Thursday, December 1, 2011

बेवफाई ,विरह और दर्द

आज फिर इधर उधर से चुनकर कुछ पंक्तियाँ डाल रही हू....
            बेवफाई
बेवफा से हो मोहब्बत  इसमें गिला नहीं
पर हर शर्त  मुकम्मल हो फिर  ,रस्मे जुदाई की
दिल के ताब* जोड़ जोड़कर आज़माइश करो ख़ुद की (टुकड़े)
अब  सजा ख़ुद को ना दो ,उसकी  बेवफाई की

अपने पाँव के नीचे ख़ुद देखकर चलना
अँधेरी गलियों से क्या उम्मीदें रौशनाई  की
अपना ख़ुदा इन्तिखाब* करना अपने दिल पर है  (चुनना)
पर नाखुदा को ख़ुदा कहना भी नाकद्री है ख़ुदाई की

             विरह
ग़र  छोड़कर जा रही हो मुझे तुम
तो इतना सा मुझपर अहसान करना
अगर ज़िन्दगी में कभी फिर मिले तो
ना उम्रदराजी की दुआ देना,ना सलाम करना

खुदा से बस इतनी ख्वाहिश कर लेना
नज़र से नज़र ना मिले फिर हमारी
मेरी नज़रों से तुम दिल तक उतरती थी
मुश्किल होगा अब ये ग़मज़दा नज़र पार करना

              दर्द 
गुलाबजल की शीशियाँ समुन्दर में गर्क कर दी
आजकल आंसुओं से ही  आँखें साफ़ होती है
ख़ुद को आइना बनाकर गम की ताबीरें लिख दी
दर्द बढ़ने से  जिंदगी पढने काबिल किताब होती है


आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

18 comments:

Prakash Jain said...

बहुत सुन्दर

दर्द पर तो गज़ब का लिखा है...गुलाब जल की.....किताब होती हैं .....वाह!!!

www.poeticprakash.com

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब!

सादर

Pallavi saxena said...

गुलाब जल कि शीशियाँ समंदर में गर्क करदीं
आज कल आसुओं से ही आँखें साफ होती हैं
खुदा को आईना बनाकर ग़म कि ताबीर लिख दी
दर्द बढ्ने से ज़िंदगी शायद पढ़ने के काबिल किताब होती है। बहुत सही बात कह डाली शायद इसी का नाम ज़िंदगी है। बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....

अनुपमा पाठक said...

तीनों विषयों पर सुन्दरता से कलम चलायी है!

प्रवीण पाण्डेय said...

इन शब्दों से बाहर आकर जीवन साम्य पा जाता है।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर रचनाएं....
सादर...

देवेंद्र said...

दर्द से हमारा कहीं गहरा रिश्ता है, कि इनसे ही खूबसूरत गजल बन जाती है।

Atul Shrivastava said...

शानदार.... लाजवाब... बेमिसाल....

S.N SHUKLA said...

सुन्दर स्रजन, ख़ूबसूरत भाव, शुभकामनाएं .

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi badhiyaa

Anonymous said...

सुंदर संगम किया है कनु जी आपने।

Anonymous said...

सुंदर संगम किया है कनु जी आपने।

सागर said...

khubsurat bhaavo ki behtreen abhivaykti....

Kunwar Kusumesh said...

ख़ूबसूरत भाव.

Smart Indian said...

@अन्धेरी गलियों से क्या उम्मीद रोशनाई की!
वाह!

Anonymous said...

beutiful

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

भावनाओं का ज्वार कविताओं में उतर आया है …

बहुत ख़ूब … कनुजी !

संजय भास्‍कर said...

.... प्रशंसनीय रचना - बधाई
कनु जी