Wednesday, May 4, 2011

आगे बढिए : बढाइये कदम महिला भ्रूण हत्या के खिलाफ



आगे बढिए : बढाइये कदम महिला भ्रूण हत्या के खिलाफ

तू कितनी अच्छी है,तू कितनी प्यारी है न्यारी न्यारी है ओ माँ मेरी माँ !

अच्छा लगता है न ये गाना मुझे लगता है सबको अच्छा लगता होगा.

पर उन अजन्मी बच्चियों के बारे मैं सोचिये जो सिर्फ माँ के गर्भ मैं कभी एक आध बाद इस गाने की धुन भी महसूस नहीं कर पाई होंगी और इस दुनिया मैं आने से पहले ही दूसरी दुनियां मैं चली गई .आज न जाने क्यों एक तीस सी उठ रही है मन मैं की काश वो भी मेरी तरह ये दुनिया देख पाती.वो भी अपने माँ के कोमल अहसास को महसूस कर पाती.

पर न जाने क्यों उसकी अच्छी प्यारी और न्यारी माँ उसे इस दुनिया मैं लाने की हिम्मत नहीं कर पाई ,जाने किसके दबाव मैं उसने अपनी बच्ची को अपने से दूर कर दिया.या खुद को आधुनिका कहने वाली उसकी माँ खुद ही अपनी दकियानूसी सोच नहीं बदल पाई.

अजीब है ये देश जहा इतनी उन्नति के बाद भी लोग लिंगभेद करते है भारत की हाल ही मैं हुई गिनती के अनुसार भारत मैं महिलाओं एवं पुरुषों का अनुपात ९३३ प्रति १००० हो गया है और सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात ये है की शहरी क्षेत्रो मैं ये अनुपात ९०० महिलाएं प्रति १००० पुरुष है जबकि गावों मैं ये अनुपात ९४६ प्रति १००० पुरुष है.स्वतंत्रता के बाद ये पहली बार है जब महिला पुरुष अनुपात मैं इतना अंतर आया है.
शर्म आती है मुझे ये सोचते हुए भी की पढ़े लिखे लोग तकनिकी का किस तरह फायदा उठा रहे है .
जब भारत स्वतंत्र हुआ था तब लोगो ने शायद ये सोचा होगा की जेसे जेसे शिक्षा का प्रसार होगा लोगों मैं जागरूकता आएगी और महिला भ्रूण हत्या कम होगी पर सेंसेक्स की रिपोर्ट देखकर लगता है शेहरी लोगो ने तकनिकी का महिला भ्रूण हत्या मैं भी जमकर फायदा उठाया है .बढती महंगाई ने शहर के लोगो इस बात के लिए तो मानसिक रूप से तैयार कर दिया की उन्हें १ या २ ही बच्चे चाहिए पर गिरती हुई मानसिकता कहिये या जड़ मैं बेठी हुई सोच की अब वो १ ही बच्चा उन्हें लड़का चाहिए .मतलब साफ़ है जनसँख्या चाहे उस तेजी से न बढे पर लड़कियों की संख्या तेजी से कम हो रही है.

हम क्यूँ अपने आप को पढ़ा लिखा कह रहे हैं?क्या लोग पढाई सिर्फ इसलिए करते है की वो पैसा कमा सके ?क्या शिक्षा अपने साथ सोच मैं बदलाव नहीं कर रही ? क्या शिक्षा गुणात्मक फायदा नहीं दे रही ?

एक बार सोचकर देखिये नए ढंग के कपडे पहनना ,बड़े होटलों मैं खाना,वीकेंड पर बाहर जाना ,कंप्यूटर,लैपटॉप,आई -फ़ोन ,इन्टरनेट,वेबकैम और न जाने कितनी तकनिकी सुविधाओं का उपयोग करना ,माल्स मैं शौपिंग करना,गावों के लोगो को दकियानूसी कहना ,नौकरी करना ,पैसे कमाना ,और हमें सिर्फ १ बच्चा चाहिए या हमें सिर्फ दो बच्चे चाहिए जेसी बातें करके फॅमिली प्लानिंग की डींगे हांकना क्या यही सब शहरीपन है? क्या फायदा असी पढाई लिखाई का जो हमें सही रस्ते पे चलना भी नहीं सिखा रही.....

पढ़ी लिखी लड़कयाँ और महिलाएं क्या सिर्फ इसलिए पढ़ रही है की वो अपने आप को साबित कर सके,पुरुषों के कंधे से कन्धा मिला मिला सके ,या आज की शहरी भाषा मैं कहे तो घर की अर्निंग मेम्बर बन सके ,क्या वो अभी भी इतनी समझदार और परिपक्व नहीं हुई की अपनी बच्ची को दुनिया मैं लाने के लिए आवाज उठा सके? और खुद को प्रबुद्ध कहने वाला पुरुष वर्ग क्या अब भी नहीं समझ पा रहा महिलाओं की ये घटती संख्या देश मैं १ दिन कुवरो पुरुषों की भीड़ बढ़ा देगा.

इस देश मैं सब समझदार है सरे लोग क्रिकेट पर टिपण्णी करना जानते है,सब ओसामा की मौत पर बातें करते है,अमेरिका के बारे मैं बोलते है,मुफ्त के रायचंद काफी है यहाँ. पर महिला भ्रूण हत्या के virodh मैं आवाज uthane walo की संख्या कम है kyonki सब जानते है ये galat है पर सब darte है bolne से .
मेरी बस लोगो से यही ummeed है की वो पढ़े लिखे है तो अपनी शिक्षा का सही उपयोग karein और अपनी taraf से poori koshish karein की वो कभी महिला भ्रूण हत्या मैं shamil न हो साथ ही अपने aas pass के लोगो को भी asa karne से rokein.yuwa हो तो yuwa hone के uttardayitwa को samjho ,भीड़ मैं shamil हो jao पर भीड़ का hissa bankar gandagi को साफ़ karo....

so spread this msg.......and try your best......

I request to all my friends please share this note with all your friends,if you want to add somthing then please add as comment and please request to all your friends to share this note,main chahti hu ki ye mgs har user tak pahunche aur wo ek baar ise jarur padhe.aur apne dosto se bhi share kare...please help for this noble cause

1 comment:

Anonymous said...

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