Sunday, July 5, 2009

समय की पालकी

जब समय की पालकी
नयी दुल्हन की तरह लेकर आती है -कुछ लम्हे कुछ वाकये
लम्हे- जिनमे थोडी ख़ुशी होती है थोड़े गम होतें है
कुछ जज्बात जो कभी ज्यादा कभी कम होते हैं
वाकये - जिन्हें सजाकर रखा जाता है ,दिल के कोनों में...
महफूज रखा जाता है इतना की जेसे,
किसी की नजर पड़ते ही नजर लग जाए .....

जज्बात- जो दिल में कुछ और होतें हैं
और शब्दों में ढलते ढलते कुछ और ही हो जाते हैं.....
जेसे इन्हें संभलकर रखना ही हो असी मज़बूरी जिसने इन्हें दबाकर रखने क लिए कर दिया हो मजबूर हमें....
गम- जिनमे लम्हात है कुछ उलझे हुए
यादें है कुछ आंसू भरी,
जेसे शमा दबा देती  है आंसुओ को और एक चिंगारी के छुते ही बह चलते है वो ,
ठीक वेसे ही कोई स्नेह भरा स्पर्श,कर देता है आँखों को नम.........

और खुशी?- ख़ुशी के पल जिन्हें बयां करना होता है मुश्किल ....
नहीं होते जिनके लिए शब्द ...
आँखों की चमक,होंठों की मुस्कराहट,सब कम लगता है बयाने जज्बात के लिए.......
बस यही तो है जिंदगी.......कितनी आसान पर कितनी उलझी हुई सी....
क्यूंकि समय की पालकी में ,हर रोज होती है एक नै दुल्हन...
नए वाक्यों नए जज्बातों के साथ....
भविष्य की कल्पनाओं में डूबती उतराती....
आँखों से आंसू बहाती..दिल में नए अरमान सजाती....
बस यही तो है जिंदगी....

3 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन कविता।
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कल 07/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

सदा said...

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति .।

kanu..... said...

dhanyawad