आज फिर इधर उधर से चुनकर कुछ पंक्तियाँ डाल रही हू....
बेवफाई
बेवफा से हो मोहब्बत इसमें गिला नहीं
पर हर शर्त मुकम्मल हो फिर ,रस्मे जुदाई की
दिल के ताब* जोड़ जोड़कर आज़माइश करो ख़ुद की (टुकड़े)
अब सजा ख़ुद को ना दो ,उसकी बेवफाई की
अपने पाँव के नीचे ख़ुद देखकर चलना
अँधेरी गलियों से क्या उम्मीदें रौशनाई की
अपना ख़ुदा इन्तिखाब* करना अपने दिल पर है (चुनना)
पर नाखुदा को ख़ुदा कहना भी नाकद्री है ख़ुदाई की
विरह
ग़र छोड़कर जा रही हो मुझे तुम
तो इतना सा मुझपर अहसान करना
अगर ज़िन्दगी में कभी फिर मिले तो
ना उम्रदराजी की दुआ देना,ना सलाम करना
खुदा से बस इतनी ख्वाहिश कर लेना
नज़र से नज़र ना मिले फिर हमारी
मेरी नज़रों से तुम दिल तक उतरती थी
मुश्किल होगा अब ये ग़मज़दा नज़र पार करना
दर्द
गुलाबजल की शीशियाँ समुन्दर में गर्क कर दी
आजकल आंसुओं से ही आँखें साफ़ होती है
ख़ुद को आइना बनाकर गम की ताबीरें लिख दी
दर्द बढ़ने से जिंदगी पढने काबिल किताब होती है
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
बेवफाई
बेवफा से हो मोहब्बत इसमें गिला नहीं
पर हर शर्त मुकम्मल हो फिर ,रस्मे जुदाई की
दिल के ताब* जोड़ जोड़कर आज़माइश करो ख़ुद की (टुकड़े)
अब सजा ख़ुद को ना दो ,उसकी बेवफाई की
अपने पाँव के नीचे ख़ुद देखकर चलना
अँधेरी गलियों से क्या उम्मीदें रौशनाई की
अपना ख़ुदा इन्तिखाब* करना अपने दिल पर है (चुनना)
पर नाखुदा को ख़ुदा कहना भी नाकद्री है ख़ुदाई की
विरह
ग़र छोड़कर जा रही हो मुझे तुम
तो इतना सा मुझपर अहसान करना
अगर ज़िन्दगी में कभी फिर मिले तो
ना उम्रदराजी की दुआ देना,ना सलाम करना
खुदा से बस इतनी ख्वाहिश कर लेना
नज़र से नज़र ना मिले फिर हमारी
मेरी नज़रों से तुम दिल तक उतरती थी
मुश्किल होगा अब ये ग़मज़दा नज़र पार करना
दर्द
गुलाबजल की शीशियाँ समुन्दर में गर्क कर दी
आजकल आंसुओं से ही आँखें साफ़ होती है
ख़ुद को आइना बनाकर गम की ताबीरें लिख दी
दर्द बढ़ने से जिंदगी पढने काबिल किताब होती है
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
18 comments:
बहुत सुन्दर
दर्द पर तो गज़ब का लिखा है...गुलाब जल की.....किताब होती हैं .....वाह!!!
www.poeticprakash.com
बहुत खूब!
सादर
गुलाब जल कि शीशियाँ समंदर में गर्क करदीं
आज कल आसुओं से ही आँखें साफ होती हैं
खुदा को आईना बनाकर ग़म कि ताबीर लिख दी
दर्द बढ्ने से ज़िंदगी शायद पढ़ने के काबिल किताब होती है। बहुत सही बात कह डाली शायद इसी का नाम ज़िंदगी है। बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....
तीनों विषयों पर सुन्दरता से कलम चलायी है!
इन शब्दों से बाहर आकर जीवन साम्य पा जाता है।
सुन्दर रचनाएं....
सादर...
दर्द से हमारा कहीं गहरा रिश्ता है, कि इनसे ही खूबसूरत गजल बन जाती है।
शानदार.... लाजवाब... बेमिसाल....
सुन्दर स्रजन, ख़ूबसूरत भाव, शुभकामनाएं .
bahut hi badhiyaa
सुंदर संगम किया है कनु जी आपने।
सुंदर संगम किया है कनु जी आपने।
khubsurat bhaavo ki behtreen abhivaykti....
ख़ूबसूरत भाव.
@अन्धेरी गलियों से क्या उम्मीद रोशनाई की!
वाह!
beutiful
भावनाओं का ज्वार कविताओं में उतर आया है …
बहुत ख़ूब … कनुजी !
.... प्रशंसनीय रचना - बधाई
कनु जी
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