुम्हे तब तलक लिखूंगी जब तलक तुम पढ़े जाते रहोगे अगर अपना लिखा जाना चाहते हो तो अपने करने वालों को सलामत रखो Blog Copywrite@kanupriya inform first if you are publishing some content
1 comment:
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