वो उसकी इक हँसी की खातिर मैं कर देता था सौ सजदे
वो उसका मुस्कुराना ही, मेरे लिए इबादत था
वो उसके गेसुओं की लट में सुबह से शाम होती थी
उसकी जुल्फों का साया ही जेसे खुदा की नेमत था
लोगो ने खूब बातें की उसकी मोहब्बत के किस्सों की
मेरे लिए सब अफसाना था बस उसका प्यार हकीक़त था
1 comment:
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