ए मेरे जन्मदाता कवि
मुझे यूँ अकेले भटकने के लिए ना छोड़ो
इस मशीनी दुनिया में मैं रास्ता भूल जाउंगी
तुमने मुझे अपनी घोर बेचैनियों को पालकर
मोह और निर्मोही जीवन के बीच संघर्ष करके
अस्तित्व को दिन प्रतिदिन की चुनौती देकर
बड़ा दर्द उठाकर जन्म दिया
अब इस तरह मुझे इन निर्मोही वाहकारों
की कुछ वाह वाह के लिए नीलाम ना करो
कुछ पन्नो में मुझे समेट कर जिल्द की बेडी में जकड़कर
अपनी कला का अपने दर्द का अपमान ना करो
याद है तुम्हे तुम घोर विचार जंगलों में
कही बहुत अन्दर बैठी उस मासूम लड़की
के बालों में उलझे शब्द खोज लाए थे
और उन्हें पिरोकर मेरे लिए माला बनाई थी
तब से आज तक वो लड़की अपने बाल नहीं बांधती
बस तुम्हारा इंतज़ार करती है ...
विचारों के उस जंगल का हर कतरा
हर लहर,नदियाँ ,पहाड़ ,बादल सब
तुम्हारे उनके करीब जाने के अनंत इंतज़ार में हैं
पर तुम चमक दमक में खो गए हो कहीं
वो गहरा दर्द वो शापित रात्रियाँ ,
वो अनसुलझी पहेलियाँ सब तुम्हे पुकारती हैं
पर तुम प्रसिद्धि के शोर में
नेपथ्य से आती वो आवाजें सुन नहीं पाते
हे दर्द के कवि,प्रेम के पुजारी
मुझे इस मशीनों के पुजारियों को मत सौपो
मेरे शब्द दे दो मेरा रूप देदो पर
बस मेरी आत्मा को मत बेचना कभी....
ना अपनी आत्मा को .....
सुन रहे हो ना....
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
मुझे यूँ अकेले भटकने के लिए ना छोड़ो
इस मशीनी दुनिया में मैं रास्ता भूल जाउंगी
तुमने मुझे अपनी घोर बेचैनियों को पालकर
मोह और निर्मोही जीवन के बीच संघर्ष करके
अस्तित्व को दिन प्रतिदिन की चुनौती देकर
बड़ा दर्द उठाकर जन्म दिया
अब इस तरह मुझे इन निर्मोही वाहकारों
की कुछ वाह वाह के लिए नीलाम ना करो
कुछ पन्नो में मुझे समेट कर जिल्द की बेडी में जकड़कर
अपनी कला का अपने दर्द का अपमान ना करो
याद है तुम्हे तुम घोर विचार जंगलों में
कही बहुत अन्दर बैठी उस मासूम लड़की
के बालों में उलझे शब्द खोज लाए थे
और उन्हें पिरोकर मेरे लिए माला बनाई थी
तब से आज तक वो लड़की अपने बाल नहीं बांधती
बस तुम्हारा इंतज़ार करती है ...
विचारों के उस जंगल का हर कतरा
हर लहर,नदियाँ ,पहाड़ ,बादल सब
तुम्हारे उनके करीब जाने के अनंत इंतज़ार में हैं
पर तुम चमक दमक में खो गए हो कहीं
वो गहरा दर्द वो शापित रात्रियाँ ,
वो अनसुलझी पहेलियाँ सब तुम्हे पुकारती हैं
पर तुम प्रसिद्धि के शोर में
नेपथ्य से आती वो आवाजें सुन नहीं पाते
हे दर्द के कवि,प्रेम के पुजारी
मुझे इस मशीनों के पुजारियों को मत सौपो
मेरे शब्द दे दो मेरा रूप देदो पर
बस मेरी आत्मा को मत बेचना कभी....
ना अपनी आत्मा को .....
सुन रहे हो ना....
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
12 comments:
बहुत सुन्दर......
हर लफ्ज़ दर्द बयाँ करता ................
अनु
कविता के दिल से निकली हुई आवाज!...बहुत सुन्दर रचना!
याद है तुम्हे तुम घोर विचार जंगलों में
कही बहुत अन्दर बैठी उस मासूम लड़की
के बालों में उलझे शब्द खोज लाए थे
और उन्हें पिरोकर मेरे लिए माला बनाई थी
तब से आज तक वो लड़की अपने बाल नहीं बांधती
बस तुम्हारा इंतज़ार करती है ...ek ek shabd mann ko piro rahe hain
वाह क्या बात है बहुत सुंदर रचना. पढ़ कर एक नहीं उर्जा सी आ गई मन में !
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
...इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें कनु जी
बेहतरीन रचना।
सादर
SUPERB LINES WITH PAIN.
BEAUTIFUL LINES INCLUDING EMOTINS AND THOUGHT.
हे दर्द के कवि,प्रेम के पुजारी
मुझे इस मशीनों के पुजारियों को मत सौपो
मेरे शब्द दे दो मेरा रूप देदो पर
बस मेरी आत्मा को मत बेचना कभी....
ना अपनी आत्मा को .....
सुन रहे हो ना....
बहुत बढ़िया रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
कवि का हृदय कभी मशीन न हो पायेगा।
वाह क्या बात है निशब्द करतो रचना है कनू.... खास कर 4थ पेरा लाजवाब,बेहतरीन आज तो शब्द ही नहीं है इस रचना की तारीफ के लिए मेरे पास...
ati prabhaavamaii rachana
this poem has a soul too!
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