Tuesday, April 10, 2012

टूटकर प्यार करना सबका नसीब नहीं

वो  खुशनसीब है  की तुम्हे इस कदर टूटकर प्यार करती है  ....तुम कर पाओ या ना कर  पाओ,करते हो या नहीं करते हो ये उसके  लिए मायने रखता है पर उसकी  मोहब्बत को कम नहीं करता...तुम्हारी बातों पर रोना वो हमेशा से अपने कमज़ोर दिल की मजबूरी मानती रही है और उसका दिल दुखाना (अनजाने में ही या जानबूझकर पता नहीं ) तुम हमेशा से अपना हक मानते रहे हो न तुम बदलते हो न वो बदलती है .
तुम हर बार या हर रोज वही सब करते हो जो उसे रुला दे और वो हर दिन बूँद बूँद रीतने के बाद फिर आंसू बहाने के लिए बूँदें इकट्ठी कर लेती है ,न तुम समझते हो न वो समझती है .
लोग कहते है तुम दोनों साथ में मुस्कुराते हुए बड़े प्यारे लगते हो पर वो चाँद जानता है आधी ,उदास रातें जानती है और शायद तुम दोनों भी की तुम दोनों साथ में रोते हुए कुनमुनाते हुए ज्यादा प्यारे लगते हो एकदम पवित्र निर्दोष से ...पर सच ये भी है की साथ की उन मुस्कुराहटों के लिए तुम भी तरसते हो वो भी तरसती है ...
प्यार का तुमने अलग ही फलसफा खोजा है साथ रहो तो लड़ते हो और दूर रहो याद करते हो पर सब जानते हुए भी न तुम सुधरते हो न वो सुधरती है ...शायद ये भी प्यार ही है ........

तुम बस दिल तक जा सके दर्द को छु नहीं पाए 
आंसुओं  की ये दौलत  खुदा ने बस मुझे दी है

मुझे टूट कर चाहना तेरे हिस्से में नहीं है
ये पाकीज़ा नेमत खुदा ने बस मुझे दी है

तुम मोहब्बत तो कर बेठे मगर लोगो से डरते हो
सारी दुनिया से  बगावत खुदा ने बस मुझे दी है

किसी की नफरत भी संभालो ये हुनर तुमको नहीं मिला
बेरुखी सहने की नजाकत खुदा ने बस मुझे दी है

मेरी रूह में उतरे तो तुम्हे डर है भीग जाने का
ये डूब जाने की हिम्मत खुदा ने बस मुझे दी है

मोहब्बत में मुसीबत हो तुम नसीबो का खेल मानोगे 
नसीब से लड़ जाने की ताकत खुदा ने बस मुझे दी है

आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

19 comments:

Aruna Kapoor said...

प्यार विषय-वस्तु ही ऐसी है कि...इस पर जितना भी लिखा जाए...कम ही होता है!....अनंत सागर के समान!...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

रश्मि प्रभा... said...

waah...

Yashwant R. B. Mathur said...

सच मे गजब का लिखती हैं आप।

सादर

kanu..... said...

गज़ब का तो पता नहीं पर हाँ मोहब्बत लिख रही हू या शायद बस थोड़ी सी कोशिश कर रही हू.पर जितना लिखती हू कम लगता है,अधुरा लगता है,

Saras said...

वाह कनुप्रियाजी टूटकर प्यार करना कोई आपसे सीखे.....हर शेर खूबसूरत ...हर शेर दूसरे पर भारी ..किसकी तारीफ करीं किसे छोडें ....पूरी ग़ज़ल ही लिखनी पड़ेगी दोबारा ...बहुत सुन्दर ..बहुत ही सुन्दर !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

प्यार पर जितना लिखा जाय कम है,फिर भी आपने बहुत ही सुन्दर ढंग लिखा,कनुप्रिया जी,..बधाई प्रस्तुति,.....

RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....

संध्या शर्मा said...

सच टूटकर प्यार करना सबके नसीब में नहीं होता, खुदा किसी-किसी को ही देता है नेमत... बहुत खूबसूरती से बयां किया है आपने इस अहसास को...

Smart Indian said...

:)
वाकई, न सबके नसीब की, न सबके बस की बात है।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब .. सच कहा है टूट के प्यार कत्तना आसान नहीं और सबके बस में भी नहीं होता ...

dr.mahendrag said...

KHOOBSURAT

अशोक सलूजा said...

कनु जी! स्वागत है ...
टूट कर प्यार करना सबका नसीब नही ..
टूट कर प्यार करने वाले का कोई रकीब नही||

शुभकामनाएँ!

Dr.NISHA MAHARANA said...

gazab ki abhiwayakti.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यह ताकत खुदा ने बख्शी है बहुत सुंदर भावभिव्यक्ति

कविता रावत said...

सच टूट कर प्यार करना हर किसी की नसीब में नहीं लिखा होता है..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..

shalini rastogi said...

बहुत ही खूबसूरत, ज़ज्बातों से भरी शायरी!

PK SHARMA said...

sahi kaha aapne dost,,,,,pyar cheezhi aisi hai ........

Unknown said...

achchi hai....

kanu..... said...

bahut bahut dhanyawad aap sabhi ka.

शरद सिन्हा said...

सुन्दर रचना