कौन हो तुम ?
अलसाई सी सुबह मैं कोमल छुअन के अहसास से हो,
अनजाने से चेहरों मैं एक अटूट विश्वास से हो ।
गढ़गदाती बदरियो में, सुरक्षा के अहसास के जेसे,
काँटों भरी दुनिया में स्वर्ग के पारिजात के जेसे।
बद्दुआओन की भीड़ में इश्वर के आशीर्वाद से तुम,
लम्बे समय के मौन में आँखों के संवाद से तुम।
लड़कपन की उम्र में कनखियों के प्यार तुम,
हर मोड़ की हार के बाद आशाओं के विस्तार तुम।
झुलसाती सी गर्मी में बरसाती फुहार से तुम,
बेस्वादी सी थाली में आम के अचार से तुम।
हर बार खोजती हु तुम्हे पर हाथ नहीं आते,
दिन रात का साथ है पर साथ नहीं आते।
कोई ख्वाब हो या हकीकत हो तुम,
पर मेरे जीने की जरुरत हो तुम।
ख्वाब हो तो आँखों से दूर न होना,
क्योंकि बेहद खुबसूरत हो तुम....
अलसाई सी सुबह मैं कोमल छुअन के अहसास से हो,
अनजाने से चेहरों मैं एक अटूट विश्वास से हो ।
गढ़गदाती बदरियो में, सुरक्षा के अहसास के जेसे,
काँटों भरी दुनिया में स्वर्ग के पारिजात के जेसे।
बद्दुआओन की भीड़ में इश्वर के आशीर्वाद से तुम,
लम्बे समय के मौन में आँखों के संवाद से तुम।
लड़कपन की उम्र में कनखियों के प्यार तुम,
हर मोड़ की हार के बाद आशाओं के विस्तार तुम।
झुलसाती सी गर्मी में बरसाती फुहार से तुम,
बेस्वादी सी थाली में आम के अचार से तुम।
हर बार खोजती हु तुम्हे पर हाथ नहीं आते,
दिन रात का साथ है पर साथ नहीं आते।
कोई ख्वाब हो या हकीकत हो तुम,
पर मेरे जीने की जरुरत हो तुम।
ख्वाब हो तो आँखों से दूर न होना,
क्योंकि बेहद खुबसूरत हो तुम....
2 comments:
कोई ख्वाब हो या हकीकत हो तुम,
पर मेरे जीने की जरुरत हो तुम।
ख्वाब हो तो आँखों से दूर न होना,
क्योंकि बेहद खुबसूरत हो तुम...
बहुत खूब कनु जी .
बहुत गहरी बात कह गईं आप .
वाह जी वाह
bahut hi umda....
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