Thursday, March 29, 2012

हम याद करके रोए वो भुला भुला के रोए

 हमसे रूठकर वो आंसू छुपा छुपा के रोए
सारे जज़्बात दिल में दबा दबा के रोए
दर्द- ए- दूरी किसी को नहीं आसान रहा
हम याद करके रोए वो भुला भुला के रोए

हमारा इक दूजे से ज्यादा कोई अपना न था
पर आंसुओं को देखने में किसी ने कसर न रखी
हम उन्ही पराये से अपनों के आगे  रो लिए 

  वो सारी दुनिया से नज़र बचा बचा के रोए

 

प्यार की हर याद ठुकराकर  वो गए
पर यादें उन्हें ठुकराकर गई नहीं कभी
हम इंतज़ार की हर गली सजाकर रोए
वो वापसी के रास्तों से कदम बचा के रोए



आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

10 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया

सादर

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर रचना... वाह!
हार्दिक बधाई.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह!!!!!बहुत खूब सुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

Sunil Kumar said...

बहुत खूब क्या बात , मुबारक हो

monali said...

:'(

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रेम के विश्वास की विजय हो।

Kunwar Kusumesh said...

सुंदर रचना,बेहतरीन भाव

संध्या शर्मा said...

सुन्दर रचना... सुन्दर भाव...

alwidaa said...

खूब सुंदर रचना...

Unknown said...

खूब सुंदर रचना.....