parwaz:let me die |
ऐसी लड़कियों को सुकून का जीवन काटने दौड़ता है ये बस बेचैनियाँ चाहती है ,चाहती है की इनकी मौत ऐसे गहरे प्यार में हो की इन्हें सुध न हो प्राणों के चले जाने की इनकी आखरी इच्छा कुछ खास नहीं होती बस सारी उम्र की पूँजी लगाकर ये चाहती है इन्हें चन्दन की लकड़ी में जलाकर इनकी रूह की ,इनके प्यार की सारी महक को दुनिया भर में फैला दिया जाए ....
अब कुछ पंक्तियाँ....
ये रात दिन का चैन सुकून अच्छा नहीं लगता
सब सुकून ले ले मुझको बैचेनी दे दे कोई
वो सारे खवाब जो आते है पूरे नहीं होते
सारे ख्वाब लेले जमीन पथरीली दे दे कोई
ये सारे शोर , खामोशियाँ ,बेबाकियाँ,बेताबियाँ
महज जलते है दिल में सब, बाहर आ नही पाते
ये जल जल कर बुझ जाते है सारे शब्द होंठों पर
सारे शब्द ले ले बस आंसू की दो बूँद दे दे कोई
अन्दर की राख कहीं हवा को तरसती है
न तो आग जलती है न बदली बरसती है
आग को फिर से जला दे मन के अन्दर ही
या फिर राख को इतना बढ़ा दे की खाक कर दे कोई
इतर की खुशबु अच्छी ही नहीं लगती
बस तमन्ना है कही इतर बन महक जाने की
या तो इतर करके फेला दे मुझको सारे आलम में
या चन्दन सी लकड़ी सा करके आग दे दे कोई ...
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
15 comments:
तमन्ना है कहीं इतर बन महक जाने की....
ऐसी कितनी तमन्नाएं पलती हैं "मिसफिट " लड़कियों के दिल में...और मर भी जाती हैं...
sach kaha aapne
अनुपम भाव संयोजन ।
सांस फूलने का लगा, बाबू जी को रोग |
किन्तु दवा खाएं नहीं, रहे नियम से भोग |
रहे नियम से भोग, हाल है मिसफिट जैसा |
बिन हँफनी की देह, लगे है जीवन कैसा |
मिसफिट है बेजार, खाक जीवन को कर दे |
कहीं जाय ना हार, रंग अलबेले भर दे ||
bahut bahut dhanyawad aap sabhi ka
मिसफ़िट की श्रेणी मे रखी जाती हैं……………सारी कहानी यहीं सिमट गयी।
itnaa niraash naa ho
koi naa koi aag bujhaane waalaa bhee
aa jaayegaa ...
बहुत खूब
my resent post
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
behtareen
सच कहा आपने, खास होने में चैन नहीं है।
Beautiful!! :)
bahot sunder likhi hain aap.
कभी कभी बैचेनियाँ और बेसकूनी अच्छी लगती हैं ... येअही तो आग भी लगा सकती हैं ...
bahut accha likha hai - alag sa kuchh
aabhaar
बहुत बढिया!
Post a Comment