ए चितेरे मेरा चित्र बनाओगे क्या ? एसा चित्र जो सच में मेरा हो मेरा दर्पण...बोलो बना सकोगे एसा चित्र ? एसा चित्र जिसमे इक रेगिस्तान हो जिसके बीचोबीच समुन्दर हो रेगिस्तान भी फेला हुआ और समुन्दर भी अथाह .इस समन्दर के बीच इक पनडुब्बी में रखे इक संदूक में बंद "मै'....बार बार बाहर निकलने की कोशिश करती हुई ..प्यास से तडपती हुई एकदम निस्तेज पर इस आस मै तड़पती की समुद्र के उस पार कोई मेरा इंतज़ार कर रहा है ...ये जानते हुए भी की संदूक से बाहर आकर मै पनडुब्बी से निकाल भी गई तो अथाह समद्र मेरी प्यास ना बुझा सकेगा ...पर शायद इंतज़ार करने वाले की उम्मीद मुझे पार लगा दे...ये जानते हुए भी की आग सी गर्मी से तपता रेगिस्तान मुझे जिन्दा ना रहने देगा पर फिर भी ना जाने किस उम्मीद से बंधी मै बाहर आना चाहती हू बस इक बार इंतज़ार करने वाले उस चहरे को देखना चाहती हू....बोलो बनाओगे मेरा एसा चित्र ?
एसे चित्रकार का बड़ा इंतज़ार है उसे ...
वो लड़की है ही एसी एकदम पागल ,दीवानी सी .जाने क्या क्या सोचती है ...दुनिया में जीने की हजारों वजहों को छोड़कर जाने कहाँ से मरने के नए नए बहाने खोज लाती है जेसे आज ही पीएचडी करेगी इस सब्जेक्ट में ...जितनी शिद्दत उसमे अलग सी जिंदगी जीने की है उससे कई ज्यादा शिद्दत अलग सी मौत मरने की है ..खामोश मौत से उसे बड़ा डर लगता है ....वो चाहती है उसके चाहने वाले सारे लोग उसकी मौत तक जिन्दा रहे और वो रात को अपनी पसंद के समोसे खाए और सो जाए फिर कभी ना उठे ...
जिसे वो प्यार करती है वो जब सुबह उसे आवाज़ देकर उठाए तो वो जगे ही ना ...और तब उसे अहसास हो की वो लड़की उसे छोड़कर एसे अचानक से चली गई ...उसके जाने के लिए कोई भी तैयार ना हो ,उसके लिए किसी ने ना सोचा हो की वो एसे चली जाएगी ,उसके जाने के बाद कोई ना कहे की उम्र हो गई थी,बीमार थी अच्छा हुआ भगवान ने उठा लिया...बस सारे ये कहें अरे कल रात को तो हँस हँस कर समोसे ख़ा रही थी,कोई कहे कितना पीछे पड़ पड़कर बातें कर रही थी मैंने ही ध्यान नहीं दिया काश उसकी बातें सुन लेता...कोई कहे कल ही तो कह रही थी इस सन्डे बाजार जाएगी , कोई कहे थोड़े दिन पहले ही तो कह रही थी मुझे डांस सीखना है और बस लोग एसी ही बातें करे और वो चली जाए....कब ? कैसे ? क्यों ? ये सारी वजहें बाद में लोग खोजते रहे वो बस चली जाए .......
एसी मौत किस्मत वालों को मिलती है और एसी लड़कियां भी शायद...हाँ पर ये बात अलग है की एसी लड़कियां जिन्हें मिलती है उनकी किस्मत जितनी अच्छी होती उतनी ही खराब भी बिचारे इनके प्रेम से परेशान हो जाते हैं ,जिंदगी से भी प्यार और मौत से भी प्यार ...अलग ही किस्म है इन लड़कियों की ..सबको मिलती नहीं और जिन्हें मिल जाए उनमे से ज्यादतर से संभलती भी नहीं ....
एसे चित्रकार का बड़ा इंतज़ार है उसे ...
वो लड़की है ही एसी एकदम पागल ,दीवानी सी .जाने क्या क्या सोचती है ...दुनिया में जीने की हजारों वजहों को छोड़कर जाने कहाँ से मरने के नए नए बहाने खोज लाती है जेसे आज ही पीएचडी करेगी इस सब्जेक्ट में ...जितनी शिद्दत उसमे अलग सी जिंदगी जीने की है उससे कई ज्यादा शिद्दत अलग सी मौत मरने की है ..खामोश मौत से उसे बड़ा डर लगता है ....वो चाहती है उसके चाहने वाले सारे लोग उसकी मौत तक जिन्दा रहे और वो रात को अपनी पसंद के समोसे खाए और सो जाए फिर कभी ना उठे ...
जिसे वो प्यार करती है वो जब सुबह उसे आवाज़ देकर उठाए तो वो जगे ही ना ...और तब उसे अहसास हो की वो लड़की उसे छोड़कर एसे अचानक से चली गई ...उसके जाने के लिए कोई भी तैयार ना हो ,उसके लिए किसी ने ना सोचा हो की वो एसे चली जाएगी ,उसके जाने के बाद कोई ना कहे की उम्र हो गई थी,बीमार थी अच्छा हुआ भगवान ने उठा लिया...बस सारे ये कहें अरे कल रात को तो हँस हँस कर समोसे ख़ा रही थी,कोई कहे कितना पीछे पड़ पड़कर बातें कर रही थी मैंने ही ध्यान नहीं दिया काश उसकी बातें सुन लेता...कोई कहे कल ही तो कह रही थी इस सन्डे बाजार जाएगी , कोई कहे थोड़े दिन पहले ही तो कह रही थी मुझे डांस सीखना है और बस लोग एसी ही बातें करे और वो चली जाए....कब ? कैसे ? क्यों ? ये सारी वजहें बाद में लोग खोजते रहे वो बस चली जाए .......
एसी मौत किस्मत वालों को मिलती है और एसी लड़कियां भी शायद...हाँ पर ये बात अलग है की एसी लड़कियां जिन्हें मिलती है उनकी किस्मत जितनी अच्छी होती उतनी ही खराब भी बिचारे इनके प्रेम से परेशान हो जाते हैं ,जिंदगी से भी प्यार और मौत से भी प्यार ...अलग ही किस्म है इन लड़कियों की ..सबको मिलती नहीं और जिन्हें मिल जाए उनमे से ज्यादतर से संभलती भी नहीं ....
अब इक कविता....जिसे कविता मान लेना या ना मान लेना पढने वालो पर है...पर ये जेसे इक इच्छा सी होती है एसी लड़कियों की ....
मेरी मौत तुमसे पहले होगी
ये अब बहस का मुद्दा ही नहीं
क्यूंकि वो खुदा भी
मुझे प्यार करता है
तुमसे ज्यादा या कम ?
ये तुम दोनों आपस में समझ लेना
मैं बस इक बात मांगती हू
बोलो दोगे ना ?
जब मैं इस दुनिया से जाऊ
मुझे कफ़न की जगह
मेरे खवाबों से सज़ा देना
बाकि सारी रस्मे तो
ये दुनिया निभा देगी
तुम्हारे मन से जुदा करे या ना करे
ये तुम और दुनिया समझ लेना
बस मेरे शब्दों को कभी
अपने से अलग मत करना
उन्हें अपने दिल में सभाल लेना....
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
18 comments:
बहुत ही अच्छा और मर्मस्पर्शी।
सादर
ख्वाबों का कफन
मर्मस्पर्शी
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर दिल को छूती अभिव्यक्ति,,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
कुछ अलग सी पोस्ट अच्छी लगी
बहुत सुंदर.... मन को छूती अभिव्यक्ति....
चेहरा तो फिर भी चित्रित हो जायेगा, मन के उतारने वाला चित्रकार कहाँ से आयेगा।
बहुत मर्मस्पर्शी रचना...
मेरी मौत तुमसे पहले होगी
क्योंकि वह खुदा भी मुझसे प्यार करता है
ज्यादा या कम तुम दोनों आपस में समझ लेना...
लाजवाब... मर्मस्पर्शी रचना
nihshabd anubhuti
अच्छी कविता...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति .....
आज तो कुछ कहने लायक छोडा ही नहीं।
आशीर्वाद और शुभकामनाएँ!
बहुत सुंदर कनु जी................
आपकी लेखनी में नाजुकता है एक...जो छू जाती है कहीं दिल को.....
अनु
bahut bahut dhyanyawad aap sabhi ka ....
बहुत सुंदर ...
शुभकामनायें !
.क्या कहू...बस आँखें भर आई...बहुत हीं खूब...
aankh bhar aai ....marmik...
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