हमसे रूठकर वो आंसू छुपा छुपा के रोए
सारे जज़्बात दिल में दबा दबा के रोए
दर्द- ए- दूरी किसी को नहीं आसान रहा
हम याद करके रोए वो भुला भुला के रोए
हमारा इक दूजे से ज्यादा कोई अपना न था
पर आंसुओं को देखने में किसी ने कसर न रखी
हम उन्ही पराये से अपनों के आगे रो लिए
वो सारी दुनिया से नज़र बचा बचा के रोए
प्यार की हर याद ठुकराकर वो गए
पर यादें उन्हें ठुकराकर गई नहीं कभी
हम इंतज़ार की हर गली सजाकर रोए
वो वापसी के रास्तों से कदम बचा के रोए
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
सारे जज़्बात दिल में दबा दबा के रोए
दर्द- ए- दूरी किसी को नहीं आसान रहा
हम याद करके रोए वो भुला भुला के रोए
हमारा इक दूजे से ज्यादा कोई अपना न था
पर आंसुओं को देखने में किसी ने कसर न रखी
हम उन्ही पराये से अपनों के आगे रो लिए
वो सारी दुनिया से नज़र बचा बचा के रोए
प्यार की हर याद ठुकराकर वो गए
पर यादें उन्हें ठुकराकर गई नहीं कभी
हम इंतज़ार की हर गली सजाकर रोए
वो वापसी के रास्तों से कदम बचा के रोए
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
10 comments:
बहुत ही बढ़िया
सादर
सुन्दर रचना... वाह!
हार्दिक बधाई.
वाह!!!!!बहुत खूब सुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
बहुत खूब क्या बात , मुबारक हो
:'(
प्रेम के विश्वास की विजय हो।
सुंदर रचना,बेहतरीन भाव
सुन्दर रचना... सुन्दर भाव...
खूब सुंदर रचना...
खूब सुंदर रचना.....
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