या जीवन एक सीढ़ी है मृत्यु तक जाने की ?
अगर यही दो सत्य है इस जीवन के
तो ऐ खुदा मुझे अनंत पीड़ा से मुक्त कर दे
क्या जीवन सिर्फ इसलिए है की उसे तिल तिल मरकर बिता दिया जाए?
या इसलिए है की अपनी आँखों की चमक एक अनजाने से खौफ में
सिमटकर खो दी जाए और बस एक तड़प बसा ली जाए आत्मा में ?
तो ले ले अपना ये अहसान मुझसे वापस
मन नहीं लगता तेरी इस दोगली दुनिया में
क्युकी मैं जानती हु जब इंसान जीवन मृत्यु के फेर मैं पड़ जाए तो एक उदासी घर कर जाती है उसके अन्दर
और यही उदासी मार देती है उसे दीमक की तरह
जिंदगी में मीठे जल क झरनों की जरुरत होती है हमेशा
और जब जिदगी रेगिस्तान बन जाए तो काँटों की उम्मीद भी नहीं रहती
क्यूंकि उन्हें पनपने क लिए भी १ सोता चाहिए होता है
ये जीवन मृत्यु का फेर ही अनंत है...
शायद कोई नहीं समझा
मैं समझना चाहती हु बस एक बार मुझे बता की क्यों हु मैं इस दुनिया मैं
तेरी लिखी हुई तकदीर का बोझ धोने के लिए या
बस मृत्यु क आगोश मैं सो जाने तक जीने के लिए....
बस एक बार मुझे मुझे मेरे जीने का मकसद बता दे
1 comment:
मृत्यु ही जीवन है ...
और यही उदासी मार देती है उसे दीमक की तरह
जिंदगी मैं मीठे जल क झरनों की जरुरत होती है हमेशा
और जब जिदगी रेगिस्तान बन जाए तो काँटों की उम्मीद भी नहीं रहती
क्यूंकि उन्हें पनपने क लिए भी १ सोता चाहिए होता है
ये जीवन मृत्यु का फेर ही अनंत है...
शायद कोई नहीं समझा
बहुत अच्छी रचना लिखी है आपने ...
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