इक शहीद को याद करके रोना उसका अपमान माना जाता है पर उसके लौट आने की आस तो परिवारों से कोई नहीं छीन सकता वो दुसरे मुसाफिरों की तरह ही यात्रा पर जाता है वो लौटकर आए ना आए उसके अपने यादों को आने से नहीं रोक सकते....
जहाँ भी गए हो चले आओ अब
जहाँ भी गए हो चले आओ अब
की वो उम्मीद जो जाते समय
मेरे आँचल में रखकर चले गए थे
वो तुम्हारे इंतज़ार में मुरझाने लगी है
वो मुस्कराहट जो तुम जाते जाते
मेरे होंठों की खूंटी पर टांग गए थे
उसे ना जाने कहा से आकर
अकुलाहट ने जकड लिया है
तुम्हारी सफल यात्रा के लिए
भगवान को चढ़ाया प्रसाद
फीका सा लगने लगा है
शायद भोग लगा लिया उसने भी
लौट आओ की तुम जो दरवाज़े पर
पुनर्मिलन की आस छोड़ गए हो
वो भी तुम्हारे पिताजी की तरह
इधर से उधर चक्कर लगा रही है
अपनी माँ की आँखों में जो
पुत्रमोह छोड़ गए हो तुम
वो कई दिनों की अधूरी नींद के कारण
लाल डोरों में बदल गया है
चले आओ की तुम्हारी विजय की खबर
वीरगति की खबर से ज्यादा सुख देगी
तुम्हारी वीरगति सम्मान दे सकती है
पर हम सबकी जिंदगी भर की नींद नहीं
तुम लौट आओ
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
14 comments:
भावपूर्ण सुंदर पंक्तियाँ ,,,बधाई.
कनु जी,,,आप दूसरों से कमेंट्स की आशा रखती है,
किन्तु आप स्वम दूसरों के पोस्ट पर नही जाती,मेरा मानना है की कमेंट्स मिलने पर जबाब में कमेंट्स लौटाना चाहिए,,,,,नैतिक शिष्टाचार के नाते,,,,,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
apke comment k lie dhanyawad.kitna ajeeb he sir ap shikayat b tb kr rhe he jb me kl hi apke blogpost ko pdhkr tippani de aai hu.
वीर शहीदों को नमन
ale ap to bde din baad dikhe.nani k ghr gae the?god bless u.
कल 01/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर कनु जी....
जी भर आया पढ़ कर....
अनु
शहीदों को सगर्व याद करना ही उचित सम्मान..
सुन्दर पंक्तियाँ
खूबसूरती से लिखे जज़्बात
शहीद उचित सम्मान के हक़दार हैं.
सुंदर प्रस्तुति.
सुन्दर रचना .... हार्दिक बधाई ...
shaheedo ko yaad karna ye jatana hai ki ham bhi deshbhakt hain...:)
dil se naman unn veero ko!
behatreen!
यही बाकी निशाँ होगा ...
शहीदों कों उचित सामान जरूर मिलना चाहिये ...
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