आज फिर तुम्हे आंसुओं के दरिया के परे कही इंतज़ार करती पथराई बंजर जमीन सी सूखी "आँखों" के करीब ले जाने का इरादा है...जानते हो वो आँखें किसकी है?याद है तुम्हे वही एक लड़की जिसे तुम एक पूरा दरिया दे आए थे आंसुओं का...बरसों तक सावन, भादो ,आषाढ़ सब उसने इस दरिया के साथ बिताए वेसा सावन तुमने कभी न देखा होगा और एक दिन ये दरिया बंजर हो गया...
सच कहती हूँ ऐसा सूखा भी तुमने कही न देखा होगा ..आँखों में एसा गज़ब का सूखापन है जैसे सूरज ने अपनी हर किरण को बस उन आँखों की नमी सोखने के काम पर लगा दिया हो....जैसे दुनिया की सारी धरती अपनी प्यास बुझाने के लिए वह से बूँद बूँद निचोड़ ले गई हो ....और उस लड़की ने भी हर बूँद निचोड़ लेने दी जैसे अपना जीवन रस देकर सारी धरती को हरा भरा करना और बरसों से प्यासे सूरज की प्यास बुझा देना चाहती हो ....
याद है तुम्हे वो तुमसे कहा करती थी "तुम्हारे आंसू मैं नहीं देख सकती तुम्हारे आंसू की एक बूँद मेरी आँखों से दरिया बहा देगी ,तुम्हारे आंसू देखने से अच्छा है मैं मर जाऊ " और तुम कहते थे "तुम सालों साल जिओगी " शायद ठीक उसी पल दोनों के शब्दों में सरस्वती आ बैठी थी तुम्हारे उन कुछ आंसुओं ने बरसों तक लड़की की आँखों से दरिया बहाया और उसकी उम्र भी पहाड़ सी लम्बी हो गई.....
सारी दुनिया जानती है इंतज़ार के पल बड़े लम्बे होते हैं और बेदर्द भी...इंतज़ार ने कभी किसी पर दया नहीं दिखाई और तुम चाहे मानो न मानो लड़कियों के लिए इंतज़ार के पल हमेशा से ज्यादा भारी रहे हैं...चाहे वो किसी के आने का इंतज़ार हो,किसी के कुछ कह देने का इंतज़ार हो या बस तुम्हारे मुस्कुरा देने भर का इंतज़ार हो .....
वो भी तुम्हारी याद में जाने कितने पौधों की पीढ़ियों को सींचती रही...अपने प्रेम की धुप को दर्द के अँधेरे से बने बक्से में बंद करके उसने बरसो गुज़ार दिए अपना सारा अस्तित्व उस दर्द को पालने में लुटा दिया ...जैसे तुम्हरे इंतज़ार न करेगी तो अपनी पहाड़ जेसी उम्र काटने के बाद खुदा को क्या मुह दिखाएगी....एक तुम्हारी मुह दिखाई के लिए अँधेरे की गर्तों में सारी दुनिया से दूर छुपि बैठी है....
हर सुबह आसमान को बेहद खाली आँखों से देखती है और आसमान हर दिन सोचता है काश इसे मुझसे मोहब्बत हो जाए काश ये परी बनकर मेरी बाँहों में समां जाए और सिर्फ आसमान ही क्या सारी कायनात उससे दिल लगा बैठी है उसकी मोहब्बत उसके दर्द में डूब जाना चाहती है पर वो बावली बस तुम्हे चाहती है....उसे जो चाहते हैं वो उनकी नहीं होती और जिसके इंतज़ार में वो बावरी हुई जाती है वो लौटता नहीं.....
वो तुम्हे लिखना पढना,सुनना,गुनगुनाना चाहती है पर तुम हो की उसकी किसी भावना में नहीं समाते अब....बस उसके सारे अस्तित्वा पर छा गए हो ....
चलो न एक बार उसे मिल लो वो लड़की अब भी तुम्हारा इंतज़ार करती है तुम उसे चाहो न चाहो वो तुम्हे बेइन्तेहाँ चाहती है...
सच कहती हूँ ऐसा सूखा भी तुमने कही न देखा होगा ..आँखों में एसा गज़ब का सूखापन है जैसे सूरज ने अपनी हर किरण को बस उन आँखों की नमी सोखने के काम पर लगा दिया हो....जैसे दुनिया की सारी धरती अपनी प्यास बुझाने के लिए वह से बूँद बूँद निचोड़ ले गई हो ....और उस लड़की ने भी हर बूँद निचोड़ लेने दी जैसे अपना जीवन रस देकर सारी धरती को हरा भरा करना और बरसों से प्यासे सूरज की प्यास बुझा देना चाहती हो ....
याद है तुम्हे वो तुमसे कहा करती थी "तुम्हारे आंसू मैं नहीं देख सकती तुम्हारे आंसू की एक बूँद मेरी आँखों से दरिया बहा देगी ,तुम्हारे आंसू देखने से अच्छा है मैं मर जाऊ " और तुम कहते थे "तुम सालों साल जिओगी " शायद ठीक उसी पल दोनों के शब्दों में सरस्वती आ बैठी थी तुम्हारे उन कुछ आंसुओं ने बरसों तक लड़की की आँखों से दरिया बहाया और उसकी उम्र भी पहाड़ सी लम्बी हो गई.....
सारी दुनिया जानती है इंतज़ार के पल बड़े लम्बे होते हैं और बेदर्द भी...इंतज़ार ने कभी किसी पर दया नहीं दिखाई और तुम चाहे मानो न मानो लड़कियों के लिए इंतज़ार के पल हमेशा से ज्यादा भारी रहे हैं...चाहे वो किसी के आने का इंतज़ार हो,किसी के कुछ कह देने का इंतज़ार हो या बस तुम्हारे मुस्कुरा देने भर का इंतज़ार हो .....
वो भी तुम्हारी याद में जाने कितने पौधों की पीढ़ियों को सींचती रही...अपने प्रेम की धुप को दर्द के अँधेरे से बने बक्से में बंद करके उसने बरसो गुज़ार दिए अपना सारा अस्तित्व उस दर्द को पालने में लुटा दिया ...जैसे तुम्हरे इंतज़ार न करेगी तो अपनी पहाड़ जेसी उम्र काटने के बाद खुदा को क्या मुह दिखाएगी....एक तुम्हारी मुह दिखाई के लिए अँधेरे की गर्तों में सारी दुनिया से दूर छुपि बैठी है....
हर सुबह आसमान को बेहद खाली आँखों से देखती है और आसमान हर दिन सोचता है काश इसे मुझसे मोहब्बत हो जाए काश ये परी बनकर मेरी बाँहों में समां जाए और सिर्फ आसमान ही क्या सारी कायनात उससे दिल लगा बैठी है उसकी मोहब्बत उसके दर्द में डूब जाना चाहती है पर वो बावली बस तुम्हे चाहती है....उसे जो चाहते हैं वो उनकी नहीं होती और जिसके इंतज़ार में वो बावरी हुई जाती है वो लौटता नहीं.....
वो तुम्हे लिखना पढना,सुनना,गुनगुनाना चाहती है पर तुम हो की उसकी किसी भावना में नहीं समाते अब....बस उसके सारे अस्तित्वा पर छा गए हो ....
चलो न एक बार उसे मिल लो वो लड़की अब भी तुम्हारा इंतज़ार करती है तुम उसे चाहो न चाहो वो तुम्हे बेइन्तेहाँ चाहती है...
16 comments:
कोमल भाव...
मीठी सी इल्तेजा ...
बहुत सुन्दर..............
आसमान की पीड़ा असहनीय होगी, न जाने कितनी सूनी आँखों को देखता होगा, हर दिन।
बेहतरीन भाव
सादर
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,भावपूर्ण अभिव्यक्ति, सुंदर आलेख ,...
कनु जी,मै आपका नियमित पाठक हूँ,जब कोई कमेंट्स करे,तो उसका जबाब कमेंट्स देकर लौटाना चाहिए,...यही ब्लॉग जगत का शिष्टाचार है,...आइये स्वागत है
RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
खूबसूरत अंदाज़. बेहतरीन भाव.
हृदयस्पर्शी!
बेहतरीन..
wah....bahut sunder.
सार्थक और हृदयस्पर्शी!
भावनाओं की सुमधुर अभिव्यक्ति!....बधाई!
भावपूर्ण...
खूबसूरत भाव !
आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ, अच्छा लगा देखकर कि आप न सिर्फ अच्छा लिख रही है बल्कि लगातार लिख रही हैं। संवाद बनाए रखें। धन्यवाद।
बहुत खूब ...
शुभकामनायें आपको !
Hriday ko choo lene wali rachna hai. Mai jaanta hoon ki kuch aisa hi padhne ko milega. Zabarddast bhav wala. Isliye aksar raat k 2 baje shanti se padhta hoon.
Dhanyavaad.
Post a Comment