आज फिर कुछ बिखरे मोती संजो लाइ हू कुछ पक्के होंगे कुछ नकली से लगे शायद ....पर कहीं न कहीं तो सजाने के काम आए हैं ....
१.आइना अब तलक अजब सा अक्स दिखाता था ,
उसकी आँखों मै ख़ुद को लगी नई मैं
उसके आने से मेरे वजूद को भी शब्द मिल गए ,
उसके ना आने तक सदा रही अनकही मै
२.
वो एसे फूल की खुशबु की बात करता है ,
जो मेरे दिल में है उसके दिल में कभी खिले ही नहीं
नाराज़ रहकर फिर भी भला लगता है
पर यु अजनबी हुआ जेसे हम कभी मिले ही नहीं
बात तब है तुम दिल से रूह तक जाओ....
नहीं देना है दिल ना दो तुम्हारी अपनी मिलकियत है
मगर है शर्त इक मेरा दिल सलामत छोड़ कर जाओ
५
तेरी मुस्कानों की ख़ातिर हम दुनिया से बगावत कर देंगे
मेरी हर ख्वाहिश ना यूं मानो ,हम चाँद की ख्वाहिश कर लेंगे
ये दिल बड़ा बेदर्दी है नहीं बात मानता गैरों की
तुम इक नज़र प्यार से देखो हम दिल से सिफारिश कर देंगे
मेरे रस्तों पर पर तेरे पैरों के निशाँ से दिखते हैं
यूँ हमरस्ता ना हो जाओ हमसफ़र तुम्ही को कर लेंगे
हमें हर चेहरे में अब तेरा ही अक्स दिखाई देता है
ज़रा अपना सा करके रखो ना जाने किसके संग चल देंगे
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
१.आइना अब तलक अजब सा अक्स दिखाता था ,
उसकी आँखों मै ख़ुद को लगी नई मैं
उसके आने से मेरे वजूद को भी शब्द मिल गए ,
उसके ना आने तक सदा रही अनकही मै
२.
वो एसे फूल की खुशबु की बात करता है ,
जो मेरे दिल में है उसके दिल में कभी खिले ही नहीं
नाराज़ रहकर फिर भी भला लगता है
पर यु अजनबी हुआ जेसे हम कभी मिले ही नहीं
३.
हमने चेहरों के बदलने की खबर तो सुन ली थी
क्या पता था ज़मीर भी बदलते हैं लिबासों की तरह
हर पन्ना , हर नज़्म ,हर शब्द बदल लेते है लोग ,
सिर्फ कलेवर नहीं बदलता किताबों की तरह
क्या पता था ज़मीर भी बदलते हैं लिबासों की तरह
हर पन्ना , हर नज़्म ,हर शब्द बदल लेते है लोग ,
सिर्फ कलेवर नहीं बदलता किताबों की तरह
४
तुम रहो दिल में इसमें तुमने किया ही क्या हैबात तब है तुम दिल से रूह तक जाओ....
नहीं देना है दिल ना दो तुम्हारी अपनी मिलकियत है
मगर है शर्त इक मेरा दिल सलामत छोड़ कर जाओ
५
तेरी मुस्कानों की ख़ातिर हम दुनिया से बगावत कर देंगे
मेरी हर ख्वाहिश ना यूं मानो ,हम चाँद की ख्वाहिश कर लेंगे
ये दिल बड़ा बेदर्दी है नहीं बात मानता गैरों की
तुम इक नज़र प्यार से देखो हम दिल से सिफारिश कर देंगे
मेरे रस्तों पर पर तेरे पैरों के निशाँ से दिखते हैं
यूँ हमरस्ता ना हो जाओ हमसफ़र तुम्ही को कर लेंगे
हमें हर चेहरे में अब तेरा ही अक्स दिखाई देता है
ज़रा अपना सा करके रखो ना जाने किसके संग चल देंगे
9 comments:
खूबसूरत |
बधाई कनु जी ||
खुबशुरत है जिंदगी ख़्वाब की तरह.
जाने कब टूट जाए कांच की तरह
मुझे न भूलना किसी बात की तरह
दिल में रखना मीठी याद की तरह,,,,,
सुंदर रचना के लिए बधाई,,,,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
क्या कहने..
कोमल अहसास से भरी..
प्रेमरस से भरी बहुत सुन्दर
रचना...
:-)
बहुत खूबसूरत अहसास से भरी सुन्दर रचना... बधाई
शब्दों के ये मोती बहुत खूबसूरत हैं।
सादर
बहुत ही सुन्दर और प्रभावी, बस पहला पैराग्राफ चित्र लगाने के कारण हट जाता है..
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उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार
प्रवरसेन की नगरी प्रवरपुर की कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ जीवन के रंग संग कुछ तूफ़ां, बेचैन हवाएं ♥
♥शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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्खूबसूरत अहसासो से लबरेज़
bahut dhanywad apka
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