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Friday, February 24, 2012

तुम्हे बुलाऊंगा नहीं पर तुम्हे भुलाऊंगा भी नहीं......

जब से तुम गई मैं रोता नहीं
इसलिए नहीं की खुद से बदला ले रहा हु
या खुद को बड़ा तीस मार खा दिखाना चाहता हु
रोता नहीं क्यूंकि अब आंसू आते ही नहीं
सारा कुआ उलीच  कर ले गई तुम
तुम थी तो तुम्हारे संग हँसते हँसते भी रो देता था
अब तो बूँद बूँद को तरस गया हु
शायद  प्यासा पानी को एसे ही तरसता होगा
मै भी वेसे ही आंसुओं का प्यासा हो गया

सच है तुम्हारे  साथ जिंदगी नहीं गई
जाती भी कैसे ? सिर्फ खुशिया ही तो ज़िन्दगी नहीं
दर्द न सहा तो जिंदगी पूरी  कहा जी ?
खुदा मुझे पूरी जिंदगी देना चाहता था
इसीलिए उसने सब दिया ख़ुशी भी दर्द भी....
कितना खुशनसीब हु मैं. है न?

कैसे कह दू तुम्हे की लौट आओ
अब ये प्यास मुझे उन बूंदों से ज्यादा प्यारी है
ये दर्द  तुमसे ज्यादा करीबी है
तुम्हारी याद तुम्हारे साथ से ज्यादा ख़ास है
सब जाता है,शायद एक दिन मेरा मैं भी चला जाए
पर ये याद नहीं जाएगी...

बोलो भला इतनी अपनी चीज़ को कैसे खो दू?
एक वादा करोगी ?
तुम लौटकर मत आना अब कभी....
मैं भी एक वादा करता हु तुम्हे बुलाऊंगा नहीं
पर तुम्हे भुलाऊंगा  भी नहीं......


आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी